जड़ी-बूटी

काकतेंदू (Diospyro Melanoxylon) के फायदे एंव औषधीय गुण

काकतेंदू (Diospyro Melanoxylon) के फायदे एंव औषधीय गुण
काकतेंदू (Diospyro Melanoxylon) के फायदे एंव औषधीय गुण

काकतेंदू (Diospyro Melanoxylon)

प्रचलित नाम- तेन्दु, काकतेंदू ।

उपलब्ध स्थान- यह वृक्ष मध्यप्रदेश, छोटा नागपुर, बिहार, पश्चिमी प्रायद्वीप और श्रीलंका के वनों में होता है।

परिचय – यह तिन्दू की ही एक उपजाति है। इसका फल टीमरू (एक पेड़) की तरह होता है। औषधि प्रयोग में इसकी छाल ही विशेष तौर से काम में आती है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

आयुर्वेद – इसका फल कड़वा, कसैला, शीतल, पचने में हल्का, चरपरा, मल रोधक तथा आंतों को सिकोड़ने वाला होता है। पकने पर पित्त और वात को दूर करता है।

यूनानी- इसके पत्ते मूत्रल, पेट के अफारा को दूर करने वाले, मृदु विरेचक तथा रक्तस्राव रोधक होते हैं। ये नकसीर और रतौंधी में लाभ पहुंचाते हैं। नेत्रों की रोशनी बढ़ाते हैं तथा चक्षु रोग, बालों के रोग, दाह, खुजली, पुराने घाव और क्षय की ग्रन्थियों में फायदा पहुंचाते हैं। इसके सूखे हुए फूल कामोद्दीपक, रक्तवर्धक, मूत्रल तथा श्वेत प्रदर में लाभकारी होते हैं। मूत्रकृच्छ्र, तिल्ली के प्रदाह, खुजली, रतौंधी और रक्ताल्पता में भी फायदेमंद होते हैं। श्वेत प्रदर काकतेंदू के सूखे हुए पुष्पों को उबालकर क्वाथ बनाएं। दिन में तीन बार तीन-तीन चम्मच एक सप्ताह तक सेवन करें। श्वेत प्रदर का नाश हो जाता है।

इस पेड़ की छाल संकोचक होती है। इस छाल का काढ़ा शिथिलता प्रधान मन्दाग्नि, रक्तातिसार और जीर्ण आंव में पौष्टिक औषधि के रूप में दिया जाता है। इसके छाने हुए जल से नेत्र धोने से नेत्राभिष्यन्द रोग में लाभ होता है।

इसे भी पढ़ें…

About the author

admin

Leave a Comment