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कसीस (Ferry Sulphaz) के फायदे एंव औषधीय गुण  

कसीस (Ferry Sulphaz) के फायदे एंव औषधीय गुण  
कसीस (Ferry Sulphaz) के फायदे एंव औषधीय गुण  

कसीस (Ferry Sulphaz)

प्रचलित नाम – कसीस, पुष्पकासीस, हीराकसी। उपलब्ध स्थान – यह वनों में होने वाला लता रूपी एक छोटा है वृक्ष है। परिचय- यह नीम की तरह का, पत्तियों और पुष्प रूप में छोटा होता है। आयुर्वेदिक मत से कसीस कसैला, शीतल, आंखों को कान्तिवर्द्धक तथा विष और कृमि का नाश करने वाला, बालों में हितकारी तथा खुजली, मूत्रकृच्छ्र, पथरी, व्रण, कुष्ठ और क्षय में लाभकारी है। पुष्प कसीस गरम, कसैला, बाल रंजक तथा उपरोक्त सब गुणों से युक्त होता है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

यूनानी- सफेद तथा जर्द कसीस गरम और खुश्क होता है और सुर्ख कसीस कम गर्म व खुश्क होता है। इसकी सभी किस्में होती हैं। यह ढीले अंगों में चुस्ती और सख्ती उत्पन्न करती है। यह घाव पर लगाने से खुरंट बना देती है। तर खुजली और सिर की गंज में भी यह लाभकारी है। नासूर में कसीस के रस में रूई की बत्ती भिगोकर जख्म पर रखने से फायदा होता है। इसकी छाल को पीसकर मंजन में डालने से मसूढ़ों के जख्मों में लाभ होता है।

1. आधुनिक अन्वेषणों से पता चला हैं कि कसीस कारबंकल नामक फोड़े के भीतर, जिसको पाठे का दर्द भी कहते हैं और जो मधु प्रमेह की वजह से उत्पन्न होता है, बड़ी लाभकारी सिद्ध है। औंस जल में 5 ग्रेन हीराकसी डालकर उस लोशन में रूई को भिगोकर, रोग के दूषित भाग पर रखने से शान्तिदायक, ग्राहिक तथा जन्तुघ्न प्रभाव होता है। यह प्रयोग अत्यन्त असरकारक, निर्भक, किसी प्रकार के विषाक्त प्रभाव से रहित और सस्ता होता है। एक रोगी का रोग मिटाने के लिए थोड़े से रुपए की कसीस काफी होती है। अनपढ़ ग्रामीण इसका प्रयोग उपयोग निडर होकर करते हैं।

2. कसीस और कैंथ की गिरी को मधु के साथ चटाने से हिचकी बन्द हो जाती है।

3. इसको मंजन में डालकर दांत पर रगड़ने से हिलते हुए दांत मजबूत हो जाते हैं।

4. इसकी छाल को पीसकर, गुलाब में मिलाकर अग्नि पर मलहम की तरह पकाकर, कागज पर लगाकर नासूर पर बाँधने से आराम मिलता है।

दर्पनाशक- इसके दर्प का नाश करने के लिए मक्खन, मिश्री, ताजा घी तथा दूध है।

प्रतिनिधि- इसका प्रतिनिधि सज्जी तथा फिटकरी है। मात्रा-इसकी खाने की मात्रा दो रत्ती तक की होती है।

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