पथरी के घरेलू उपचार – Kidney Stone in Hindi
भोजन में आक्सलेट, कैल्शियम, फास्फेट और प्यूरीन का सेवन अधिक होने से पथरी की शिकायत हो सकती है। बिना छिलके वाले अन्नों का आटा फास्फेट का मुख्य स्रोत है। शाक सब्जियों में केल्शियम और आक्सलेट पर्याप्त मात्रा में होता है। कैल्शियम और फास्फेट का मुख्य स्रोत दूध है। अतः इन वस्तुओं और दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। रोगी को कम आक्सिलिक अम्ल और प्यूरीन युक्त आहार देना चाहिए।
पथरी होने पर पेट में, गुर्दे, कमर में बड़ा तेज दर्द होता है। रोगी दर्द के मारे छटपटाता है। मूत्र रुक-रुक कर जलन के साथ, कभी-कभी रक्तमिश्रित आता है। इसके दर्द को वृक्कशूल (Renal Colic) कहते हैं।
नारियल- नारियल का पानी पीने से पथरी निकल जाती है।
पालक- कई लोग यह मानते हैं कि पालक खाने से पथरी होती है, लेकिन यह निश्चित समझ लें कि कच्चे पालक के रस से कदापि पथरी नहीं होती। रस पीओ, काया कल्प करो।
करेला- करेला वृक्क या मूत्राशय की पथरी को तोड़कर पेशाब के साथ बाहर लाता है। इसके लिए दो करेले का रस नित्य पीवें, सब्जी खायें। पेशाब में रक्त आना भी बन्द हो जाता है।
चावल- जिन लोगों के गुर्दे और मसाने में पथरी हो उनके लिए चावल बहुत हानिकारक है।
लाजवन्ती या छुईमुई– लाजवन्ती की जड़ या पंचांग का काढ़ा पिलाने से मूत्रावरोध दूर होकर पथरी निकल जाती है तथा मूत्र-नलिका पर आई हुई सूजन मिट जाती है।
मक्का- मक्का के भुट्टे जलाकर राख कर लें, जौ को भी जलाकर राख कर लें। दोनों को अलग-अलग पीसकर अलग-अलग शीशियों में भर कर दोनों पर नाम लिख दें। एक कप पानी में मक्का की राख दो चम्मच घोलो फिर छानकर इस पानी को प्रात: पीएँ इससे पथरी गल जाती है। पेशाब साफ आता है। इसी प्रकार शाम को जौ की राख पीयें।
जीरा- जीरे और चीनी को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच ठण्डे पानी में नित्य तीन बार फँकी लेने से लाभ होता है।
जौ- जौ का पानी पीने से पथरी निकल जाती है। पथरी के रोगियों को जौ से बनी चीजें, जैसे-जौ की बनी रोटी, पानी, जौ का सत्तू लेना चाहिए। इससे पथरी के पिघलने में सहायता मिलती है तथा पथरी नहीं बनती है।
मिश्री- 15 दाने बड़ी इलायची के, 1 चम्मच खरबूजे के बीज की मिंगी, दो चम्मच मिश्री इन सबको पीसकर एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार नित्य पीते रहें। इससे गुर्दे की पथरी गल जाती है।
दौब- पथरी में दौब को जड़ सहित उखाड़ कर उसकी पत्तियाँ तोड़कर अलग कर लें और फिर इसके डण्ठल और जड़ों को पानी से धोकर पीसकर ठण्डाई की तरह छानकर इसमें के अनुसार मिश्री मिलाकर छान लें, फिर पीजिए। नित्य दो बार पीते रहें। इससे पथरी गल जाती है और पेशाब खुल कर आता है। एक बार में दौब के आधा किलो ठण्डल और जड़ पीसें।
सहजन — इसकी सब्जी गुर्दे व मूत्राशय की पत्थरी को तोड़कर, पेशाब के साथ पथरी को स्वाद निकाल देती है।
गर्मी के मौसम में पैदा होने वाली सब्जियाँ, फल अधिक खाने से पथरी निकल जाती है।
खरबूजा- पथरी के रोगियों के लिए खरबूजा खाना उपयोगी है।
सेब- गुर्दे और मूत्राशय में पथरियाँ बनती हैं। ऑपरेशन कराके निकाल देने के पश्चात् भी प्रायः पथरी बन जाती है। सेब का रस पीते रहने से पथरी बनना बन्द हो जाता है तथा बनी हुई पथरी घिस-घिसकर मूत्र द्वारा बाहर आ जाती है। इससे रात को बार-बार पेशाब जाना कम हो जाता है। यह वृक्कों को शुद्ध करती है तथा गुर्दे का दर्द दूर होता है।
आम-आम के ताजे पत्ते छाया में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और 8 ग्राम नित्य बासी पानी के साथ प्रातः फँकी लें। रेत, कंकरी दूर हो जायेगी।
आँवला- आँवले का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है।
धनिया – मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया – प्रत्येक 50 ग्राम को डेढ़ किलो पानी में प्रातः भिगो दें। शाम को छानकर इन्हें पीसकर इसी पानी में घोलकर छान कर पीयें। एक बार में नहीं पीया जाये तो कुछ समय बाद पुन: पीयें। इसी प्रकार शाम को भिगोकर प्रातः तैयार करके पीयें। इससे पेशाब खुलकर आयेगा। पथरी निकल जायेगी।
जामुन—पका हुआ जामुन खाने से पथरी के रोग में आराम होता है। जामुन की गुठली का चूर्ण दही के साथ खायें। छुहारा-छुहारे का सेवन पथरी में लाभदायक है।
गाजर- (1) पथरी, मूत्राशय की सूजन, गुर्दों की सफाई के लिए गाजर, चुकन्दर, ककड़ी, या खीरे का रस प्रत्येक 150 ग्राम मिलाकर पीने से लाभ होता है। गुर्दे और मूत्राशय की पथरी को गाजर का रस निकाल देता है। केवल गाजर का रस नित्य 3-4 बार पीने से भी पथरी में लाभ होता है। इसमें सलाद के पत्तों का रस 250 ग्राम मिलाकर पीने से पित्ताशय की पथरी (Gall Bladder Stone) में भी लाभ होता है। (2) एक-एक चम्मच गाजर और शलगम के बीज मोटी मूली को खोखला करके भर लें और मुँह बन्द कर दें। इसे आग में भून लें। फिर ठंडा करके बीज निकाल कर सुबह शाम दो बार एक माह पानी से फँकी लें। मात्रा आधा चम्मच पीना चाहिए।
खीरा- खीरे का रस पथरी में लाभदायक है। इसका रस 250 ग्राम दिन में तीन बार नित्य पीना चाहिए। पेशाब में जलन, रुकावट और मधुमेह में भी खीरा लाभदायक है। खीरे के रस स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें एक चम्मच शहद और आधा नीबू मिला लेना चाहिए। बथुआ—बथुआ का शाक पथरी से बचाता है। को
चौलाई- चौलाई का शाक नित्य खाने से पथरी गल जाती है।
करमकल्ला– पथरी और मूत्र की रुकावट में इसका सेवन लाभदायक है। इसकी सब्जी घी से छौंककर बनानी चाहिए।
खरबूजा- इसका सेवन पथरी को निकालता है। आलू-एक या दोनों गुर्दों में पथरी होने पर केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दों की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती है।
प्याज- प्याज के रस में चीनी डालकर शर्बत बनाकर पीने से पथरी कट-कटकर बाहर आ जाती है।
मूली— (1) मूली के बीज 35 ग्राम आधा किलो पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाये तो छानकर पीयें। कुछ दिनों तक लेने से मूत्राशय की पथरी गल जाती है, निकल जाती है।
(2) मूली का रस 20 ग्राम नित्य पीयें तथा इसके पत्ते चबा-चबाकर खायें। पथरी चूर-चूर होकर पेशाब के साथ बाहर आयेगी। यह प्रयोग 2-3 माह करें।
गेहूँ- गेहूँ और चर्नो को औटाकर पानी पिलाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी गल जाती है। गेहूँ के पौधों का रस भी मूत्राशय की पथरी में लाभदायक है। चना-गुर्दे या मूत्राशय की पथरी हो तो रात को चने की दाल भिगो दें, प्रातः इस में शहद मिलाकर खायें।
छाछ- मूत्राशय की पथरी में छाछ पीना लाभदायक है।
अखरोट—अखरोट साबुत (गिरी और छिलके सहित) कूटकर, छानकर एक चम्मच सुबह-शाम ठण्डे पानी से कुछ दिन लेने से पथरी निकल जाती है।
मेहँदी– 6 ग्राम मेहँदी के पत्ते, 500 ग्राम पानी में उबालें, जब 150 ग्राम पानी रह जाये तो छानकर गरम-गरम यह पानी पिलायें। यह पाँच दिन करें। पथरी निकल जायेगी। गुर्दे के रोग ठीक हो जायेंगे।
गन्ना — गन्ना चूसते रहने से पथरी के टुकड़े-टुकड़े होकर यह निकल जाती है।
अजवाइन – 6 ग्राम अजवाइन नित्य फाँकने गुर्दे व मूत्राशय की पथरी निकल जाती है। नीम-इसके पत्तों की राख 6 ग्राम ठण्डे पानी से तीन बार नित्य फँकी लें। कुछ ही दिनों में गुर्दे और मूत्राशय की पथरी गलकर निकल जाती है। विधि-नीम के पत्ते छाया में सुखाकर बर्तन में जलायें। जल जाने पर बर्तन का मुँह ढँक दें। चार घण्टे बाद पत्तियों को निकाल कर पीस लें। यह नीम की राख है।
इलायची- इलायची पथरी में लाभदायक है। पेशाब की जलन दूर करती है।
कुलथी – 250 ग्राम कुलथी तीन किलो पानी में रात को भिगो दें, प्रातः उबालें। जब डेढ़ किलो पानी रह जाये तो उसे छानकर नमक, काली मिर्च, जीरा, हल्दी, शुद्ध घी से छौंक दें। इसे रोजाना पीते रहें। इससे वृक्क, मूत्राशय की पथरी बिना ऑपरेशन बाहर आ जाती है। जब तक पथरी रहे, यह लेते रहें। अधिक दिन लेने से कोई हानि नहीं है। छानने बाद बची हुई कुलथी में और पानी डालकर दाल की तरह सब्जी बनाकर खायें।
हानिकारक—जिन लोगों के गुर्दे और मसाने की पथरी का रोग हो, उनके लिए चावल, पालक बहुत हानिकारक पदार्थ हैं।
चुकन्दर- चुकन्दर का रस या चुकन्दर को पानी में उबाल कर उसका सूप लेने से पथरी गलकर निकल जाती है। मात्रा 30 ग्राम दिन में चार बार यह कुछ सप्ताह दें।
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