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कुलिंजन (Greater Galangal) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

कुलिंजन (ग्रेटर गैलंगल) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
कुलिंजन (ग्रेटर गैलंगल) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

कुलिंजन (Greater Galangal)

प्रचलित नाम – कुलिंजन, महाभारी वच

उपयोगी अंग – मूल कंद

परिचय- यह चिरस्थायी गुल्म, भूमिजन्य, सुगंधित मूल कंद युक्त, 6-15 इंच लम्बे, फूल सफेद हरिताभ होता है।

स्वाद- उग्र गंध युक्त।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

सुगंधित, उत्तेजक, कफनिःसारक, दीपन, पाचन, वातहर, बल्य, बाजीकरण ।

यह कास, जुकाम, आमवात, सांस का रोग, मधुमेह, स्वरभंग, दंतरोगों में उपयोगी होता है। अन्य औषधियों को सुगंधित करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

इसके मूल का चूर्ण शहद के साथ चटाने से खांसी, श्वास रोग, कुक्कर खाँसी, बच्चों तथा बूढ़ों के श्वसन संस्थान विकारों में लाभ होता है। एवं श्वास रोग दूर होकर बुखार में लाभकारी है। इसके उद्वेष्टनरोधी गुण के कारण श्वास रोग में फायदा होता है।

पाचन विकारों में-इसके पाचन, दीपन तथा अपने आप होने वाले मूत्रत्याग में इसके क्वाथ का प्रयोग लाभदायक है। इसकी जड़ को चबाने से मुख की दुर्गंध दूर होती है एवं बाजीकरण के लिए लाभ होता है। दंतशूल में-जड़ का चूर्ण दांतों में रगड़ने से फायदा होता है। शरीर पर अधिक पसीना आता हो तो इसका चूर्ण शरीर पर रगड़ना चाहिए। इसका रस बनाकर पीने से सुंदर कान्तिमय देह बनती है। अगर दाँत दुखते हों, तो कुलिंजन चबाने से दाँतों का दर्द शांत रहता है।

मात्रा – चूर्ण-2 से 6 मिली ग्राम।

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