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करंजी (Holoptelea Intergrifolia) के फायदे एवं औषधीय गुण

करंजी (Holoptelea Intergrifolia)   के फायदे एवं औषधीय गुण
करंजी (Holoptelea Intergrifolia) के फायदे एवं औषधीय गुण

करंजी (Holoptelea Intergrifolia)

प्रचलित नाम- करंजी, कंच, धामना, कन्द्रु

उपलब्ध स्थान- यह एक फैलने वाला पेड़ होता है। इसका झाड़ काफी ऊंचा होता है। इसका छिलका कुछ सफेदी लिए हुए राख के रंग का होता है।

विवरण- यह हिमालय के नीचे हिस्सों में अजमेर, बुन्देलखण्ड, बिहार, आसाम, ब्रह्मा, पश्चिमी प्रायद्वीप तथा श्रीलंका में उत्पन्न होता है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

इस पेड़ का छिलका लुआबदार होता है। इसको उबालकर, इसका रस निचोड़ कर संधिवात की सूजन पर लगाते हैं। रस निचोड़े हुए छिलके को पीसकर लगे हुए रस के भाग पर लगा देते हैं। इसके पत्तों की लुगदी से सिद्ध किया हुआ तेल फोड़े-फुन्सियों पर लगाया जाता है। इसके बीजों को जल में पीसकर सूजन पर लगाते हैं। इसका प्रयोग समान्यतः त्वचा के ऊपरी भाग पर किया जाता है। करंजी पेड़ की छाल को पीसकर त्वचा रोगों में पीड़ित अंग पर लगाने से जल्दी लाभ मिल जाता है।

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