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कासमर्द (Negro Coffee) के फायदे

कासमर्द (Negro Coffee) के फायदे
कासमर्द (Negro Coffee) के फायदे

कासमर्द (Negro Coffee)

प्रचलित नाम- कासमर्द ।

उपयोगी अंग- पंचांग, मूल, कांड, पत्र एवं फल ।

परिचय- एक महाकाय काष्ठीय 3-4 फुट ऊँचा, दुर्गन्ध युक्त गुल्म होता है। इसके पत्र संयुक्त पक्षवत, गहरे हरे रंग के फूल पीतवर्णी, चिपटी फली, 4-5 इंच लम्बी।

स्वाद- तीखा ।

गुण- कामोत्तेजक, दीपन, मूत्रल, रुचिकर, ज्वरघ्न, कुष्ठघ्न, कफ निःसारक, पाचक, कासहर ।

गुण एवं मात्रा- कास में, पाचक शक्तिवर्द्धक, कंठ अवरोधनाशक, रक्तशोधक, मूल की छाल लाभकारी है। दद्रु जैसे चर्मरोग में अम्ल अत्यंत मूल्यवान प्रभाव डालता है। इसके बीजों का मलहम बनाकर प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार इसके बीज को छाछ में पीसकर दद्रु रोग पर प्रयोग करने से फायदा होता है। कासमर्द चर्म रोगों की उत्तम दवा है। इसमें विषाणुओं का नाश करने का गुण है, अतः हर तरह के दाद, खुजली रोगों में लाभदायक है। इसके पंचांग का क्वाथ बनाकर पिलाये जाने से श्वांसरोग, कास तथा काली खाँसी में फायदा होता है। क्वाथ बनाने के लिए इसके पंचांग का चूर्ण दो तोला, जल (32 तोला) में उबालकर, चार तोला बाकी रह जाए, तब छानकर एवं थोड़ा-सा शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए। इस क्वाथ के सेवन से खाँसी तथा श्वास रोग के अतिरिक्त यह रक्त शोधक तथा चर्मरोगों में भी लाभदायक है। क्वाथ मूत्रकृच्छ्र एवं शोध में लाभकारी, बीज का उपयोग चर्म विकारों (कुष्ठ रोग में) लाभदायक। पत्र-रस का शहद के साथ उपयोग कफ-ज्वर एवं श्वासरोग में लाभकारी। पत्तों को पीसकर इसका लेप व्रण शोथ एवं दाह युक्त चर्मरोगों में लाभकारी है। इसके बीज का प्रयोग कॉफी में किया जाता है। इसलिए इस वनौषधि को अंग्रेजी में नीग्रो कॉफी प्लान्ट कहा गया। इसके बीज को लोहे के तवे पर थोड़ा घी डालकर सेक लेना चाहिए। इसके चूर्ण का उपयोग पोल्सन कॉफी के स्थान पर किया जा सकता है। इसके सेवन से ज्वर, कास तथा श्वासरोग तथा हिचकी में इसके पत्तों का क्याथ बनाकर पिलाने से इन दोनों रोगों में लाभदायक है। श्वासरोग के रोगी के लिए इसके पत्रों का शाक अधिक लाभकारी है। इसके बीज में काईसोफेनिल अम्ल होता है। कॉफी के रूप में प्रयोग किए जाने की वजह से इसमें मस्तिष्क को शान्त करने का गुण है, अतः श्वास रोग में होने वाली व्याकुलता में आराम देकर यह श्वास की उखड़ती दशा पर नियंत्रण करता है।

दद्रु चर्मरोग में – इसके मूल को सिरके में पीसकर प्रयोग करने से फायदा होता है। चरक संहिता में सांस के रोग एवं खाँसी के लिए कासमर्द का प्रयोग लिखा है। कासमर्द, सहिजन तथा मूली के पत्तों का सूप प्रयोग करना चाहिए। एक-से-तीन ग्राम उष्ण जल के साथ रोजाना पत्रों को पीसकर थोड़ा-सा गरम कर फोड़े पर बाँधना चाहिए, पककर फूट जाता है।

मात्रा – 3-6 ग्राम। मूल क्वाथ-40-80 मि.ली. ।

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