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दस्त डायरिया (अतिसार) क्या है? | दस्त डायरिया के कारण | दस्त डायरिया के लिए घरेलू उपचार

दस्त डायरिया (अतिसार) क्या है?
दस्त डायरिया (अतिसार) क्या है?

दस्त डायरिया (अतिसार) क्या है?

असाधारण रूप से पतला मल, बिना मरोड़ के बार-बार आना-दस्त, प्रवाहिका, अतिसार रोग है। दस्त स्वयं कोई रोग नहीं है लेकिन अन्य रोगों का लक्षण मात्र है। दस्त गर्मी और वर्षा में अधिक होते हैं।

दस्त डायरिया के कारण

गरिष्ठ चीजें, भूख से अधिक खाना, गंदा विषाक्त भोजन, दस्तावर दवाइयों का प्रयोग, बर्फ अधिक खाना, कृमि, तेज मसाले, रात्रि जागरण, कब्ज आदि के प्रभाव से दस्त लगते हैं। प्रकृति नहीं चाहती कि कोई विशेष पदार्थ पेट या आँतों में रहे, दस्त लग जाते हैं। कच्चे या बहुत पके फल खाना, अचानक भय, दुःख या आतंक, मानसिक संताप, अचानक मौसम बदलने पर पाचन तन्त्रों में गड़बड़ी, आँतों में बहुत कम या अधिक पित्त प्रवाह से दस्त आते हैं। आँतों पर कफ की पतली झिल्ली होती है, जिससे निरन्तर एक तरह रस चूता झरता या रिसता रहता है। इसी रस से भोजन पचता है। भोजन न पचने, अजीर्ण से दस्त आता है। भोजन पचते समय इस चूते हुए रस को वही झिल्ली फिर सोख लेती है। परन्तु किसी कारण से झिल्ली की रस शोषण शक्ति नष्ट हो जाती है तो दस्त आने लगते हैं। अन्न की उत्तेजना से आँतें बहुत जल छोड़ती हैं, जैसेकि लाल मिर्च के सेवन से पानी बहुत आता है। ऐसे अनेक कारणोंवश आँतों से स्राव होता है जिससे दस्त अधिक होते हैं। चिकित्सा काल में रोगी को इन कारणों से बचना चाहिए। दस्तों के कारण पेट में जठर शोथ (Gastritis), आन्त्र शोथ (Enteritis) या जठरान्त्र शोथ (Gastroenteritis) भी हो सकता है।

दस्त रोग से कैसे बचें?

पानी– एक किलो पानी उबालें। चौथाई पानी रहने पर साफ कपड़े से छान लें। हल्का गर्म रहने पर इसे पीयें। इससे दस्त आना बन्द होते हैं, भूख अच्छी लगती है; आफरा, पेट दर्द, कब्ज, हिचकी, उल्टी होना ठीक हो जाते हैं।

जब पानी जैसी पतली टट्टी होती है, तो उसे ‘दस्त होना’ कहा जाता है। दस्त का रंग या कारण कुछ भी हो सकता है, परन्तु एक बार दस्त होना गम्भीर खतरे का संकेत देता है। यह एक जानलेवा रोग है जो किसी भी, विशेषकर कमजोर व्यक्तियों और छोटे बच्चों को हो सकता है। इस रोग से बचने के लिए निम्न उपाय हैं-

1. जब तक हो सके, बच्चे को माँ का दूध पिलायें।

2. बच्चे को दूध पिलाने के लिए बोतल के बजाय कटोरी व चम्मच ही काम में लें।

3. पीने का पानी ढक कर रखें। पानी लेने के लिए हत्थेदार लोटे का प्रयोग करें।

4. स्वच्छ जल स्रोतों से ही पेयजल भरें।

5. भोजन की चीजें ढक कर रखें और मक्खियों से बचायें।

6. बासी भोजन नहीं करें। कटे एवं सड़े फल तथा मक्खियाँ बैठे पदार्थों का सेवन भी नहीं करें।

7. भोजन बनाने अथवा खाने से पहले अच्छी तरह से हाथ धोयें। 8. रहने की जगह से दूरी पर शौच करें।

दस्त डायरिया के लिए घरेलू उपचार क्या हैं?

दस्त होते ही उसका घरेलू उपचार आरम्भ कर देना चाहिए। दस्त के कारण शरीर में पानी और नमक की कमी को दूर करने के लिए “जीवन रक्षक घोल” का प्रयोग तुरन्त करना चाहिए। यह घोल आसानी से तैयार कर सकते हैं। इसकी विधि अग्र प्रकार है-

1. एक गिलास या (200 मिलीलीटर) पीने का साफ पानी लेवें।

2. वह पानी एक साफ बड़े बर्तन में डालिये।

3. इसमें साफ हाथ से एक चुटकी बारीक नमक डालिये।

4. अब साफ चम्मच से पानी को हिलायें ताकि नमक पानी में पूरी तरह घुल जाये।

5. इस घोल को चख कर यह पता लगा लें कि स्वाद आँसुओं से अधिक नमकीन नहीं हो।

6. अब एक चाय वाला चम्मच चीनी से भर कर पानी में डाल दें।

7. चम्मच से घोल हिला कर चीनी अच्छी तरह से घोल लें। चीनी नहीं हो तो गुड़ भी काम में ले सकते हैं। 

8. अब हर पतली दस्त के बाद आधे से एक गिलास तक यह घोल रोगी को थोड़ा-थोड़ा करके पिलायें।

“जीवन रक्षक घोल” बने-बनाये पैकेटों में भी मिलता है। इस एक पैकेट को एक लीटर साफ पानी में घोलना होता है।

दस्त रोग के दौरान रोगी की खुराक पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बच्चे को माँ का दूध पिलाना चाहिए। इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में अन्य तरल पदार्थ, जैसे- नीबू का पानी, चावल, कांजी, आदि दीजिए। खिचड़ी, मसला हुआ केला, दही आदि नरम चीजें खिलाई जायें।

यदि पतले दस्त दो दिनों में बन्द नहीं हों और बच्चा कमजोर होता चला जाये तो उसे डॉक्टर को दिखाया जाना चाहिये।

अजीर्ण, अपच से दस्त हो तो रोगी को भोजन नहीं करना चाहिए। दही की लस्सी पीना लाभदायक है। यहाँ वर्णित चीजों का अधिकाधिक सेवन करें। इनसे भोजन की पूर्ति भी होगी और रोग भी ठीक हो जायेगा।

दस्त होने पर सामान्य दही की लस्सी, छाछ, छाछ में दो चम्मच ईसबगोल की भूसी मिला कर दें। फलों में सेब, अनार का रस, दही, खिचड़ी देना लाभदायक है।

नीबू- दूध में नीबू निचोड़ कर पीने से दस्तों में लाभ होता है। दस्त में मरोड़ हो, आँव में आती हो तो नीबू का उपयोग करें। एक नीबू का रस एक कप पानी में मिलाकर पीयें। इसी प्रकार एक दिन में पाँच बार दें। इससे दस्त बन्द हो जाते हैं।

आम-मीठा अमरस आधा कप, दही 25 ग्राम और अदरक का रस एक चम्मच सब मिलाकर पीयें। इससे पुराने दस्त, दस्तों में अपच के कण निकलना और बवासीर ठीक होती है।

आँवला-सूखा आँवला, काला नमक समान मात्रा में पीसकर जल के साथ आधा चम्मच की फैकी लेने से दस्त बन्द हो जाते हैं।

जामुन-कैसे भी तेज दस्त हों, जामुन के पेड़ की ढाई पत्तियाँ, जो न ज्यादा मोटी हों और न ज्यादा मुलायम, लेकर पीस लें, फिर उसमें जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर उसकी गोली बना लें। एक गोली सुबह और एक गोली शाम को लेने से अतिसार तुरन्त बन्द हो जाता है।

अनार-(1) एक अनार पर चारों ओर मिट्टी का लेप करें और भून लें। भूनने के बाद दाने निकाल कर रस निकालें। इसमें शहद मिला कर पीयें। किसी भी प्रकार के दस्त ठीक हो जायेंगे।

(2) 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग-इन दोनों को पीस कर एक गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर छान कर इसके तीन हिस्से करके एक दिन में 3-3 घंटे के अन्तर से तीन बार पीयें। दस्त, पेचिश में लाभ होगा। जिन व्यक्तियों के पेट में आँव की शिकायत बनी रहती हो या डिसेंट्री संग्रहणी हो, उनके लिए इसका नियमित सेवन लाभकारी है।

लौकी-लौकी का रायता दस्तों में लाभदायक है।

पोदीना—दस्तों में आधा कप पोदीने का रस हर दो घण्टे से पिलायें।

चावल-चावल बनाने के पश्चात् इसका उबला हुआ पानी जिसे माण्ड कहते हैं, फेंक देते हैं। यह माण्ड दस्तों में लाभदायक है। बच्चों को आधा कप, बड़ों को एक कप प्रति घण्टे पिलाने से दस्त बन्द हो जाते हैं। छोटे शिशुओं को अल्प मात्रा में पिला सकते हैं। इस माण्ड में नमक स्वाद के अनुसार मिलाने से यह स्वादिष्ट, पौष्टिक और सुपाच्य हो जाता है। अधिक समय रखने से बदबू देने लगता है। माण्ड को छः घण्टे से अधिक पड़ा न रहने दें। माण्ड बनाने की सरल विधि यह है कि सौ ग्राम चावल आटे की तरह पीस लें, इसे एक लीटर पानी में उबालें। भली प्रकार उबालने के पश्चात् इसे छानकर स्वादानुसार नमक मिला लें। इसे उपर्युक्त ढंग से पीएँ, दस्तों में लाभकारी पायेंगे। दस्तों में चावल उत्तम खाद्य है। चावल दही में मिला कर खायें।

खस-खस–दो चम्मच खस-खस में पानी डाल कर चौथाई कप दही में मिला कर नित्य दो बार छ: घण्टे के अन्तर से खाने से पेचिश, मरोड़ और दस्त ठीक हो जाते हैं। खसखस की खीर बनाकर खाने से भी लाभ होता है।

धनिया-हरा धनिया, काला नमक, काली मिर्च मिलाकर चटनी बना कर चटाने से लाभ मिलता है। यह सुपाच्य रहती है। पिसे हुए धनिये को सेक कर एक-एक चम्मच पानी से फँकी लेने से दस्त बन्द हो जाते हैं। दस्तों में आँव, मरोड़ हो तो धनिया के काढ़े में मिश्री मिलाकर पिलावें। खाने के बाद दस्त हों तो पिसे हुए धनिये में स्वादानुसार काला नमक मिलाकर भोजन के बाद एक चम्मच ठंडे पानी से नित्य दो बार फँकी लें।

पानी-दस्तों के कारण हजारों बच्चे प्रति वर्ष मर जाते हैं, इसका कारण है शरीर में पानी की कमी होना। जैसे ही बच्चे को तीन चार पतले दस्त आएँ उसे घर में तैयार करके नीचे लिखा घोल देना शुरू कर दें। बच्चा जितना अधिक पानी पियेगा उतना ही जल्दी ठीक होगा। सामान्य भोजन दें। छोटा बच्चा माँ का दूध भी पीता रहे। यह नुस्खा कई देशों में सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा रहा है।

घोल: साफ पानी–एक लीटर, चीनी-40 ग्राम या आठ छोटे चम्मच, नमक – 5 ग्राम या एक छोटा चम्मच।

यदि पानी साफ न हो तो उबाल कर ठण्डा कर लें। उसमें नमक और चीनी मिला दें। घोल तैयार है। छोटे बच्चे को चम्मच से और बड़े बच्चे को गिलास से थोड़ी-थोड़ी देर बाद पिलाएँ। दो-चार दिन में बच्चा ठीक हो जाएगा। आपकी समझदारी से बच्चे की जान बच सकती है।

पीपल वृक्ष-पीपल वृक्ष के पत्ते दस्तों को बन्द करते हैं। इसके 5 पत्तों को चबाएँ या एक गिलास पानी में उबाल कर इनका उबला हुआ पानी पीयें।

बेल-(1) बेल का गूदा निकाल कर पानी में मथ कर शक्कर मिला कर शर्बत बनाकर एक-एक कप तीन बार नित्य पीयें।

(2) टट्टियाँ लगती हों तो बेल गिरी सूखी बारीक पीस कर एक चम्मच दही या छाछ 250 ग्राम के साथ सुबह-शाम लेवें, टट्रिट्टयाँ बन्द हो जायेंगी।

केला-केला कब्ज करता है। दो केले आधा पाव दही के साथ कुछ दिन खाने से दस्त, पेचिश संग्रहणी ठीक हो जाती है।

आलू बुखारा—यह मलरोधक है लेकिन कब्ज नहीं करता।

अमरूद – अमरूद की कोमल पत्तियाँ उबाल कर पीने से पुराने दस्त ठीक हो जाते हैं।

पपीता-कच्चा पपीता उबाल कर खाने से पुराने दस्त ठीक हो जाते हैं।

गाजर- इससे पुराने दस्त और अपच के दस्त ठीक हो जाते हैं।

प्याज-(1) प्याज को पीसकर नाभि पर लेप करने से दस्त बन्द हो जाते हैं।

(2) तीस ग्राम प्याज के रस में एक राई के बराबर अफीम मिलकर पिलायें, तुरन्त दस्त, मरोड़ बन्द होंगे।

मसूर की दाल व चावल-ये दस्त और पेचिश के रोगियों के लिए उत्तम भोजन है।

गेहूँ—सौंफ को बारीक पीस लें। इसे पानी में मिलायें। इस सौंफ के पानी में गेहूँ का आटा ओषण कर रोटी बनाकर खाने से दस्त और पेचिश में लाभ होता है।

छाछ—आधा पाव छाछ में 12 ग्राम शहद मिलाकर तीन बार पीने से दस्त बन्द हो जाते हैं। घी-दस्त होने पर आधा गिलास गर्म पानी में एक चाय की चम्मच गाय या भैंस का देशी घी मिला कर सुबह-शाम दो बार पीयें। दस्त बन्द हो जायेंगे। बच्चों को कम मात्रा में उनके पीने की क्षमतानुसार दें। यह नुस्खा अनेक परिवारों में पीढ़ियों से प्रयोग किया जाता है।

सौंफ- यदि मरोड़ देकर थोड़ा-थोड़ा मल आता हो तो तीन ग्राम कच्ची और तीन ग्राम भुनी हुई सौंफ मिलाकर, पीसकर, मिश्री मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है। छोटे बच्चों के पतले दस्त, , पेचिश में छ: ग्राम सौंफ 82 ग्राम पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाय तो उसमें एक ग्राम काला नमक डाल दें। बच्चों को बारह ग्राम पानी दिन में तीन बार देने से बहुत लाभ होता है।

जायफल-सौंठ और जायफल को पानी में घिस कर तीन बार नित्य पिलाने से दस्त बन्द हो जाते हैं। यह बच्चों के लिए विशेष उपयोगी है।

दालचीनी-दो ग्राम पिसी हुई दालचीनी की पानी से तीन बार फँकी लेने से दस्त बन्द हो जाते हैं।

तुलसी- तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से दस्तों में लाभ होता है। दस ग्राम तुलसी के पत्तों का रस पीने से मरोड़ और अजीर्ण में गुणकारी है।

ईसबगोल —दो चाय की चम्मच ईसबगोल गर्म दूध में फुलाकर रात्रि में सेवन करें। प्रातः दही में भिगोकर फुलाकर उसमें नमक, सौंठ, जीरा मिलाकर पिलायें। कुछ दिन लगातार सेवन करने से दस्तों में आँव निकलना बन्द हो जायेगा।

फिटकरी- फिटकरी 20 ग्राम और अफीम 3 ग्राम पीस कर मिला लें। सवेरे-शाम इस चूर्ण (दाल के बराबर) को थोड़े-से पानी के साथ रोगी को पिलायें। इससे दस्तों में लाभ होगा।

जीरा-पतले दस्त होने पर जीरे को सेक कर आधा चम्मच शहद में मिलाकर चार बार नित्य चाटें। खाने के बाद छाछ में सिका हुआ जीरा काला नमक मिलाकर पीयें। दस्त बन्द हो जायेंगे।

अदरक-आधा कप उबला हुआ गर्म पानी लें। इसमें एक चम्मच अदरक का रस मिलायें। जितना गर्म पिया जा सके, उतना गर्म पीयें। इस तरह एक घण्टे में एक खुराक लेते रहने से पानी की तरह हो रहे पतले दस्त बन्द हो जाते हैं।

शक्कर–पानी उबाल कर ठण्डा करके एक गिलास भर लें। इसमें जरा-सा नमक स्वादानुसार चीनी मिलाकर घोल लें। इसे बार-बार पिलायें। रोगी को कुछ-न-कुछ पिलाते रहें तथा नियमित, भोजन करने को कहें। इससे शरीर में कमजोरी नहीं आयेगी।

नीम-एक ग्राम नीम के बीज (निमोली) की गिरी थोड़ी-सी चीनी मिलाकर पीस कर पानी से फँकी लें। भोजन में केवल चावल ही लें।

अखरोट–दस्तों में मरोड़ हो तो अखरोट को पानी में पीसकर नाभि पर लेप करने से मरोड़ दूर हो जायेगी ।

धनिया – एक चम्मच धनिये में काला नमक मिलाकर भोजन के बाद लेने से, खाने के बाद दस्त जाने की आदत छूट जाती है। केवल धनिये की फँकी से दस्त बन्द हो जाते हैं

नारंगी- बच्चों के दस्तों में नारंगी का रस दूध में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।

सेब – बच्चों को दूध नहीं पचता, दूध पीते ही क़ै और दस्त आते हों तो उनका दूध बन्द करके थोड़े-थोड़े समय के बाद सेब का रस पिलाने से क़ै और दस्तों में आराम आता है। पुराने दस्तों में भी सेब रस लाभदायक है। मरोड़ लगकर होने वाले वयस्क लोगों के दस्तों में भी सेब का रस लाभदायक है। सेब खून के दस्तों को बन्द करता है। दस्तों में सेब बिना छिलके वाली होनी चाहिए। दस्तों में सेब का मुरब्बा भी लाभदायक है।

तुलसी– तुलसी और पान का रस समान मात्रा में गर्म करके पिलाने से बच्चों के दस्त साफ आते हैं। पेट फूलना, आफरा ठीक हो जाता है।

रक्तातिसार (दस्त के साथ रक्त आना)

आम-दस्त में रक्त आने पर आम की गुठली पीस कर छाछ में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।

जामुन – 20 ग्राम जामुन की गुठली पानी में पीसकर सुबह-शाम दो बार पिलाने से खूनी दस्त बन्द होते हैं ।

बेर–रक्तातिसार और आँतों के घाव ठीक करता है।

प्याज-आँव-र – खून खाने से लाभ होता है। के दस्त आने पर प्याज को काटकर, पानी से धोकर ताजे दही के साथ

गन्ना — गन्ने के रस में अनार का रस मिलाकर पिलाने से रक्तातिसार मिटता है।

धनिया – 15 ग्राम धनिया पीसकर उसमें 12 ग्राम मिश्री मिलाकर पानी में घोल कर पीने से दस्त में रक्त आना रुक जाता है। जिस बीमार के वायु अधिक बने उसे भोजन में शुद्ध देशी घी या तेल काम में लेना चाहिए। लाल मिर्च, दाल कम लें। शराब न पीयें।

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