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केल (Pinus Excelsa) के फायदे एंव औषधीय गुण

केल (Pinus Excelsa) के फायदे एंव  औषधीय गुण
केल (Pinus Excelsa) के फायदे एंव औषधीय गुण

केल (Pinus Excelsa)

प्रचलित नाम- किल, केल, कुएल।

उपलब्ध स्थान- यह गढ़वाल, कुमायू तथा सिक्किम की पहाड़ियों में 6,000 से 12,000 फीट की ऊँचाई पर पाया जाता है।

परिचय- यह एक चीड़ की जाति का ऊँचा पेड़ होता है। इसकी छाल कोमल व खाकी रंग की होती है। प्राचीन झाड़ों की छाल खुरदरी हो जाती है। इसके पत्तों के पाँच-पाँच के गुच्छे लग जाते हैं।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

यह औषधि कफ, काण्डू और चर्म रोगों का नाश करने वाली होती है। इसका तेल ‘कूएल’ तेल के नाम से विख्यात है। श्वांस नलिका की पुरानी सूजन की वजह से उत्पन्न हुए कफ रोगों में कूएल तेल काफी लाभ पहुंचाता है। इससे कफ की दुर्गन्धि नष्ट होती है। कफ उत्पन्न होने की क्रिया कम होती है। कफ शीघ्र गिरता है और श्वांस नलिका में उत्तेजना उत्पन्न होती है। इसका कफनाशक धर्म उच्चकोटि का है। फेफड़ों में जमा हुआ कफ भी इसके तेल के प्रयोग से पतला होकर नाक और मुंह के मार्ग से निकल जाता है।

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