बीमारी तथा इलाज

बुखार भगाने के घरेलू उपाय और देशी दवा – Home Remedies For Fever in Hindi

बुखार भगाने के घरेलू उपाय और देशी दवा
बुखार भगाने के घरेलू उपाय और देशी दवा

ज्वर या बुखार (Fever)

लक्षण—शरीर की गर्मी अचानक बढ़ जाना बुखार कहलाता है। थकावट मालूम होना, किसी काम में मन नहीं लगना, मुँह का स्वाद बिगड़ जाना, आँखों से पानी गिरना, जम्हाई आना शरीर में भारीपन होना, चित्त अप्रसन्न रहना, सर्दी लगना, शरीर गरम हो जाना, सारे शरीर में दर्द होना बुखार के सामान्य लक्षण माने गए हैं।

ज्वर क्यों होता है?—बुखार सामान्यतौर पर हानिकारक कीटाणुओं के संक्रमण से होता है। ये रोगाणु शरीर की कोशिकाओं में ‘पायरोजन’ नामक विषैला पदार्थ उत्पन्न कर देते हैं जिससे मस्तिष्क में स्थित ताप नियंत्रण केन्द्र में गड़बड़ी हो जाती है और हमें बुखार जाता है। वास्तव में बुखार बीमारी के कीटाणुओं को नष्ट करने में हमारी मदद करता है। इस दौरान शरीर में विभिन्न जैविक प्रक्रियाएँ तेजी से होने लगती हैं। शरीर में रक्त कोशिकाएँ, एंजाइम और हारमोन उत्पन्न होने की दर अचानक तेज होने लगती है और ये सभी बुखार के कीटाणुओं को नष्ट करने में जुट जाते हैं। लम्बे समय तक बुखार का रहना शरीर के लिए घातक है क्योंकि इस अवस्था में शरीर के भीतरी हिस्से का तापमान बढ़ने के कारण पानी की कमी हो जाती है जिससे रक्त व मूत्रनली की कोशिकाएँ सिकुड़ने लगती हैं, कोशिकाओं का प्रोटीन समाप्त होने लगता है और मस्तिष्क में अनेक विकार पैदा हो जाते हैं।

बुखार होने पर घबरा कर तुरन्त डॉक्टरों के पास जा कर दवाइयाँ नहीं लें। यह सामान्य रोग है, शान्तिपूर्वक सामना करें। ज्वर या बुखार कई प्रकार के होते हैं। कैसा भी ज्वर हो, जहाँ तक हो सके ज्वर-काल में खाना नहीं देना चाहिए। साधारण हल्का भोजन जैसे दूध, मूँग की दाल का पानी, मुनक्का, साबूदाना, ग्लूकोज, मौसमी, तरल पदार्थ, रसदार फल-सब्जियाँ, गर्म पानी आदि दे सकते हैं। ज्वर समाप्त होने पर दो-चार दिन बाद भी हल्का भोजन ही दिया जाना चाहिए। तली हुई चीजें, गरिष्ठ भोजन, मिठाइयाँ, मैथुन बिल्कुल बन्द कर देना चाहिए। खीरा और मेथी सेवन बुखार में लाभदायक है।

तेज बुखार होने पर शरीर की अधिक कैलोरी नष्ट होती है। अतः उसकी आवश्यकता भी बढ़ जाती है, हालाँकि जब बुखार चरम सीमा पर होता है, रोगी को कुछ भी खाने की इच्छा नहीं होती है। अत: जैसे ही बुखार कुछ नियंत्रण में आये आप उसे समय-समय पर कुछ-न-कुछ खाने को अवश्य देते रहें। बुखार से ऊतकों के नष्ट हो जाने से रोगी को प्रचुर मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में 50 प्र.श. अधिक प्रोटीन लेनी चाहिए। प्रोटीन देते समय ध्यान रखें कि वे आसानी से पचने वाले हों। माँस जैसे गरिष्ठ प्रोटीन नहीं देना चाहिए।

प्रोटीन दूध के रूप में लिया जा सकता है। सोयाबीन खायें।

कार्बोहाइड्रेट को सदैव ग्लूकोज के रूप लेना चाहिए। यह आसानी से पच जाता है। बुखार के दौरान रोगियों को सिर्फ दूध और फलों का रस देना चाहिए। रोगी को मक्खन, घी, तेल आदि के रूप में वसा नहीं देनी चाहिए।

बुखार ठीक होने पर वसा की मात्रा में वृद्धि कर देनी चाहिए।

बुखार भगाने के घरेलू उपाय और देशी दवा – bukhar kam karne ke gharelu upay

नीबू- जिसमें रोगी को बार-बार प्यास लगे, उबलते पानी में नीबू निचोड़ कर पिलाने से ज्वर का तापमान गिर जाता है। नीबू में सेंधा नमक और काली मिर्च भरकर गरम करके चूसने से बुखार में लाभ होता है।

मुनक्का – 20 मुनक्का धोकर बीज निकालकर 250 ग्राम पानी में रात को भिगो दें। प्रातः उसी पानी में उनको उबाल कर मुनक्का खा जाये और वह पानी पी जाये, ज्वर ठीक हो जायेगा।

इमली- गर्मी का बुखार होने पर इमली का पानी पिलाना लाभदायक है।

धनिया – धनिये की गिरी से ज्वर उतरता है। गर्मी के बुखार में धनिये की गिरी का सेवन गुणकारी है।

टमाटर- ज्वर में रक्त में हानिकारक पदार्थ बढ़ जाते है। टमाटर सूप इन पदार्थों को निकाल देता है। इससे रोगी को आराम मिलता है। हर ज्वर में टमाटर का रस ज्वर की गर्मी को शान्त करता है और बेचैनी दूर करता है, प्यास बुझाता है। शरीर को क्षीण नहीं होने देता, स्फूर्ति प्रदान करता है।

नारियल–नारियल का पानी पीने से ज्वर का ताप कम होता है, तेज ज्वर कम होता है।

टिण्डा—हल्के बुखार को यह ठीक कर देता है। यह उबाल कर सामान्य मसाले डाल कर खायें।

परवल – पुराने बुखार में इसकी सब्जी लाभदायक है।

मेथी—मेथी ज्वर दूर करती है। मेथी के पत्तों को पीस कर बाह्य लेप करने से जलन, दाह, भभका दूर होता है।

लौंग- एक लौंग पीस कर गर्म पानी से फँकी लें। इस प्रकार तीन बार लेने से सामान्य ज्वर दूर हो जायेगा ।

जौ- एक कप जी एक किलो पानी में उबालकर ठण्डा करके पीवें, ज्वर में लाभदायक है।

चाय- सर्दी, जुकाम के कारण बुखार होने पर चाय लाभदायक है।

पानी – प्राकृतिक चिकित्सा में माना जाता है कि पेडू यानी आँतें ही वह स्थान है, जहाँ से मल व सड़न आरम्भ होती है और शरीर में सड़न के कारण खमीर उठता है, जिससे हमारे शरीर का तापमान बढ़ने लगता है अर्थात् हमें बुखार आता है। अतः पेडू पर गीली पट्टी रखकर आँतो को साफ रखे जाने पर जोर दिया जाता है। यह तापक्रम कम करने में भी सहायक होता है।

तेज ज्वर में ठण्डे पानी का स्पन्ज लाभदायक है। ठण्डं पानी में तौलिया भिगो कर सिर पर रखें तथा सारे शरीर को गीले कपड़े से पौंछें। पौंछते समय शरीर को ढँका हुआ रखें।

गाजर- गाजर का रस शरीर के दूषित पदार्थ शरीर से बाहर निकालता है। गाजर का रस 185 ग्राम, चुकन्दर का रस 150 ग्राम, खीरा या ककड़ी का रस 125 ग्राम मिलाकर पीये।

लहसुन—तेज ज्वर होने पर लहसुन कूटकर थोड़ा जल मिलाकर पोटली बनाकर सुँघायें। इससे ज्वर की तीव्रता दूर हो जाती है। लहसुन का रस 6 ग्राम तीन चम्मच पानी में मिलाकर प्रातः, दोपहर तथा शाम तीन बार पिलाने से ज्वर का शमन हो जाता है।

सौंफ-तेज ज्वर होने पर तीन चम्मच सौफ दो कप पानी में उबाल कर दो-दो चम्मच बार बार पिलाते रहने से ज्वर का ताप नहीं बढ़ता।

काली मिर्च- यदि ज्वर में उबासियाँ या जम्हाइयाँ आती हों, शरीर में दर्द हो, दुर्बलता और कम्पन हो तो सुबह-शाम बीस काली मिर्च कूट कर एक गिलास पानी में उबालें। चौथाई पानी रहने पर सुहाता – सुहाता गर्म पिलायें। ज्वर उतर जायेगा।

पोदीना- पोदीने की चाय में कुछ नमक डालकर पीने से ज्वर में लाभ होता है। ज्वर पीड़ित को यदि बार-बार प्यास लग रही हो तो पोदीने का रस तात्कालिक रूप से रोगी को पिलायें।

मूंग की दाल-ज्वर में मूँग की दाल लेना उत्तम है। यह छिलके सहित काम में लेनी चाहिए।

नमक – सेंधा नमक एक भाग, देशी चीनी (बूरा) चार भाग, दोनों मिलाकर बारीक पीस लें। आधा चम्मच नित्य तीन बार गरम पानी से लेने से मौसमी ज्वर में लाभ होता है।

अदरक- यदि सर्दी या सर्दी-गर्मी के कारण ज्वर हो, तेज ज्वर होने पर अदरक का रस 6 ग्राम, पान का रस 6 ग्राम और शहद 6 ग्राम मिलाकर चाटने से लाभ होता है।

तुलसी—(1) जीर्ण ज्वर हो और साथ ही ऐसी खाँसी हो, जिससे छाती में दर्द हो तो तुलसी के पत्तों के रस में मिश्री पिलाकर लेने से जीर्ण ज्वर में लाभ होता है।

(2) तीन ग्राम तुलसी का रस, 6 ग्राम मिश्री, तीन काली मिर्च मिलाकर लेने से जीर्ण ज्वर में लाभ होता है।

(3) दस तुलसी के पत्ते, तीन ग्राम सौंठ, पाँच लौंग, 22 काली मिर्च स्वाद के अनुसार चीनी डालकर उबालें। जब पानी आधा रह जाये तो रोगी को पिलायें। ज्वर उतर जायेगा। यदि ज्वर में घबराहट हो तो तुलसी के पत्तों के रस में शक्कर मिलाकर पिलायें।

(4) 20 तुलसी के पत्ते, 20 काली मिर्च, जरा-सी अदरक और दाल-चीनी एक गिलास पानी में चाय की तरह उबाल कर चीनी मिलाकर गर्म-गर्म पीने से हर प्रकार के ज्वर (बुखार) में लाभ करती है।

(5) 12 ग्राम तुलसी के पत्ते का रस नित्य पीते रहने से ज्वर ठीक हो जाता है।

जीरा- कच्चा पिसा हुआ जीरा एक ग्राम इतने ही गुड़ में मिलाकर तीन बार नित्य लेते रहने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है।

बर्फ- तेज ज्वर होने पर बर्फ के पानी से स्पन्ज करें अर्थात् बर्फ के पानी में कपड़ा भिगोकर सिर से पैरों तक बार-बार बदन पोंछें, साफ करें। सिर और पेट पर गीला कपड़ा रखें।

नीम- जीर्ण ज्वर में 21 ग्राम नीम के पत्ते व 21 काली मिर्च, दोनों को मलमल के कपड़े में पोटली बाँधकर आधा किलो पानी में उबालें। चौथाई पानी रहने पर ठण्डा होने पर सुबह-शाम पिलायें ।

मिट्टी- गीली मिट्टी की पट्टी पेट पर बाँधें, हर घण्टे से बदलते रहें। इससे ज्वर की तपन हट जायेगी।

गन्ने का रस- मन्द ज्वर में गन्ने का रस लाभदायक है।

लौंग-एक लौंग पीसकर गर्म पानी से फँकी लें। इस प्रकार तीन बार लेने से सामान्य ज्वर दूर हो जाएगा।

पीपल वृक्ष- पीपल वृक्ष की टहनी चबा-चबा कर दो बार नित्य चूसें, लकड़ी थूक दें।

इसे भी पढ़ें…

About the author

admin

Leave a Comment