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आयापान (Eupatorium Ayapan) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

आयापान (Eupatorium Ayapan) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
आयापान (Eupatorium Ayapan) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

आयापान (Eupatorium Ayapan)

प्रचलित नाम- आयापान ।

उपलब्ध स्थान- यह बंगाल की एक प्रसिद्ध वनस्पति है। इसके पेड़ मंझोले कद के होते हैं। परिचय-इसके पौधे बंगाल के बाग-बगीचों में चारों ओर लगाए जाते हैं। इसके पत्ते बड़े होते हैं और पत्तों के डंठल तथा उनकी नसें लाल रंग की होती हैं। बगीचों के अतिरिक्त बंगाल के वनों में भी यह वनस्पति उत्पन्न होती है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

ऐसा माना जाता है कि जिस समय लक्ष्मण को मेघनाथ की ब्रह्मशक्ति लगी थी और वे मूर्च्छित हो गये थे, तब हनुमान गन्धमादन पहाड़ के ऊपर से इस औषधि को लाये थे और इसके माध्यम से सुषेण ने उन्हें जीवित किया था। इस कथन में सत्य का कितना अंश है, यह तो नहीं बताया जा सकता, परन्तु अपने घावपूरक और रक्तस्राव रोधक महान गुण के लिये यह एक अमोघ औषधि है। रक्तातिसार, रक्तप्रदर, खूनी बवासीर इत्यादि शरीर के किसी भी हिस्से से गिरने वाले खून के लिए इसके पत्तों का रस पीने से अधिक लाभ होता है।

जख्म होने से थोड़ा या अधिक किसी भी रूप में खून बहता हो, पट्टी बांधने से भी रक्त का रुकना बन्द न होता हो तो इसके पत्तों को पीसकर लेप की पट्टी बांधने से रक्त बहना बन्द होता है व घाव जल्दी भरता है।

जिस मनुष्य को शस्त्र का गहरा जख्म लगा हो, उसको आयापान के पत्तों का रस पिला देने से और रस को जख्म पर लगाने से, रक्त का बहना बन्द हो जाता है। इसी तरह रस पीने से आमाशय से गिरने वाला रक्त भी बन्द हो जाता है।

आयापान के पत्तों को पत्थर पर पीसकर, पिसे पत्तों को हथेलियों के मध्य दबाकर रस निकालना पड़ता है।

इस औषधि के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह एक उत्तेजक औषधि है। कम मात्रा में पौष्टिक और ज्यादा मात्रा में विरेचक है। इसको गरम काढ़ा वमनकारक और ज्वर-निवारक है। इसे मलेरिया में भी दिया जाता है।

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