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कुन्दुरू (Ivy-Gourd) के फायदे एवं औषधीय गुण

कुन्दुरू (Ivy-Gourd) के फायदे एवं औषधीय गुण
कुन्दुरू (Ivy-Gourd) के फायदे एवं औषधीय गुण

कुन्दुरू (Ivy-Gourd)

प्रचलित नाम- कन्दूरी, कुन्दुरू, बिम्बी।

उपयोगी अंग- पंचांग, फल, पत्ते एवं मूल ।

परिचय- यह चिरस्थायी सूत्रारोही लता होती है। कांड पाँच धार वाला होता है, फूल श्वेत एकलिंगी। फल मांसल, कच्ची अवस्था में 10 श्वेत धारियों से युक्त चमकीले हरे, पकने पर गहरे लाल रंग के होते हैं।

स्वाद- तीखा।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

फंफूदी नाशक, शीतल, ग्राही, वमन शामक, व्रण रोपण, फल-स्तंभक, रुचिकर ।

इसकी कड़वी जाति ज्यादा औषधि के गुणवाली है। इसका उपयोग मधुमेह, बुखार, कास, श्वासरोग, कामला, विबंध, यक्ष्मा, आध्मान व्रण में लाभदायक है।

इसका बाहरी प्रयोग दाह, खाज-खुजली, फोड़े-फुन्सियों में लाभदायक है। कांड एवं पत्तों का रस मधुमेह में लाभदायक है। पत्रों का स्वरस व्रण एवं पत्रों का रस मधुमेह में लाभदायक है। पत्रों का स्वरस व्रण एवं. त्वचा रोगों पर लाभदायक है।

फल का प्रयोग-

जीभ में छाले होने पर फल को चबाने से लाभ होता है। इसकी कड़वी तथा मीठी दो प्रकार की जातियाँ पायी जाती हैं। कड़वी जाति कोई भी नहीं खाता, जबकि मीठे जाति अधिक स्वादिष्ट होने के कारण इसके फलों का प्रयोग शाक बनाने में किया जाता है। ये मीठे तथा शीतल होते हैं।

इसके फल-गुरु, शीतल, मलस्तंभक, स्तन्यकारक, रुचिकर होते हैं। इसके पित्त, रक्त दोष हैं। गर्भवती स्त्री को समय से पहले गर्भ चलन या आर्त्तव होने लगे तो इस लता के कांड को एक अंगूठे जितना मोटा लेकर, ठंडे पानी में डालकर अच्छी तरह कूटना चाहिए तथा औसतन 125 मि.ली. जितना रस निकालकर, इसमें 3 माशा जीरे का चूर्ण तथा दो तोला मिश्री मिलाकर रोजाना दो बार आर्त्तव हुए दिन से चार दिन तक सेवन कराना चाहिए। इससे निश्चित रूप से फायदा होता है। इस औषधि का उपयोग गर्भधारण के तीन माह बाद से आरंभ करना चाहिए। इससे पहले इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

मात्रा- पत्र, फल तथा मूल का स्वरस 30 मि.ली. दिन में दो बार चूर्ण (मूल की छाल) 10 ग्राम रात को सोते समय गर्म जल के साथ।

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