जड़ी-बूटी

टेसू (Flame of The forest) के फायदे एंव औषधीय गुण

टेसू (Flame of The forest) के फायदे एंव औषधीय गुण
टेसू (Flame of The forest) के फायदे एंव औषधीय गुण

टेसू (Flame of The forest)

प्रचलित नाम- ढाकू, टेसू

उपयोगी अंग- छाल, पुष्प बीज एवं गोंद।

परिचय- यह मध्यम कद का पतनशील पेड़ है जिस ऊंचाई औसतन १५ मीटर रहती है। इसके पत्ते खुरदरे, त्रिपत्री, फूल चमकीले नारंगी-रक्तवर्णी होते हैं ।

स्वाद- तीखा। (पुष्प)।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

कृमिघ्न एवं वातघ्न, शोथहर, मूत्रल, ग्राही, वाजीकरण। अर्श, आंतकृमि में बीज के प्रयोग से कुष्ठरोग, काण्डुरोग, दद्रु में फायदा । इसके गोंद के प्रयोग से अतिसार एवं प्रवाहिका में फायदा होता है। इसकी गोंद का प्रयोग भोजन के बाद करने से प्रवाहिका एवं अतिसार में लाभ होता है। इसके बीज को नीबू के रस में पीसकर चर्मरोग में लगाने से फायदा होता है। फूलों का फांट मूत्रावरोध में लाभदायक होता है।

अतिसार में – इसके बीज का क्वाथ बनाकर, इससे एक चम्मच क्वाथ और बकरी का दूध एक चम्मच मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करना चाहिए। इसके बाद भोजन में बकरी का उबला हुआ दूध एवं ठंडा किया हुआ दूध और चावल ही लेना चाहिए। अर्श में इसके ताजे पत्तों की भाजी घी में छौंक लगाकर दही की मलाई के साथ सेवन से फायदा होता है। चर्मरोग, कुष्ठ, खाज-खुजली, दद्रु, सोरायसिस, श्वित्र, में इसके बीज को नीबू के रस में पीसकर इसका लेप रोग ग्रस्त हिस्से पर करने से लाभ होता है। टेसू में विषाणुओं को खत्म करने का गुण होता है। इसके सेवन से हर तरह के चर्मरोग के कीटाणुओं का नाश होता है। शहद मिलाकर नेत्रों में अंजन करने से फायदा होता है। रक्तपित्त में इसके पंचांग के रस में घी को पकाकर ठंडा होने पर शहद के साथ सेवन करना चाहिए। शरीर में ज्वर के कारण जलन होने पर, पलाश के पत्तों का रस शरीर पर लगाने से दाह प्रक्रिया का शमन हो जाता है।

गर्भधान रोकने के लिए, पलाश के बीजों को बारीक पीसकर इसमें घी तथा शहद मिलाकर ऋतु चक्र समय यौगि पर लेप करने से कभी भी गर्भ धारण नहीं होता। बिच्छु डंक में पलाश के बीज को अर्क के दूध में घिसकर दश पर लगाने से वेदना कम होकर आराम मिल जाता है। व्रण रोपण के लिए, पलाश गोंद का सूक्ष्म चूर्ण अधिक व्रणरोपण गुण वाला है। प्रमेह में, पलाश के फूलों का चूर्ण, आधा तोला मिश्री का चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से लाभ।

यह नयी और खुश्की वाले सभी जगहों पर सरलता से उपलब्ध हो जाने वाला पुष्पफल है। इसके फूलों को जल में मसल कर होली पर रंग खेलने के काम में लाते हैं।

मात्रा- क्वाथ-50-100 मि.ली। पुष्प चूर्ण –3-6 ग्राम।

बीज का चूर्ण- 3-5 ग्राम ।

इसे भी पढ़ें…

About the author

admin

Leave a Comment