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कुल्थी (Dolicos Biflorus) के फायदे एंव औषधीय गुण

कुल्थी (Dolicos Biflorus) के फायदे एंव औषधीय गुण
कुल्थी (Dolicos Biflorus) के फायदे एंव औषधीय गुण

कुल्थी (Dolicos Biflorus)

प्रचलित नाम- कुल्थी, गहाट।

उपलब्ध स्थान- यह दलहन के रूप में पूरे भारतवर्ष में उगायी जाती है।

परिचय- इसका दाना मसूर के दाने से थोड़ा बड़ा, चिकना और चपटा होता है।

उपयोगिता तथा औषधीय गुण

आयुर्वेद – आयुर्वेदिक मत से इसके बीज कड़वे, कसैले, गरम तथा खुश्क होते हैं । यह आंतों को सिकोड़ने वाली, ज्वरनाशक, कृमिनाशक तथा मज्जा वर्द्धक होती है। श्वांस, खांसी, मुंह के रोग, हिचकी, उदर रोग, हृदय रोग, पीनस और मस्तिष्क सम्बन्धी पीड़ा में यह मुफीद है। आन्त्रशूल, पथरी, नेत्र रोग, बवासीर, कुष्ठ और विष को समाप्त करने में भी यह उपयोगी है। यह मूत्राशय की पथरी को दूर कर देती है। कुल्थी के पत्तों को उबालकर इसका काढ़ा तैयार करें। दिन में दो से तीन बार तीन-तीन चम्मच इस काढ़े को पीने से मूत्र की पथरी बाहर निकल जाती है। इस काढ़े का सेवन कम-से-कम एक सप्ताह तक करें।

यूनानी – यूनानी मत से यह भूख बढ़ाने वाली, मूत्र निःस्सारक, नेत्र के रोगों को दूर करने वाली तथा मसाने और गुर्दे की पथरी को तोड़ने वाली है। इसके सेवन से हिचकी खत्म हो जाती है, दस्त साफ आता है। पेशाब और मासिक धर्म खुलकर आता है, तिल्ली की खराबी दूर हो जाती है। बवासीर पर इसका लेप करने से फायदा होता है। इसके लगाने से गालों का रंग साफ होकर कान्ति निखर जाती है।

इसकी दाल कफ तथा पित्त को दूर करती है। भोजन के बाद होने वाली कै (उल्टी) को यह दूर कर देती है। इसकी जड़ का काढ़ा पिलाने से श्वेत प्रदर बन्द हो जाता है। यह गुर्दे और मसाने की पथरी को तोड़कर बाहर निकाल देती है। बच्चा होने के पश्चात् गर्भाशय में बिगड़े हुए खून का जो मैल और मवाद रह जाता है, उसे यह दूर कर देती है। कुल्थी को पकाकर खाने से शरीर का मोटापा कम हो जाता है। इसके काढ़े में सरपंखे की जड़ तथा सैंधा नमक मिलाकर पिलाने से पेशाब में शक्कर का आना भी रुक जाता है।

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