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अरंडी (caster oil) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अरंडी (caster oil) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
अरंडी (caster oil) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अरंडी (caster oil)

प्रचलित नाम- अरंडी, एरंड।

प्रयोज्य अंग- बीज, पत्र, फूल।

परिचय- एरंड का पौधा लगभग सारे भारत में पाया जाता है। एरंड की खेती भी की जाती है तथा इसे खेतों के किनारे-किनारे लगाया जाता है। ऊंचाई में यह 2.4 से 4 मीटर होता है। एरंड का तना हरा तथा चिकना तथा छोटी-छोटी शाखाओं से युक्त होता है। एरंड के पत्ते हरे, खंडित, अंगुलियों के समान 5 से 11 खंडों में विभाजित रहते हैं। इसके पुष्प लाल व बैंगनी रंग के 30 से 60 सेमी. लंबे पुष्पदंड पर लगते हैं। फल बैंगनी और लाल मिश्रित रंग के गुच्छे के रूप में लगते हैं। हर फल में 3 बीज होते हैं, जो कड़े आवरण से ढंके हुए होते हैं। एरंड के पौधे के तने, पत्तों और टहनियों के ऊपर धूल जैसा आवरण चढ़ा रहता है, जो हाथ लगाने से चिपक जाता है। ये दो प्रकार के होते हैं। लाल रंग के तने तथा पत्ते वाले एरंड को लाल और सफेद रंग के होने पर सफेद एरंड कहते हैं।

स्वाद- एरंड खाने में तीखा, बेस्वाद होता है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

एरंड प्राचीन मल को निकालकर पेट को हल्का करता है। यह ठंडी प्रकृति वालों के लिए अच्छा होता है, अर्द्धांग, वात, गृध्रसी, झानक बाई (साइटिका के कारण पैदा बाय का दर्द), जलोदर (पेट में जल की अधिकता) तथा सभी वायुरोगों का नाशक है।

इसके पत्ते, जड़ और बीज, उसका तेल सभी औषधि के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। यहां तक कि ज्योतिषी तथा तांत्रिक भी ग्रहों के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए एरंड का उपयोग करते हैं।

अग्नि से जले की दवा

अरंडी के पत्तों को सरसों के तेल में मिलाकर लगाने से जले हुए में शान्ति मिलती है।

1. श्वेत एरंड बुखार, कफ, पेटदर्द, सूजन, बदनदर्द, कमरदर्द, सिरदर्द, मोटापा, प्रमेह तथा अंडवृद्धि का नाश करता है।

2. लाल एरंड पेट के कीड़े, बवासीर, रक्तदोष (रक्तविकार), भूख कम लगना, तथा पीलिया रोग का नाश करता है। इसके दूसरे गुण सफेद एरंड के समान हैं।

3. एरंड के पत्ते वात, पित्त को बढ़ाते हैं तथा मूत्रकृच्छ्र (पेशाब करने में परेशानी होना), वायु, कफ तथा कीड़ों का नाश करते हैं।

4. एरंड के अंकुर फोड़े, पेट के दर्द, खांसी, पेट के कीड़े आदि रोगों को नष्ट करते हैं।

5. एरंड के पुष्प ठंड से उत्पन्न रोगों, जैसे-खांसी, जुकाम तथा गुर्दा, बदनदर्द, पेटदर्द और फोड़े की बीमारी का नाश करता है।

6. एरंड की जड़ 20 ग्राम को 400 मिलीलीटर जल में पकाएं। जब यह 100 मिलीलीटर बाकी बचे तो इसे पिलाने से चर्म रोगों में लाभ होता है। एरंड के तेल की मालिश करते रहने से शरीर के किसी भी भाग की त्वचा फटने की पीड़ा दूर होती है।

7. यदि आपके केश खराब हो रहे हैं या कमजोर हो रहे हैं या आप अपने केशों को मजबूत बनाना चाहते हैं तो अरंड का तेल बहुत की लाभदायक सिद्ध हो सकता है। अरंड के तेल का प्रयोग बालों को मजबूत और सुंदर बनाने के लिए प्राचीन समय से होता चला आ रहा है। यूं तो इसका तेल कई बीमारियों को सही करने में, जैसे कब्ज इत्यादि, घरेलू उपचार के तौर पर रामबाण के रूप में प्रयोग किया जाता है, किन्तु अरंड का तेल केशों एवं सिर से सम्बंधित विभिन्न विकारों में भी बहुत ही प्रभावकारी प्रभाव दिखलाता है।

8. यदि आप तकरीबन 6-7 हफ्तों तक नियमित तौर पर इसके तेल का प्रयोग करती हैं तो आपके बाल सुंदर और घने हो सकते हैं। 6-7 हफ्तों तक नियमित तौर से सिर के ऊपर अरंडी का तेल लगाने से आप मजबूत, चमकदार और घने केश पा सकती हैं।

9. इसका तेल बीज से निकाला जाता है, जो कि हल्के पीले वर्ण का होता है। यह तेल केशों को बढ़ने में एवं नये बाल उगने में बहुत सहायता करता है।

10. अगर किसी पुरुष के बाल झड़ने लगे हैं और खतरा है कि कहीं गंजे न हो जाएं तो आप यह तेल लगा सकते हैं। आपको चाहिए कि सप्ताह में कम-से-कम दो दिन अपने सिर में इसका तेल अवश्य लगाएं।

11. ऐसा करने से आपके केशों की जड़ को पोषण मिलता है तथा रक्त संचार सुचारू रूप से चलता है, जिससे कि केशों की जड़ें मजबूत होती हैं और फलस्वरूप केश मजबूत बनते हैं। यह सर्वविदित है कि पुरुषों को गंजेपन से बचाने में अरंड का तेल काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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