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त्रायमाण (Delphinium Zelei) के फायदे एंव औषधीय गुण

त्रायमाण (Delphinium Zelei) के फायदे एंव औषधीय गुण
त्रायमाण (Delphinium Zelei) के फायदे एंव औषधीय गुण

त्रायमाण (Delphinium Zelei)

प्रचलित नाम- त्रायमाण ।

उपयोगी अंग- छाल, तना।

उपलब्ध स्थान – यह ईरान के पहाड़ों। में उत्पन्न होती है।

परिचय- यह पीले फूलों वाला एक झाड़ीनुमा पौधा होता है। इसकी पहचान में विवाद है। यह विभिन्न वैद्यों की नजर में अलग-अलग वनस्पतियां हैं, पर सबसे प्रामाणिक ईरान से आयी हुई औषधि ही समझी जाती है, जिसका प्रयोग रंग बनाने के काम में भी किया जाता है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

आयुर्वेद के मत से त्रायमाण कसैली, शीतल, मधुर, दस्तावर, कड़वी और पित्त रोग, उल्टी, बुखार, गुल्म, कफ, विष, शूल, भ्रम, रक्त रोग, क्षय, ग्लानि, तृषा, हृदयरोग, रक्तपित्त, बवासीर तथा त्रिदोष का नाश करने वाला है। यह कड़वी होती है। इसके इस्तेमाल से भूख लगती है, पाचन रस बढ़ता है, अन्न पचता है, पित्तस्राव मिटता है और दस्त और पेशाब साफ होता है। यह पेट की वायु को समाप्त करती है। जिससे उदर शूल तथा अफारे में फायदा होता है। इसके पंचांग की राख शामक तथा कृमिनाशक होती है। यह वनस्पति बहुत प्राचीनकाल से चिकित्सा के अंदर उपयोग में ली जाती है। हकीम लोग इसे बहुत समय से उपयोग में लेते आए हैं। कड़वी होने के कारण यह अजीर्ण रोग तथा अग्निमांद्य की वजह से होने वाली शरीर की शिथिलता में पौष्टिक वस्तु की तरह दी जाती है। मृदुविरेचक तथा पीड़ानाशक होने से यह बवासीर में भी उपयोगी सिद्ध होती है। इसमें मूत्रल गुण होने से प्लीहा, यकृत, जलोदर तथा हृदय रोग में भी इसका प्रयोग सन्तोषजनक होता है। कटुपौष्टिक, मूत्रल तथा मृदुविरेचक गुणों के कारण यह जीर्ण बुखार तथा पित्त बुखार में फायदा पहुंचाती है। इन सब रोगों में इस औषधि को दूसरी उपयोगी औषधियों के साथ दिया जाता है। इसकी राख को नीम के रस में या घी में मिलाकर खुजली वगैरह चर्म रोगों पर लगाने से अच्छा फायदा होता है।

मात्रा – इसकी मात्रा 3 माशे है।

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