कॉफी (Coffea Oradiea )
प्रचलित नाम- कॉफी
उपलब्ध स्थान – यह भारत के दक्षिणी भाग एवं श्रीलंका में पैदा होती है।
परिचय- इसके पौधे झाड़ीनुमा 8 (फीट) लंबे होते हैं। इसके फल में गेहूँ के दाने से कुछ बड़े काले रंग का बीज होता है। इन्हीं बीजों का भुना हुआ चूर्ण भारत में अन्य स्थानों पर गरम पेय के रूप में प्रयोग किया जाता है।
उपयोगिता एवं औषधीय गुण
यह एक विदेशी वनस्पति होती है, इसलिए प्राचीन आयुर्वेद में इसका वर्णन नहीं मिलता, पर वर्तमान में इसको औषधि के रूप में काफी सेवन किया जाने लगा है। यूनानी चिकित्सकों ने इसके निम्नलिखित गुण बतलाए हैं-
यह रक्त के जोश और पित्त की तेजी को कम करती है। कॉफी कण्ठ अवरोध को खोलती है। यह पित्त के बुखार, चेचक तथा खसरा में लाभकारी है। खून में गड़बड़ी से उछली हुई पित्ती को मिटाती है। कॉफी पीलिया में लाभदायक है। कब्ज को मिटाती है। मूत्रल है। कफ की खांसी को दूर कर देती है। शरीर की थकावट को मिटाती है और स्फूर्ति उत्पन्न करती है। आधुनिक चिकित्सकों के मतानुसार इसके गुण निम्नलिखित हैं-
इसके पदार्थों में कैफिन पदार्थ सबसे प्रधान है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है। इसके गुण रक्ताभिसरण क्रिया और केन्द्र के स्नायु मंडलों को उत्तेजना देने वाले एवं मूत्र निस्सारक भी हैं। इन्हीं उपरोक्त गुणों की वजह से चिकित्सा शास्त्र में इसकी बड़ी उपयोगिता है।
यह हृदय, श्वास-प्रश्वास क्रिया, स्नायुमंडल, मेरूदंड, आमाशय, गुर्दा तथा रक्त की क्रिया पर उत्तेजक असर डालती है, इसलिए जब कभी इन अंगों से सम्बन्धित कोई रोग हो और वहाँ किसी उत्तेजक, प्रभावशाली औषधि की जरूरत हो, तो कॉफी को उपयोग में लाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इसमें पसीना लाने तथा पेशाब बढ़ाने का गुण भी विद्यमान है। यह स्टिम्यूलेंट भी है; इसलिए यह पूरी क्रिया को स्टिम्यूलेट करने के साथ-साथ पाचन क्रिया में सहायक होती है और फिर रक्त में मिल जाती है। रक्त के साथ मिलकर यह हृदय की पेशियों पर अपना उत्तेजक असर डालती है, जिसके फलस्वरूप हृदय की गति अधिक हो जाती है। इससे रक्त दबाव बढ़कर रक्त संचालन क्रिया में सहायक बन जाता है। लेकिन यही अधिक मात्रा में देने से हृदय में आक्षेप पैदा करती है, जिससे हार्ट पेरेलाइज हो जाता है। श्वास-प्रश्वास की क्रिया पर भी यह अपना उत्तेजक प्रभाव डालकर उसे तेज कर देती है। दिमाग के ऊपर इसका असर अफीम के असर से ठीक विपरीत होता है, इसलिए जब कभी अफीम के सेवन से नींद आती हो, तो इसके सेवन से शिथिलता दूर हो जाती है।
1. कॉफी के पत्ते बुखार को नष्ट करने वाले एवं बीज हृदय को बल देने वाले, हृदयोत्तेजक, नाड़ी और मज्जा तन्तुओं को उत्तेजना देने वाले, मूत्र निस्सारक और जीवन विनिमय क्रिया (धातु परिवर्तक) सुधारने वाले रहते हैं।
2. स्मरण शक्ति में ह्रास मालूम होता है, शरीर में शिथिलता महसूस होती हो तो इसके प्रयोग से ये सब उपद्रव दूर हो जाते हैं।
3. जलोदर में भी कैफीन (कॉफी) का व्यवहार किया जाता है तथा सर्वांग शोथ, उदर शोथ और फुफ्फुस आवरण शोथ में समान रूप में फायदा पहुँचाती है ।
4. कैफीन सूर्यावर्त्त और आधा शीशी रोग में भी ज्यादा उपयोगी सिद्ध हुई है। इससे दर्द तुरन्त दूर हो जाता है। सिरदर्द और सर्दी रोग के लिए इसको गरम पेय बनाकर विशेष तौर से व्यवहार किया जाता है। इसके पेय को पीने से दिल की गति को अव्यवस्थित करने का जो प्रभाव रहता है, वह मिट जाता है और हृदय की ताकत भी बढ़ जाती है । कुचले के सत्व के साथ कॉफी का व्यवहार किया जाता है, इससे भी इसकी शक्ति बढ़ जाती है। कॉफी सेवन से दमे के दौरे का वेग भी घट जाता है। अफीम के जहर को दूर करने में भी यह उपयोगी रहती है।
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