गन्ना (Sugarcane)
प्रचलित नाम- ईख, गन्ना, इक्षु ।
उपयोगी अंग- काण्ड एवं मूल स्वरस ।
स्वरूप- एक लम्बी बहुवर्षीय घास है। इसका काण्ड मोटा व कठोर होता है। पर्व एवं आंतरपर्व स्पष्ट होते हैं। रोमश, फूल रूई जैसे लम्बे शाखित गुच्छों में होते हैं।
स्वाद- मीठा ।
उपयोगिता एवं औषधीय गुण
मधुर, शीतल, मूत्रल, बल्य, श्रमहर, शुक्रवर्धक, वात तथा कफवर्धक । गन्ने का रस शक्तिवर्धक, पित्त, गुल्म, कामला, पाण्डुरोग, यक्ष्मा, मूत्रकृच्छ्र, कास, वमन में लाभकारी होता है। इसका स्वरस रुचिकर, हृदयबल्य तथा दीपन है। मूत्र जनन दोषों में गन्ने का रस सबसे श्रेष्ठ माना गया है। गन्ने के मूल की ओर का हिस्सा अधिक मधुर होकर वाहर तथा पित्तहर होता है। जबकि आगे वाले भाग का मीठा (फीका) कम रस वाले भाग वातकर, पित्तजन्य, कफ एवं प्रमेह बढ़ाने वाला होता है। इसके मीठे एवं ताजे रस से क्षय, मूत्रघात, रक्तपित्त, पित्त की उल्टी, हिक्का, आंत्रव्रण में फायदा होता है। गन्ने का रस यंत्र से निकाला हुआ तथा इसमें मिलाया हुआ नमक तथा खट्टेपन की वजह से, यह रस दाह करने वाला, मल अवरोधक, कफ पित्तकर, शोषकर हो जाता है। मूत्रघात में मूत्रकृच्छ्र अथवा मूत्र न होने पर गन्ने को चूस कर खाने से लाभ या ताजे रस में दो ग्राम जवाखार मिलाकर पीने से फायदा होता है। रक्तपित्त में रक्त वमन, मल-मूत्र मार्ग से रक्तस्राव होता हो अथवा नाक से नकसीर फूटने पर- (1) गन्ने को चूसकर रस सेवन करें, (2) गन्ने का रस पिलाना चाहिए, (3) गन्ने के रस में एक ग्राम चंद्रकला रस मिलाकर पिलाने से फायदा होता है, (4) नाक से रक्तस्राव होता हो, तब गन्ने के रस की एक-दो बूंदें नासिका छिद्र में डालने से फायदा होता है।
गन्ने का रस यदि कोल्हू का पिरा हुआ पिया जाये तो अधिक लाभकारी है, यह पेशाब लाकर पेट के रोगों को समाप्त करता है।
संग्रहणी में दस लीटर गन्ने के रस को गरम करें (आधा रह जाये तब तक), ठंडा हो जाने पर इसमें एक लीटर शहद मिलाकर शीशे के मर्तबान में भर दें। इसको अनाज के ढेर में एक महीने तक रखें। इसके बाद रोजाना दोपहर-रात्रि भोजन बाद एक-एक कप (100 मि.ली.) सेवन करें, पाण्डुरोग में गन्ने के रस से तैयार गुड़ का सेवन करने से फायदा होता है। विसर्प में थोड़ा गुनगुना रस इस पर लगाने से फायदा होता है। गर्मी के कारण आंख का दर्द या लालांश होने पर गन्ने के ताजे, स्वच्छ रस से आंखों को धोने से लाभ होता है। नासिका रोग में गन्ने के रस की एक-से-दो बूंद डालने से फायदा होता है। आंतव्रण में पके हुए गन्ने के रस के सेवन से फायदा होता है। ईख को चूसने से पथरी टुकड़े-टुकड़े होकर बाहर निकल जाती है।
मात्रा- इसे जी भरकर चूसने से शीघ्र लाभ होता है।
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