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अग्निघास (Andropogan Citratus) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अग्निघास (Andropogan Citratus) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
अग्निघास (Andropogan Citratus) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अग्निघास (Andropogan Citratus)

प्रचलित नाम- अग्निघास।

उपलब्ध स्थान- तराई के इलाकों, काश्मीर आदि में ।

परिचय- इसकी पत्तियां लम्बी होती हैं और ये भूमि पर फैली-सी रहती हैं। इसमें गंध होती है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

यह औषधि तिक्त, कड़वी, गर्म, विरेचक, भूख बढ़ाने वाली बाधा निवारक, कृमिनाशक तथा कामेच्छा को समाप्त करने वाली है।

यह बच्चों की खांसी में लाभकारी है। कोढ़ तथा अपस्मार की व्याधि में एवं वात, कुष्ठ और आंतों सम्बन्धी बीमारियों में भी लाभकारी है।

हैजे की बीमारी में भी यह लाभदायक है। यह हैजे के वमन को रोक देती है, तथा उसके सब उपद्रवों में लाभ पहुंचाती है।

गठिया में इसका लेप काफी फायदेमंद है। स्नायु शूल, मोच आदि में यह भी लाभदायक है।

यूनानी मत से यह गर्म तथा रुक्ष है। यह त्वचा को हानि पहुंचाने वाली और खुजली पैदा करने वाली है। इसके स्वरस में 40 दिनों तक गन्धक को भिगोकर धूप में सुखाकर, उस गन्धक को 2 रत्ती की मात्रा में पान में रखकर खाने से काफी भूख लगती है। इसके स्वरस में फूंकी बंग की भस्म सांस और खांसी में काफी लाभ पहुंचाती है।

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