शुगर (डायबिटीज, मधुमेह) कम करने के घरेलू उपाय
पेशाब के साथ जब चीनी जैसा मधु पदार्थ निकलता है, तो उसे मधुमेह रोग कहते हैं। यह रोग धीरे-धीरे होता है। डायबिटीज एक ऐसा रोग है जिसके रोगी को बहुत समय तक तो इस रोग का अहसास ही नहीं हो पाता। औरतों की अपेक्षा पुरुषों में यह रोग अधिक देखा गया है। 1 मोटे आदमी अक्सर इस रोग से पीड़ित देखे जाते हैं। पहले यह रोग प्रायः 40-50 वर्ष की अवस्था में या इसके बाद होता था, लेकिन आजकल छोटे बच्चों के भी यह बीमारी देखी गयी है। मधुमेह रोग में पैतृक प्रभाव का भी बहुत अधिक हाथ है।
शरीर में इंसुलिन नामक तत्त्व पाचन क्रिया से सम्बन्धित पेनक्रियाज ग्रंथि से उत्पन्न होता है, इससे शक्कर रक्त में प्रवेश करता है और वहाँ ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है। उक्त पेनक्रियाज ग्रंथि जितनी शरीर को शुगर की आवश्यकता होती है उतनी रख लेती है शेष शुगर को जला देती है। मगर यह पेनक्रियाज ग्रंथि इंसुलिन पैदा करना बन्द कर दे या कम कर दे या किसी कारण से यह रस बाधक हो तो डायबिटीज (मधुमेह) रोग पैदा हो जाता है। ऐसी अवस्था में शक्कर रक्त में चला जाता है और ऊर्जा में परिवर्तित नहीं हो पाता है तथा मूत्र के द्वारा भी बाहर निकल जाता है। यह रोग दो प्रकार का होता है-(1) डायबिटीज मेलिट्स (मधुमेह), (2) डायबिटीज इन्सिपिड्स (बहुमूत्र ) ।
लक्षण- मधुमेह की उत्पत्ति का कारण अग्न्याशय (पेनक्रियाज) में उत्पन्न होने वाले तत्व इन्सुलिन की कमी माना जाता है। मूत्र और रक्त की जाँच से दोनों में शर्करा आना इसका सही निदान है। अधिक प्यास, अधिक भूख लगना, बार-बार पेशाब जाना, बार-बार फोड़े-फुंसी होना, घाव न भरना, पैरों में दर्द, नेत्र दृष्टि में गिरावट, कब्ज रहना, टी.बी., शर्करा अधिक बढ़ने पर दुर्बलता, घबराहट, रक्त संचार की वृद्धि, बेहोशी होती है। सिर दर्द, कब्जी, चमड़ा सूखा, खुरखुरा, खुजली, घावों का न भरना आदि मधुमेह के लक्षण हैं।
अधिक टीवी देखना मधुमेह का कारण
यदा-कदा टीवी देखने की आदत शौक में शुमार होती है और इससे सेहत को कोई खतरा नहीं होता लेकिन यदि सप्ताह में 20 घंटे तक टीवी देखें तो हो सकता है कि आप मधुमेह को आमंत्रण दे रहे हैं। अमरीकी शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में कहा है कि सप्ताह भर में बीस घंटे तक टीवी देखने वाले पुरुषों में आगे चलकर मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। कहा है कि टीवी देखने में अधिक समय व्यतीत करने से 40 वर्ष या उससे अधिक आयु के पुरुषों में मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। इस आयु वर्ग के अधिक वजनी वयस्क ही अमूमन रोग की चपेट में आते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा है कि बैठे-ठाले टीवी देखने की जीवनशैली का मधुमेह से सीधा सम्बन्ध है। नियमित व्यायाम से मधुमेह से बचा जा सकता है।
चिकित्सा—मधुमेह के रोगी को मीठी चीजें, जैसे—चीनी, गुड़, मिश्री, मीठे फल, चावल, मैदा की बनी चीजें नहीं खानी चाहिएँ। शारीरिक व्यायाम, भ्रमण, अल्प भोजन करना लाभदायक है। अगर डायबिटीज कन्ट्रोल में नहीं हो तो केवल गेहूँ की रोटी नहीं खानी चाहिए, जौ, चना, गेहूँ (तीन किलो जौ, एक किलो गेहूँ, आधा किलो चना को मिलाकर आटा पिसवा लेना चाहिए) की रोटी खानी चाहिए। हरी सब्जी, दाल, दही का सेवन अधिक करना चाहिए। करेले की सब्जी या कच्चा करेला और जामुन खाना चाहिए। हरड़-बहेड़ा-आँवला (त्रिफला) को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर सेवन करना चाहिए इससे कब्ज भी नहीं रहेगी। उचित भोजन और शारीरिक परिश्रम से मधुमेह को ठीक किया जा सकता है। औषधियों से भी बिना भोजन द्वारा चिकित्सा का सहारा लिये यह ठीक नहीं हो सकता। निम्न भोज्य पदार्थों का अधिकाधिक सेवन करके इस रोग को दूर करें–मधुमेह में शरीर में कमजोरी मालूम पड़ने लगती है। कमजोरी दूर करने हेतु हरा कच्चा नारियल खायें। काजू, मूँगफली, अखरोट भिगोकर खायें। दही, छाछ, सोयाबीन खायें। मधुमेह के रोगी को हर सातवें दिन एक दिन का उपवास करना लाभदायक है। उपवास में फल, सब्जियाँ, फीका नीबू-पानी ही लें। अन्य चीजें नहीं खायें।
नीबू– प्यास अधिक होने पर पानी में नीबू निचोड़ कर पिलाने से मधुमेह में लाभ होता है। यह तीन बार नित्य पीयें।
नारंगी-मधुमेह के रोगी को 1 नारंगी दे सकते हैं। नारंगी के छिलके छाया में सुखा कर कूट लें। इनकी चार चम्मच एक गिलास पानी में उबाल कर छान कर नित्य पीयें।
आम—आम और जामुन का रस समान भाग मिलाकर कुछ दिनों तक पीने से मधुमेह रोग ठीक हो जाता है।
आँवला- ताजे आँवलों के चार चम्मच रस में एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से मधुमेह ठीक हो जाता है।
जामुन-(1) मधुमेह के रोगी को नित्य जामुन खानी चाहिए। होम्योपैथी में मधुमेह के लिए जामुन का रस सीजीजीयम जेम्बोलिनम मदर टिंचर के नाम से काम में लिया जाता है। जामुन की गुठली का चूर्ण आधा चम्मच शाम को पानी के साथ लेने से पेशाब में शर्करा आना ठीक हो जाता है।
(2) जामुन की गुठली और करेले सुखा कर समान मात्रा में मिला कर पीस लें। इसकी एक चम्मच सुबह-शाम पानी से फैकी लें।
टमाटर- मधुमेह के रोगी के लिए टमाटर बहुत लाभदायक है। मूत्र में शक्कर आना धीरे धीरे कम हो जाता है। प्रमेह में भी यह उपयोगी है।
गाजर- गाजर का रस 310 ग्राम, पालक का रस 185 ग्राम मिलाकर नमक, जीरा डालकर पीने से मधुमेह रोग में फायदा होता है।
मूली-दो बार मूली खाने से या इसका रस पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
करेला—(1) 15 ग्राम करेले का रस, 100 ग्राम पानी में मिलाकर नित्य तीन बार करीब 3 महीने पिलाना चाहिए। खाने में भी करेले की सब्जी खायें। छाया में सुखाए हुए करेलों का चूर्ण 6 ग्राम, दिन में एक बार लेने से मूत्र में शर्करा आनी बन्द हो जाती है।
(2) 250 ग्राम करेला, आधा किलो पानी में उबालें। चौथाई पानी रहने पर छानकर पीयें।
भिन्डी—भिन्डी के डाँड काट लें। इन डाँडर्डो को छाया में सुखा कर पीस कर मैदा की चलनी से छान लें। इनमें समान मात्रा में मिश्री मिला कर आधा चम्मच प्रातः भूखे पेट ठंडे पानी से नित्य फैकी लें। मधुमेह ठीक हो जायेगा। यह रोगियों के अनुभव से ज्ञात हुआ है।
शलगम-मधुमेह के रोगी को शलगम की सब्जी नित्य खानी चाहिए।
गेहूँ—इसके छोटे-छोटे पौधों का रस पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
मेथी—(1) दाना मेथी के बीजों के सेवन से मधुमेह ठीक हो जाता है। मेथी के बीजों से खून में चीनी की मात्रा कम होती है। इनसे मूत्र के साथ निकलने वाली चीनी की मात्रा 65 प्रतिशत कम हो सकती है। यह अपना असर सेवन करने के दस दिन बाद ही दिखा देती है। भोजन से 15 मिनट पूर्व पानी के साथ मेथी फाँकना अधिक लाभप्रद होता है। इसके सेवन की मात्रा 25 से 100 ग्राम तक प्रति खुराक है। इसे किसी भी तरह सब्जी बना कर, फँकी, पीसकर आटे में मिलाकर रोटी बनाकर; चावल, दाल, सब्जियों, चटनी अथवा इसके चूर्ण को दूध या पानी में मिलाकर किसी भी तरह ले सकते हैं। भोजन यदि 1200-1400 कैलोरीज तक प्रतिदिन किया जाये तो इसका प्रभाव शीघ्र होता है। जब तक रक्त व पेशाब में शक्कर आनी रहे, इसका सेवन करते रहें। इसके सेवन से चीनी घटने के साथ-साथ कोलेस्ट्रोल भी कम हो जाता है। मेथी के सेवन से मधुमेह के लिए ली जाने वाली दवाइयाँ धीरे-धीरे कम करते जायें। अन्त में पूर्णतः दवाइयाँ बन्द कर दें तथा मेथी लेते रहें।
(2) दाना मेथी 60 ग्राम बारीक पीस कर एक गिलास पानी में भिगो दें। इसे 12 घंटे बाद छानकर पीयें। इस प्रकार सुबह-शाम दो बार नित्य 6 सप्ताह पिलाने से मधुमेह ठीक हो जाता है। इसके साथ मेथी के हरे पत्तों की सब्जी भी खायें।
चना—(1) रात को आधा छटाँक काले चने दूध में भिगो दें और सबेरे खायें। चने और जौ समान भाग मिलाकर इसके आटे की रोटी सुबह-शाम खायें।
(2) केवल चने (बेसन) की रोटी ही दस दिन तक खाते रहने से पेशाब में शक्कर जाना बन्द हो जाता है।
हल्दी – यदि बार-बार और अधिक मात्रा में पेशाब आये, प्यास लगे तो आठ ग्राम पिसी हुई हल्दी नित्य दो बार पानी के साथ फँकी लें। लाभ होगा।
शहद–मीठा खाने की तीव्र इच्छा होने पर शक्कर के स्थान पर अति अल्प मात्रा में लेकर मूत्र में शक्कर आने, गुर्दे (वृक्क) के पुराने रोगों से बच सकते हैं। शहद मीठा खाने की तीव्र इच्छा की पूर्ति के लिए ही लें, वरना न लें। शहद
खजूर—मधुमेह और ऐसे रोग जिनमें मीठा खाना हानिकारक होता है और रोगी मीठा खाने की इच्छा व्यक्त करता है, वहाँ खजूर का सेवन अल्पमात्रा में कर सकते हैं।
सदाबहार फूल—एक कप तेज गर्म पानी में से आधा कप पानी अलग लेकर इसमें गुलाबी `रंग के सदाबहार के तीन फूल पाँच मिनट पड़े रहने दें। पाँच मिनट बाद फूल निकाल कर फैंक दें और पानी एक बार नित्य सात दिन पीयें। आधा कप अलग रखा गर्म पानी इसके बाद पीयें। मधुमेह में बढ़ी हुई ब्लड-शुगर सामान्य हो जायेगी। कुछ दिन बाद पुनः इसी प्रकार से सदाबहार के गुलाबी फूलों का पानी पीयें। परहेज यथावत रखें। कई रोगियों ने यह प्रयोग मधुमेह का सफल इलाज बताया है। जो भी रोगी इसे सेवन करें, इससे मिलने वाली सफलता की सूचना भेजते रहें। उनके अनुभव से अन्य रोगियों में इसके प्रति विश्वास बनेगा तथा वे भी इसका लाभ लेंगे।
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