कुनफुटी (Cordiospermum Halicacabum)
प्रचलित नाम- कुनफुटी।
उपलब्ध स्थान – वर्षाकाल में पूरे भारतवर्ष में।
परिचय- कुछ लोग कुनफुटी को मालकांगनी की ही एक जाति समझते हैं। इसके पत्ते तीखी नोक वाले, पुष्प श्वेत, फल गोल- लम्बाकार, कुछ चपटे एवं शाखाएं कोमल तथा चिकनी होती हैं।
उपयोगिता एवं औषधीय गुण
आयुर्वेद – आयुर्वेदिक मत से इसकी जड़ पसीना लाने वाली, मूत्रल, विरेचक और वमनोत्पादक होती है। बुखार में भी इसका प्रयोग किया जाता है। ‘चरक’ और ‘सुश्रुत’ के मतानुसार यह वनस्पति सर्पदंश में भी उपयोगी है। ‘चरक’ और ‘वाग्भट’ के मतानुसार, यह बिच्छू के विष में भी लाभदायक है। बहुत छोटी मात्रा में यह हृदय को अत्यन्त शक्ति देने वाली औषधि है; मगर ज्यादा मात्रा में यह हृदय पर घातक असर करती है, जिससे शरीर ठंडा पड़ जाता है, नाड़ी की गति एकदम से धीमी पड़ जाती है और हृदय तथा श्वासोच्छवास की क्रिया बंद हो जाती है। इसलिए इसे अल्प मात्रा में लेना चाहिए।
कनेर के विष का प्रभाव- ज्यादा मात्रा में कनेर खाने से पेट फूलता है, आंखें फटने-सी लग जाती हैं, नाड़ी की गति एकदम धीमी हो जाती है, ऐंठन आती है और दिल की धड़कन, श्वासोच्छ्वास की क्रिया बंद होने लग जाती है, ऐसी स्थिति में यूनानी हकीमों के मतानुसार कुनफुटी के साथ छाछ और इसबगोल का लुआब, रोगन बादाम, भीर, कतीरे का हलुआ इत्यादि चीजें खिलाने से तथा तरावटी चीजों का प्रयोग करने से उत्तम लाभ होता है।
1. खुजली और चर्म रोग में कुनफुटी के पत्ते या पुष्प को जल में जोश दें। फिर इस जल से आधे वजन का जैतून का तेल लेकर उसे पानी में डाल दें और जोश दें। जब पानी जल कर सिर्फ तेल मात्र रह जाए, तब उसमें चौथाई वजन मोम मिलाकर उतार लें। इस तेल की हर तरह की खुजली पर मालिश करने से फायदा होता है।
2. दही, पीला गन्धक और कुनफुटी के पत्ते बराबर भाग लेकर बारीक पीसकर बकरी की चर्बी में मिलाकर, तर खुजली पर मलने से एक सप्ताह में खुजली मिट जाती है।
3. कुनफुटी की जड़ को जल में उबाल कर उसमें राई का तेल डालकर औटाएं। जब जलकर तेल मात्र रह जाए, तब उसको उतारकर छान लेना चाहिए। इस तेल को चर्म रोगों पर मलने से बड़ा फायदा होता है।
4. अंगूर के सिरके में कुनफुटी जड़ को पीसकर दाद पर लगाने से दाद में काफी जल्दी आराम मिलता है।
5. हरी सौंफ और काकंज के रस के साथ कुनफुटी पीसकर नेत्र में लगाने से नजला पलकों की मुटाई, जाला, फूली इत्यादि आंख के रोग शांत होते हैं
6. कुनफुटी की जड़ को कंटाली के रस में खरल करके इन्द्री (लिंग) पर लेप करने से नपुंसकता मिट जाती है और लिंगेन्द्रिय पुष्ट होती है।
7. कुनफुटी पत्तों को औटाकर तथा पीसकर तेल में मिलाकर मालिश करने से जोड़ों का दर्द दूर हो जाता है। इससे बदन की हड़कन युक्त वेदना तथा बुखार के बाद की वेदना में भी फायदा होता है।
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