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अम्बाड़ा (Spondias Mangifera) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अम्बाड़ा (Spondias Mangifera) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
अम्बाड़ा (Spondias Mangifera) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अम्बाड़ा (Spondias Mangifera)

प्रचलित नाम- अम्बाड़ा।

उपलब्ध स्थान- हिमालय की तलहटियों में, चिनाव के पूर्व में तीन हजार फीट की ऊंचाई पर तथा ब्रह्मा, अंडमान व हांगकांग में पैदा होता है।

परिचय- यह जंगली आम है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

आयुर्वेद – कच्चा अम्बाड़ा खट्टा, वातनाशक, खारी, गर्म, रुचिकारक और दस्तावर है। पक्का कसैला, सुस्वादु, शीतल, तृप्तिकारी, कफवर्द्धक, पुष्टिकर, भारी, बलदायक तथा वात, पित्त, क्षत, दाह, क्षय तथा रुधिर विकार को दूर करने वाला है।

इसके पत्ते स्वादयुक्त, भूख बढ़ाने वाले तथा संकोचक होते हैं। इसका कच्चा फल खट्टा, अपच और वातनाशक होता है।

यह रक्तवर्द्धक और गले के रोगों में फायदा पहुंचाने वाला है। इसका पक्का फल तिक्त, मृदु, रसयुक्त व स्वादिष्ट होता है। यह शान्तिदायक, पौष्टिक, कामोद्दीपक तथा अंतड़ियों का संकोचन करने वाला होता है।

वात, पित्त, फोड़े, जलन, क्षय और रक्त सम्बन्धी शिकायतों को यह समाप्त करता है। इसकी छाल सांप के विष निवारक व कई औषधियों का एक अंग हैं; तथा यह बुखार, तृषा व पेचिश में उपयोगी पाई गई है।

यूनानी- यह शीतल व रुक्ष है। पित्त प्रधान रोगों में यह फायदा पहुंचाता है। नाक के रोग में इसकी छाल पीसकर बकरी के तुरन्त दुहे दूध के साथ पिलाने से फायदा पहुंचता है।

1. अम्बाड़े के मुलायम फलों के 1 तोले रस को पांच तोले खड़ी शक्कर में मिलाकर सात रोज तक दोनों समय देने से अम्लपित्त में लाभ होता है।

2. इसके पत्तों का रस कान में टपकाने से और बाहर भी लगाने से कान के दर्द में फायदा होता है।

3. विष के बुझे हुये अस्त्र के जख्म पर इसके फल को पीसकर लगाने से तथा सूखे व गीले फल को खिलाने से फायदा होता है।

4. इसके पत्तों के चूर्ण और इसकी छाल के काढ़े को देने से आमातिसार में फायदा होता है।

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