कबाबचीनी (Piper Cubeba)
प्रचलित नाम – कबाबचीनी, शीतल, चीनी।
उपयोगी अंग – छाल।
उपयोगिता एवं औषधीय गुण
कबाब चीनी हल्की, तीखी, चटपटी, वात कफनाशक, खुशबूदार, नेत्रों एवं दिल के रोगों में लाभदायक होती है। यह कामोत्तेजक, बाजीकरण, वीर्य दोष मिटाने वाली, सफेद प्रदर, सुजाक आदि में लाभदायक है। कबाबचीनी का तेल सिरदर्द, उपदंश के जख्म, लिंग की नसों की दुर्बलता, मूत्राशय तथा गर्भाशय के रोगों को सही करता है। कबाबचीनी, दालचीनी, अकरकरा 5-5 ग्राम की मात्रा में पीसकर 3 ग्राम औषधि में मधु मिलाकर लिंग के आगे के भाग को छोड़कर लेप करने से सम्भोग करने से स्तम्भन होता है तथा आनंद का अनुभव होता है। 10-10 ग्राम कबाबचीनी, बच, कुलंजन को पीसकर और छानकर शहद के साथ मटर की भांति गोलियां बनाकर, छाया में सुखाकर 1 गोली चूसने से गले के सभी रोग और खांसी, धसका ठीक हो जाता है। 50-50 ग्राम छोटी इलायची का दाना, कबाबचीनी, बंशलोचन को पीसकर तथा छानकर इसमें 50 ग्राम खांड मिलाकर 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम जल से लेने पर बंद पेशाब खुलकर आता है। कवावचीनी पीसकर इसकी नस्य लेने से बिगड़ा जुकाम ठीक हो जाता है। स्त्री के श्वेत प्रदर (लिकोरिया), माहवारी की खराबी, पेशाब में जलन के लिए पांच दाने कबाबचीनी खांड में मिलाकर सुबह-शाम लें 15-20 दिन करने से फायदा मिलता है।
तासीर- कबाबचीनी स्वभाव में गर्म होता है।
ब्रांको न्यूमोनिया (फेफड़ों की जलन व सूजन) – फेफड़ों की जलन के रोग में कबाबचीनी का तेल गर्म जल में डालकर सूंघने से बहुत ज्यादा लाभ मिलता है। यदि फेफड़ों में बलगम जमा है, सांस लेने में से तकलीफ होती है, बेचैनी है तो कबाबचीनी, दालचीनी, अकरकरा को समभाग लेकर जल में खौलाकर उसे दो चम्मच की मात्रा में पियें, आराम मिलेगा।
दमा, श्वास रोग – गर्म जल में कबाबचीनी का तेल डालकर, उसकी वाष्प (भाप) सूंघने से श्वास रोग (दमा) सही हो जाता है।
खांसी – 1 से 4 ग्राम शीतलचीनी (कबाबचीनी) को सुबह-शाम मधु के साथ रोगी को देने से सूखी खांसी बंद हो जाती है।
मुख के छाले – 5-5 ग्राम कबाबचीनी, कपड़िया कत्था, वंशलोचन तथा 4 छोटी इलायची के दानों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। 1 चुटकी चूर्ण बच्चे के मुंह में सुबह और शाम छिड़कने से बच्चों के मुख होने वाले छाले समाप्त हो जाते हैं। मुख व जीभ पर छाले होने पर शिलाजीत, कबाबचीनी मक्खन या घी समान भाग मिलाकर दिन में दो बार खाने से छाले समाप्त होते हैं।
मूत्ररोग – मूत्राशय में सूजन होने पर कबाबचीनी का चूर्ण 3.60 ग्राम से 7.20 ग्राम को दूध के साथ या 0.30 ग्राम फिटकिरी के साथ प्रतिदिन 3 बार खाने से सूजन मिट जाती है। इसका लेप नामि के नीचे करने से भी फायदा होता है। कबाबचीनी में सूजन उतारने का विशेष गुण होने की वजह से मूत्राशय की सूजन में जल्दी लाभ होता है।
स्वप्नदोष (नाइट फाल) – 2 चम्मच कबाबचीनी को जल के साथ लेने से स्वप्नदोष में फायदा होता है।
हार्टफेल की सम्भावना में – 1 ग्राम से 4 ग्राम कवावचीनी (शीतलचीनी) का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करते रहने से हार्टफेल (दिल का दौरा पड़ने की संभावना कम हो जाती है और हृदय की धड़कन सामान्य हो जाती है।
हृदय की दुर्बलता – 1 से 4 ग्राम कबाबचीनी (शीतलचीनी) का चूर्ण सुबह तथा शाम सेवन करने से हृदय सम्बन्धी (दिल के सभी रोग) विकार दूर हो जाते हैं।
कण्ठमाला में सूजन होने पर – कबाबचीनी को मुख में रखकर चूसते रहने से स्वरयंत्र का प्रदाह (गले की जलन) और स्वरभंग (बैठा हुआ गला) ठीक हो जाता है और आवाज पूरी तरह से साफ हो जाती है। आवाज में मधुरता आती है। गायकों के लिए यह विशेष लाभदायक है।
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