जड़ी-बूटी

अमसानिया (Ephedra Valgaris) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अमसानिया (Ephedra Valgaris) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
अमसानिया (Ephedra Valgaris) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अमसानिया (Ephedra Valgaris)

प्रचलित नाम- अमसानिया ।

उपलब्ध स्थान- यह मुख्य रूप से चीन की औषधि है, मगर उत्तर भारत की अनेक जगहों में भी यह पाई जाती है। इसके अलावा यह औषधि पश्चिमी हिमालय, अफगानिस्तान, चीन, पश्चिमी मध्य एशिया, पूर्वी फारस, यूरोप और हिमालय पहाड़ों पर 8,000 फीट से 1400 फीट की ऊंचाई तक मिलती है।

परिचय-यह एक तरह का कठोर और गठा हुआ पौधा होता है। इसकी जड़ें आपस में लिपटी हुई होती हैं। इसकी शाखायें खड़ी तथा चिकनी होती हैं। इसके पुष्प गोलाकार और फैले हुए रहते हैं। इसके फल गोल, लाल, मीठे तथा स्वादयुक्त होते हैं।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

इसकी जड़ और लकड़ी का काढ़ा आमवात तथा फिरंग रोग में दिया जाता है। इसके फल का रस श्वांस-क्रिया प्रणाली के रोगों में देने के काम में लाया जाता है। चीन में इसकी पतली शाखायें ज्वर निवारक मानी जाती है।

1. जलोदर की बीमारी में भी यह सर्वोत्तम औषधि है। हृदय रोग के द्वारा होने वाली पेट की लाभकारी है। ऐसे रोगों में दिल की धड़कन और अन्य उपद्रव, बीमारी के शुरू से ही बढ़ जाते हैं, ऐसे सूजन में रोगियों के उपचार में जिसमें अन्य औषधियों के उपयोग से कुछ भी फायदा नहीं हुआ, दिन-प्रतिदिन बीमारी भयंकर होती गई और दिल को उत्तेजना देने वाली कई औषधियां काम में लाई गई, मगर कोई फायदा न हुआ, ऐसे समय में अमसानिया का अर्क काम में लाया गया, जिससे बीमार को लाभ पहुंचा और सब लक्षण एकदम दूर हो गये, बाएं हाथ में दर्द होकर अगर हृदय की धड़कन बढ़े या हृदय की गति धीमी पड़ती महसूस हो तो ऐसे समय में अमसानिया का अर्क बहुत फायदा पहुंचाता है।

2. निमोनिया रोग के कारण पैदा हुए विषों से जो दूषित प्रभाव हृदय की गति पर पड़ते हैं, उनका निवारण करने के लिये भी इसका अर्क काफी उत्तम वस्तु है। इसी तरह रोहिणी-रोग में उत्पन्न हुए दोषों को भी दूर करता है।

3. इसके अर्क की मात्रा 1.5 माशे की है। यह दिन में तीन-चार बार दिया जाना चाहिए।

4. यह वनस्पति भारतवर्ष की एक मूल्यवान जड़ी-बूटी है, इसका सत तथा इसका अर्क श्वांस रोग, हृदय रोग, जलोदर, डिफ्थीरिया, निमोनिया इत्यादि रोगों पर चमत्कारिक प्रभाव डालता है

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