टाइफाइड के घरेलू उपाय – Typhoid ke gharelu upay in Hindi
टायफायड में संचित ग्लाइकोजिन का तेजी से अपचय होता है और पानी का संतुलन बिगड़ जाता है। आँतों की नली फूल जाती है और दस्त शुरू हो जाता है। अतः प्रचुर मात्रा में प्रोटीनयुक्त आहार नहीं देना चाहिए। ऐसे में अंडा और माँस तो पूर्णतया वर्जित है।
इस काल में तरल, पचने योग्य कार्बोहाइड्रेट आहार ही लेना चाहिए। सब्जियों का सूप और फलों के रस का सेवन रोगी के लिए ठीक रहता है। बुखार ठीक होने तथा कमजोरी खत्म होने के बाद प्रचुर मात्रा में प्रोटीन लेनी चाहिए ताकि शरीर में नष्ट तंतुओं की पूर्ति हो सके।
मुनक्का– पश्चिम के एक वैज्ञानिक डॉ. टार्टलिट ने किशमिश, मुनक्का तथा अन्य सूखे मेवों को जलाकर परीक्षण किए एवं यह पाया कि इससे मोतीझरा (टायफाइड) के कीटाणु समाप्त हो जाते हैं। मौसमी–टाइफाइड में मौसमी लाभदायक है। यह दो बार नित्य पीयें।
लौंग- आन्त्र-ज्वर में लौंग का पानी पिलायें। पाँच लौंग दो किलो पानी में उबाल लें, आधा पानी रहने पर छान लें। इस पानी को नित्य बार-बार पिलायें। पानी भी उबाल कर ठंडा करके पिलायें।
नमक- एक चम्मच नमक सेक कर एक गिलास गर्म पानी में घोलकर एक बार नित्य तीन दिन पिलायें। यदि तेज प्यास लगने लगे तो एक घंटे तक पानी न पिलायें। जीभ तर रखने के लिए घूँट-घूंट पानी पिलायें अधिक पानी न पिलायें। इससे ज्वर सामान्य हो जाता है तथा आन्त्र-ज्वर अपनी अवधि से पहले ही ठीक हो जाता है।
नारंगी- नारंगी ज्वर की गरमी और अशान्ति दूर करती है। रोगी को दूध में नारंगी का रस मिलाकर पिलायें या दूध पिलाकर नारंगी खिलायें। दिन में कई नारंगी खिलानी चाहिए। इससे आन्त्र-ज्वर में लाभ होता है।
सेब-इसका रस पीना आन्त्र-ज्वर में लाभदायक है।
केला—आन्त्र ज्वर के रोगियों के लिए केला आदर्श भोजन है। यह भूख, प्यास कम करता है।
शहद—आन्त्र-ज्वर (Enteric Fever) और न्यूमोनिया में पाचन अंग भली प्रकार कार्य करने के अयोग्य हो जाते हैं। उबले हुए पानी में शहद डालकर रोगी को गरमा-गरम पिलाते रहने से आन्त्र-ज्वर में आँतों पर शामक प्रभाव पड़ता है और रोगी दुर्बल नहीं होता। रोगी को ठोस भोजन नहीं देना चाहिए। मधु खिलाते रहने से कमजोरी नहीं आती। उपचार भी होता है।
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