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कत्था के फायदे | Benefits of Acacia Catechu in Hindi

कत्था के फायदे | Benefits of Acacia Catechu in Hindi
कत्था के फायदे | Benefits of Acacia Catechu in Hindi

कत्था (Acacia Catechu)

नाम- खैर, कत्था ।

उपयोगी अंग- रस, लकड़ी।

परिचय- इसे पान में खाया जाता इसका उत्पादन खैर नामक एक पेड़ के सारसत्व से किया जाता है

उपयोगी एवं औषधीय गुण

आयुर्वेद – कत्था कसैला, गरम, कड़वा, रुचिकारक, अग्निदीपक, दांतों को मजबूत करने वाला, चरपरा और कफ, वात, व्रण, कंठरोग, सब तरह के प्रमेह, कृमि, मुखरोग, हर प्रकार के कुष्ठ, शरीर की स्थूलता और बवासीर को समाप्त करता है। इसकी तासीर पाचक होती है। आमाशय में पहुंचकर यह भोजन को जल्दी पचाने में सहयोग करता है, जिससे कब्ज से होने वाले रोगों का शमन होता है।

यूनानी- यह ठण्डा और खुश्क है। यह कब्ज नाशक और खुराक उत्पन्न करने वाला होता है। इसका मंजन मसूढ़ों और दांतों को मजबूत कर देता है। इसका चूर्ण घाव पर भुरभुराने से जख्म जल्दी भरते हैं। इसके जल में जीरा देकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं और मामूली दस्त बन्द हो जाते हैं। आंतों के जख्म और मरोड़ के लिए भी यह लाभदायक है। कुष्ठ, सुजाक और फोड़े के लिए इसका शर्बत लाभ पहुँचाता है। कत्था में रोग प्रतिरोधक क्षमता रहती है, अतः इसका बाहरी एवं आन्तरिक प्रयोग दोनों ही लाभदायक है।

1. कत्था 5 रत्ती, दालचीनी 5 रत्ती, इन दोनों को पीसकर सिरके में घोटकर, गोली बना लेनी चाहिए। इसमें से एक गोली दिन में तीन बार देने से अतिसार में फायदा होता है।

2. कत्था तीन ड्राम, दालचीनी एक ड्राम, उबलता हुए जल 10 औंस, इनको मिलाकर दो घण्टे तक पड़ा रहने दें। बाद में इसे छान लें। इसमें से एक औंस की खुराक दिन में तीन बार लेने से अतिसार में फायदा होता है।

3. पुराने पीव, बहाते हुए फोड़े पर मोम के साथ लेप बनाकर लगाने से फायदा होता है।

4. इसके लेप में नीला थोथा मिलाकर नासूर पर लगा देना चाहिए।

5. घाव पर इसका चूर्ण बुरकने से खून का बहना बन्द हो जाता है। उपदंश स्थान पर इसका चूर्ण बुरकने से फायदा होता है।

6. दो रत्ती कत्था और दो रत्ती हल्दी में मिश्री मिलाकर फंकी लेने से सूखी खांसी मिट जाती है।

7. दो-तीन तोले कत्थे को जल में पीसकर पिलाने से संखिए का जहर उतर जाता है। कुछ वैद्यों के मतानुसार, बड़ी मात्रा में कत्था लेने से पुरुषार्थ समाप्त हो सकता है।

8. श्वेत कत्था और कलमी शोरा बराबर लेकर महीन पीसकर बुरकने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।

9. अरीठे के छिलके की राख और पपड़िया कत्था को बराबर भाग में पीसकर रख लेना चाहिए। इस चूर्ण में से एक रत्ती चूर्ण मक्खन में मिलाकर देने से तथा नमक, मिर्च, तेल, खटाई, छोड़ देने से बवासीर से गिरने वाला रक्त बन्द हो जाता है।

10. कत्थे का चूर्ण कान में बुरकने से कान से बहता हुआ पीव बन्द होता है।

11. दो-ढाई रत्ती कत्थे की टिकिया बनाकर मुख में चूसने से मसूड़ों के दुःसाध्य दर्द भी खत्म हो जाते हैं।

12. कत्थे को पांच गुने जल में औटाकर, जब पानी का आठवां भाग बाकी रह जाये, तब उसमें जायफल, कपूर, और सुपारी को पीसकर गोली बनाकर मुख में रखने से मुख-पाक इत्यादि मुख के रोग मिटते हैं। यदि पायरिया के कारण बोलते वक्त दुर्गंध आती है तो वह भी समाप्त होती है। इसमें पायरिया जीवाणुओं को समाप्त करने की भी तासीर होती है।

13. कत्था, किणगच और कसीस के चूर्ण से मंजन करने से दांत तथा मसूड़े दृढ़ होते हैं। मगर अधिक दिनों तक इसको लगाने से दांत काले पड़ जाते हैं।

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