अखरोट (Walnut)
प्रचलित नाम – अखरोट ।
प्रयोज्य अंग – गिरी, छिलका, लकड़ी, छाल।
परिचय- इसकी दो जातियां पाई जाती हैं। जंगली अखरोट 100 से 200 फीट तक ऊंचे स्थलों पर अपने आप उग आते हैं। इसके फल का छिलका मोटा होता है। कृषिजन्य अखरोट 40 से 90 फुट तक ऊंचा होता है और इसके फलों का छिलका पतला होता है। इसे कागजी अखरोट भी कहते हैं। इसकी लकड़ी से बन्दूकों के कुन्दे बनाये जाते हैं।
उपलब्ध स्थान – देवताओं की धरती हिमालय अपने अन्दर अनेक दिव्य औषधियों को समेटे हुए है। देवभूमि शायद इन औषधीय वनस्पतियों की उपलब्धता की वजह से ही प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों की साधना व तपस्या का केंद्र बनी रही है। ऐसे ही कई गुणों को समेटे हुए एक वृक्ष जिसे हम अखरोट के नाम से जानते हैं, बहुत-से औषधीय गुणों से युक्त रहता है। जंगली अखरोट एवं कागजी अखरोट नाम की दो जातियों से जाना जाने वाला यह पेड़ अपने फलों के कारण विख्यात है।
उपयोगिता एवं औषधीय गुण
अखरोट का फल एक तरह का सूखा मेवा है, जो खाने के लिये प्रयोग में लाया जाता है। अखरोट का बाह्य आवरण एकदम कठोर रहता है और भीतर मानव मस्तिष्क के जैसे आकार वाली गिरी रहती है। अखरोट का वानस्पतिक नाम जग्लान्स निग्रा है। आधे मुट्ठी अखरोट में 392 कैलेशज 9 ग्राम प्रोटीन, 39 ग्राम वसा और 8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट रहता है। इसमें विटामिन ई और बी, कैल्शियम और मिनरल भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं। अखरोट प्रोटीन का बढ़िया स्रोत है।
अनेकों शोधों से ऐसा पता चला है कि अखरोट से एल्जाइमर बीमारी का खतरा कम रहता है। अखरोट में फाइबर, विटामिन बी, मैग्नीशियम तथा एण्टी-आक्सिडेंट्स ज्यादा मात्रा में होते हैं और यह केशों और त्वचा को स्वस्थ रखता है।
दांतों के लिए अखरोट के गुणों की वजह से डेंटिस्ट भी इसके सेवन की सलाह देते हैं। अखरोट में ओमेगा 3 फैटी एसिड विद्यमान है।
यह अस्थमा, ग्यूमेटायड, अर्थराइटिस, त्वचा की परेशानियों, एक्जिमा तथा सोरायसिस जैसी बीमारियों से रक्षा करता है।
1. बच्चे को बहुत अधिक कृमि हो गए हों तो उसे नित्य एक अखरोट की गिरी खिलाएं। इससे सारे कृमि मल के मार्ग से बाहर आ जाते हैं।
2. छिलके और गिरी के साथ अखरोट को बारीक पीस लें। नित्य सुबह-शाम ठंडे जल के साथ निरन्तर 15 दिनों तक एक-एक चम्मच लें। पत्थरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है।
3. दाद पर अखरोट का तेल लगाने से बहुत लाभ मिलता है।
4. बिस्तर गीला करने की आदत छुड़ाने के लिए बालक को प्रतिदिन सोने से पहले दो अखरोट और 15 किशमिश अवश्य खिलाएं। 15 दिन यह प्रयोग करके देखें, बालक की आदत अपने आप छूट जाएगी।
5. अखरोट को खाने से नर्वस सिस्टम को लाभ और दिमाग को तरावट मिलती है।
6. अखरोट के साथ कुछ बादाम तथा मुनक्के खाने व इसके ऊपर दूध लेने से बूढ़ों को बहुत लाभ मिलता है।
7. अखरोट खाने में थोड़ी सतर्कता रखनी चाहिए; चूंकि अखरोट गर्मी करता है तथा कफ बढ़ाता है, इसलिए एक बार में 5 से अधिक अखरोट न खाएँ।
8. अधिक अखरोट खाने से पित्त बढ़ने की संभावना बनी रहती है, जिससे मुख में छाले, गले में खुश्की या खुजली तथा अजीर्ण होने की संभावना रहती है।
9. अखरोट के फल बाहरी कठोर आवरण को तोड़कर भीतर की गिरी को 10 से 20 ग्राम की मात्रा में गाय के गुनगुने दूध से रोज सेवन करना रसायन गुणों से युक्त अर्थात शारीरिक क्षय को रोकने वाला प्रभाव डालता है।
10. अखरोट के वृक्ष की छाल को मुख में रखकर चबाने से मुख रोगों में लाभ मिलता है तथा फल के बाहरी कठोर आवरण को चूर्ण बनाकर अग्नि में जलाकर भस्मीकृत कर मंजन के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।
11. अखरोट के वृक्ष की छाल का काढ़ा पेट के कीड़े समाप्त कर देता है।
12. स्त्रियों में माहवारी से सम्बन्धित समस्याओं में फल के कठोर आवरण को चूर्ण बनाकर 20 से 25 मि.ली. की मात्रा में शहद के साथ पिलाने से लाभ मिलता है। इसी काढ़े का उपयोग सुबह, शाम सेवन करने से मलबद्धता दूर देती है
13. अखरोट के फलों की गिरी पांच से दस ग्राम, छुहारे बीस से तीस ग्राम तथा बादाम पांच ग्राम की मात्रा में एक साथ यव कूटकर गाय के घी में भूनकर, प्राप्त चूर्ण में थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर, दस ग्राम नित्य सुबह-सवेरे सेवन करने से डाइबिटीज रोग दूर हो जाता है।
14. अखरोट के फलों के कठोर आवरण को जलाकर भस्म बना लें, इसमें पांच से दस ग्राम मात्रा में गुड़ मिला देना चाहिए, अब इसे पांच से दस ग्राम मात्रा में प्री-मेच्यूर-इजेकुलेशन से पीड़ित रोगी को खिलाएं, निश्चित लाभ मिलेगा।
15. इसकी छाल से प्राप्त काढ़े से घाव को धोने से, यह उसे शीघ्रता से भरने का भी कार्य करता है। पाइल्स (बवासीर) से सम्बन्धित समस्या में भी इसके तेल को गुदा में रूई में भिगोकर रखने से फायदा होता है।
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