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उटंगन के फायदे एंव औषधीय गुण | Blepharis Edulis benefits and medicinal properties in Hindi

उटंगन के फायदे एंव औषधीय गुण | Blepharis Edulis benefits and medicinal properties in Hindi
उटंगन के फायदे एंव औषधीय गुण | Blepharis Edulis benefits and medicinal properties in Hindi

उटंगन (Blepharis Edulis)

प्रचलित नाम- शिरिआरी, चौपतिया, उटिंगन, उटंगन के बीज।

उपलब्ध स्थान-उटंगन के पौधे सजल स्थानों, ठण्डी जगहों और नदी के कछारों में पैदा होते हैं।

परिचय- इसके पत्ते चंगेरी की तरह एक साथ चार-चार लगते हैं। उन चार पत्तों के मध्य में कली लगती है। इसके फलों के बीच में दो चपटे बीज रहते हैं। ये बीज तालमखाने के समान चिकने होते हैं। इसके पत्तों का शाक बनाकर खाया जाता है। इसका शाक अच्छा निद्राजनक होता है।

 उपयोगिता एवं औषधीय गुण

आयुर्वेद – उटंगन के पत्तों का शाक शीतल, मलरोधक, त्रिदोषनाशक, हल्का, स्वादिष्ट, कसैला, रूखा, दीपन, रुचिकारक तथा बुखार, श्वास, प्रमेह, कोढ़ और भ्रम को दूर करने वाला होता है। इसके पत्तों में पाचक गुण होते हैं। ताजे फलों का रस या उबाल कर पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करना भी लाभदायक है।

इसके पत्ते सुगन्धित और तीखे होते हैं। ये आंतों के लिए संकोचक, कामोद्दीपक, क्षुधावर्द्धक, धातुपरिवर्तक, कृमिनाशक तथा निद्राजनक होते हैं। त्रिदोष और ज्वर में तथा मूत्र-नली सम्बन्धी रोगों में और मानसिक विकृति में ये बड़े उपयोगी रहते हैं। इसका लेप लगाने से जख्म और व्रण में भी फायदा होता है।

कब्ज और खुलकर भूख न लगने में इसके पत्तों को अल्प मात्रा में उपयोग करना चाहिए। इससे कब्जियत मिट जाती है व भूख खुलकर लगने लगती है।

इसके बीज मूत्रकृच्छ्र (सुजाक) की बीमारियों में बड़े लाभकारी होते हैं।

  1. उटंगन के बीज 1 माशा, मिश्री 1 माशा, इनको मिलाकर लेने से बन्द हुआ मूत्र फिर आरम्भ हो जाता है।
  2. मट्ठे के साथ इसके बीजों को पीसकर पीने से मूत्रकृच्छ्र में फायदा होता है।
  3. इसके पत्तों का शाक, तेल तथा जल के साथ बनाकर, बिना नमक डाले जोड़ों के दर्द के रोगियों को देने से फायदा मिलता है।

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