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कासनी (Cichorium Intybus) के फायदे एवं औषधीय गुण

कासनी (Cichorium Intybus) के फायदे एवं औषधीय गुण
कासनी (Cichorium Intybus) के फायदे एवं औषधीय गुण

कासनी (Cichorium Intybus)

प्रचलित नाम- कासनी।

उपलब्ध स्थान- यह वनस्पति उत्तर-पश्चिमी हिन्दुस्तान में 6,000 फीट की ऊंचाई तक तथा बिलोचिस्तान, पश्चिमी एशिया और यूरोप में उत्पन्न होती है।

परिचय- इसके पत्ते काहू के पत्तों की भाँति होते हैं। इसके फूल चमकीले नीले वर्ण के होते हैं। इसकी मंजरियाँ कोमल होती हैं। इस वनस्पति का रस दूधिया होता है। इसकी दो जातियाँ होती हैं-एक, जिसकी खेती होती है और दूसरी, जो अपने आप वनों में पैदा होती है। जो खेतों में उत्पन्न होती मीठी होती है; और जो वनों में पैदा होती है, वह कड़वी होती है

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

प्यास, सिरदर्द, नेत्र-रोग, गले की जलन, यकृत की बढ़ोत्तरी, वमन और अतिसार में कासनी का औषधीय गुण लाभकारी होता है। इसकी जड़ इस वनस्पति का सर्वोत्तम भाग है। यह उत्तम अग्निवर्धक, मूत्रल, रक्तवर्धक और शोधक होती है। कासनी के पत्तों का लेप जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए प्रयोग लाया जाता है। इसके बीज दिमाग को शक्ति देने वाले होते हैं। ये कृमिनाशक, क्षुधावर्धक और सिरदर्द, आंखों के रोग, कटिवात, यकृत रोग और श्वास कष्ट में लाभदायक है।

कासनी के बीज- सर्द और खुश्क रहते हैं। ये सिरदर्द, दिल की धड़कन, जिगर की गर्मी और प्यास, पीलिया, गुर्दे तथा तिल्ली की बीमारी में लाभकारी है; मगर दमा और खाँसी में ये नुकसान पहुँचाते हैं। इनकी मात्रा 7 माशे से 10 माशे तक है। दमा और खांसी के रोगी कासनी का प्रयोग न करें।

कासनी की जड़- चात, पित्त और कफ आदि में लाभकारी तथा शारीरिक तत्वों को कोमल करती है। यह गर्मी से पैदा हुए गठिया में लाभदायक है। इसकी जड़ को पीसकर बिच्छू के दंश स्थान पर लगाने से फायदा होता है।

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