जड़ी-बूटी

गुड़हल (Shoe Flower) के फायदे एंव औषधीय गुण

गुड़हल (Shoe Flower) के फायदे एंव औषधीय गुण
गुड़हल (Shoe Flower) के फायदे एंव औषधीय गुण

गुड़हल (Shoe Flower)

प्रचलित नाम- गुड़हल, जया ।

उपयोगी अंग- मूल, कांड, पत्र, पुष्प तथा पुष्प कलियां |

परिचय- यह एक आकर्षक छोटा काष्ठीय गुल्म होता है, जो औसतन 4-8 फीट ऊँचा होता है। इसके पत्ते सरल, चमकीले होते हैं। प्रजनन अंग पुष्प नलिका से बाहर निकले हुए रहते हैं।

स्वाद- कड्डुवा, श्लेश्मल।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

मृदुरेचक, वेदना, शामक, मूत्रल, प्रशामक, ज्वरहर।

गुड़हल को कास ज्वर, अत्यातव तथा शोथहर में प्रयोग किया जाता है। इसको गंजे सिर पर लगाने से गंजापन दूर हो जाता है। श्वित्र रोगों में गुड़हल के चार पुष्प रोजाना एक वर्ष तक सेवन करने से श्वित्र रोग मिट जाता है। फिरंग व्रण में इसके पत्तों के क्वाथ से फिरंग व्रण धोने से जल्दी व्रणरोपक होता है।

गुड़हल का शर्बत- इसके एक सौ फूल लेकर शीशे की बरनी में डालकर, इसमें बीस नींबू का रस डालें और ढंक दें। रात भर बन्द रखने के पश्चात् प्रातः इसे हाथ से मसलकर वस्त्र से इस रस को छान लें, इससे 80 तोला शरबत बन जाता है। यह शर्बत दिल-दिमाग को ताजगी प्रदान करता है। इसका ठण्डा गुण खून की गर्मी पर काबू पाता है।

यह स्नायु विश्रामक, कीटाणुनाशक, फंफूदीनाशक, विषाणुनाशक, उद्वेष्टहर, प्रमेह, अर्श तथा श्वेत प्रदर में लाभदायक है। गर्भ धारण के लिए गुड़हल के मूल को गाय के दूध में पीसकर और उसमें विजोरा के बीज का चूर्ण मिलाकर, मासिक ऋतुस्राव के समय पिलाने से गर्भधारण में फायदा होता है। इसके फूल की 10 20 कलियाँ दूध में पीसकर पिलाने से, पथ्य में दूध देने से, प्रदर अच्छा हो जाता है। बाल काले करने के लिए भृंगराज के पुष्प तथा गुड़हल के पुष्प, भेड़ के दूध में पीसकर लोहे के बर्तन में भरना चाहिए, सात दिनों के बाद निकालकर भृंगराज के पंचांग के रस में मिलाकर गर्म कर रात को केशों पर लगाकर कपड़ा बाँधना चाहिए। सुबह सिर धोने से बाल काले हो जाते हैं। गंजापन दूर करने के लिए गुड़हल के पुष्पों को काली गाय के मूत्र में पीसकर, मिश्री 20 तोला, गुले गाजबान का अर्क 20 तोला, मीठे अनार का रस 20 तोला, संतरे का रस मिलाकर, मंद अग्नि पर पका लें। चाशनी शर्बत जैसा हो जाये, तो उतार कर कस्तूरी दोस्ती, अम्बर तीन माशा, केसर एक माशा और गुलाबी अर्क में मिलाकर अच्छी प्रकार हिलाएं। यह शर्वत हृदय तथा मस्तिष्क को शक्ति देता है तथा उन्माद, पित्तक ज्वर और प्रदर लाभदायक होता है।

मात्रा- पत्र चूर्ण–एक से दो माशा ।

क्वाथ – 50-100 मि.ली. प्रतिदिन ।

इसे भी पढ़ें…

About the author

admin

Leave a Comment