सिर दर्द (Headache)
सिर-दर्द, ललाट, कनपटियों, सिर के पीछे के भाग, ऊपर के हिस्से, सारे सिर में कहीं भी हो सकता है। सिर-दर्द कुछ बीमारियों में तो एक लक्षण मात्र होता है, जैसे-ज्वर, फ्लू, माता आदि में। कभी स्वतन्त्र रूप से केवल सिर दर्द होता है। ऐसा सिर दर्द स्वयं एक रोग है।
सिर दर्द के कारण
1. मस्तिष्क की शिराओं में रक्त संचय से सिर दर्द होता है।
2. रक्तभार (Blood Pressure) की वृद्धि होने से लगातार सिर-दर्द रहने का लक्षण रहता है। रक्तभार कम होने से मस्तिष्क को रक्त-ऑक्सीजन कम मिलने से सिर-दर्द होता है।
3. ज्वरों में सिर दर्द मस्तिषकावरणगत धमनियों के फैल जाने से होता है।
4. क्रोधादि तीव्र मानसिक आवेश से कपाल की धमनियों में शैथिल्य (Dilatation) होकर सिर-दर्द होता है। चिन्ता से चेहरे और कपाल की माँस-पेशियों में तनाव (Tension) बढ़ जाने से सिर दर्द रहता है जो पिछले भाग (Occipital) में होता है।
5. नींद कम आने, न आने से सिर दर्द होता है।
6. रक्त में विष, जैसे मूत्र रोग, कब्ज, अपच से उत्पन्न प्रभाव से सिर दर्द हो जाता है।
7. मस्तिष्क में अबुर्द, शोथ, जलवृद्धि से सिर दर्द होता है।
8. नेत्रों की कमजोरी, नेत्र रोग, कान, नाक, गले, दाँतों के रोगों से सिर-दर्द होता है।
9. कोई सिरा प्रसारक औषधि खाने से शरीर में कोई बाह्य प्रतिकूल प्रोटीन आने से सिर दर्द होता है।
10. लगातार रहने वाले सिर दर्द के कारण अम्लपित्त (Acidity) और नेत्रों के रोग है।
चिकित्सा- सिर दर्द के कारण, प्रकृति, स्थिति, रोगी के धातु के अनुसार चिकित्सा करने से सिर दर्द ठीक हो जाता है। सबसे पहले तो कारणों को दूर करने का प्रयास करें। जुकाम, अधिक श्रम, मानसिक चिंता, रात्रि जागरण, रक्त-संचय से जो सिर दर्द होता है, वह अपने आप चला जाता है। चिकनाई वाले पदार्थों के सेवन की कमी से आँखों में सफेदी, मस्तिष्क में रुक्षता हो जाती है। इससे सिर दर्द हो जाता है। ऐसे सिर दर्द में दूध, मक्खन, घी, हलुवा चिकने पदार्थ अधिक सेवन करने से लाभ होता है। शारीरिक और मानसिक श्रम अधिक करने से होने वाले सिर-दर्द में आराम करना चाहिए। निद्रा लेने से हर प्रकार के सिर-दर्द में आराम मिलता है। इस पुस्तक में वर्णित अलग-अलग रोग, जैसे—अनिद्रा, कब्ज, अम्लपित्त, गैस ही सिर-दर्द के कारण हों तो इनमें बताई चीजें खानी चाहिए। नीचे भोजन के द्वारा चिकित्सा में प्रयुक्त चीजों का वर्णन दिया जा रहा है जो सिर दर्द दूर करती हैं।
सिर दर्द के घरेलू उपाय
पानी- जुकाम से सिर दर्द हो तो दोनों पैरों को गर्म पानी में रखने से आराम मिलता है। रक्तभार की अधिकता से तेज सिर दर्द हो तो सिर पर पानी की पट्टी रखें।
यूक्लिपटस ऑयल- यह दवा बेचने वालों की दुकान पर मिलता है। जुकाम से होने वाले सिर-दर्द में ललाट पर लगायें एवं सूँघें। तत्काल लाभ होता है।
नीबू – सिर दर्द होने पर नीबू चाय में निचोड़ कर पीने से लाभ होता है। नीबू की पत्तियों को कूट कर, रस निकाल कर रस को सूँघें। जिन्हें हमेशा सिर दर्द रहता है, वे यह उपाय करें। इससे सदा के लिए सिर दर्द ठीक हो जायेगा। नीबू की पत्तियों को सुखाकर प्रतिदिन प्रात: सूँघने और चाय पीने से चमत्कारी फल मिलेगा।
सेब- सेब पर नमक लगाकर 20-25 दिन खाने से सिर दर्द में लाभ होता है। एक या दो सेब नमक लगाकर प्रातः भूखे पेट चबाकर नित्य खायें। इसके बाद गर्म पानी या गर्म दूध पीयें।
नारियल- नारियल की सूखी गिरी और मिश्री सूर्य उगने से पहले खाने से सिर-दर्द बन्द हो जाता है।
गाजर- गाजर का रस 185 ग्राम, चुकन्दर का रस 150 ग्राम, खीरा या ककड़ी का रस 125 ग्राम मिलाकर पीने से सिर दर्द ठीक होता है।
इमली – 50 ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगो कर मल कर चीनी डालकर छान कर सुबह-शाम दो बार पीने से गर्मी से उत्पन्न सिर दर्द में लाभ होता है।
फालसा– पित्त प्रकोप के कारण होने वाले सिरदर्द में फालसे का शर्बत सुबह-शाम पीना लाभप्रद होता है।”
प्याज- हर प्रकार का सिर दर्द, लू लगने से सिर दर्द हो तो प्याज को पीस कर पैरों के तलुओं पर लेप करने से लाभ होता है। प्याज को काटकर सूँघने से भी सिर-दर्द दूर होता है।
लहसुन- सिर दर्द चाहे आधे सिर का दर्द हो, कैसा भी दर्द हो लहसुन पीसकर कनपटी पर जहाँ दर्द हो, लेप करने से दर्द मिट जाता है। लहसुन के लेप से त्वचा पर फफोले पड़ जाते है। अत: लेप करते समय सावधान रहना चाहिए। थोड़ी देर लेप करने के बाद धोकर जगह साफ कर देनी चाहिए। यदि आधे सिर का दर्द हो तो जिस ओर हो उस ओर के नथुने में दो बूँद लहसुन का रस डालो। हर दो घण्टे से दो कलियाँ लहसुन चबवा कर ऊपर से पानी पिलायें।
उड़द- उड़द की दाल भिगो कर पीसकर ललाट पर लेप करने से गर्मी से हुआ सिर दर्द ठीक हो जाता है।
घी- रात को सोते समय सिर दर्द ठीक हो जाता है।
सरसों का तेल — ठंड से सिर दर्द हो, ठंडे पानी से स्नान करने से, ठंडी हवा में घूमने के अचानक होने वाला पैर की तलियों पर घी की मालिश करने से कारण सिर-दर्द हो तो नाक, कान, नाभि और तलवों पर सरसों का तेल लगायें, लाभ होगा।
चाय- जब नाक बह रहा हो, छींकें आती हों, ठंड से सिर दर्द हो तो चाय पीने से सिर दर्द में लाभ होता है। सौंफ,–एक चम्मच सौंफ चबा कर दूध पीयें। सिर दर्द में लाभ होता है। पुराने सिर-दई के रोगी नित्य ही दो बार सेवन करें।
गेहूँ- गेहूँ का आटा आग पर डालकर इसका धुआँ नाक से सूँघें, अन्दर खीचें। इससे सर्दी, जुकाम, नजला बिगड़ने से, साइनोसाइटिस के कारण, सूर्योदय के साथ बढ़ने वाला सिर दर्द ठीक हो जाता है। गेहूँ के आटे का धुआँ तीन मिनट नित्य सुबह-शाम सूँघें। पुराने, असाध्य समझे जाने वाले सिर दर्द ठीक हो जायेंगे।
ग्वार-पाठा- अन्दाजे से ग्वारपाठे का गूदा निकाल कर उसमें गेहूँ का आटा मिलाकर दो बाटी बनाकर सेक लें। सेकने के बाद हाथ से दबाकर देशी घी में डाल दें। प्रातःकाल सूर्योदय के पहले खाकर सो जायें। इस प्रकार 5-7 दिन तक सेवन करने से कैसा भी, कितना भी पुराना सिर दर्द हो, इससे आराम हो जाता है।
चने- नुकती दाने या मोतीचूर के लड्डुओं पर घी और काली मिर्च डालकर खाने से कमजोरी से होने वाला सिर दर्द ठीक जाता है।
लौंग –(1) लौंग को पीस कर लेप करने से सिर दर्द तुरन्त बन्द हो जाता है, इसका तेल भी लगाया जा सकता है।
(2) पाँच लौंग पीस कर एक कप पानी में मिलाकर गर्म करें। आधा पानी रहने पर, छानकर चीनी मिलाकर पीयें। शाम और सोते समय, दो बार लेते रहने से सिर दर्द ठीक हो जाता है।
हींग – सर्दी से सिर दर्द हो तो हींग गर्म पानी में घोल कर लेप करें।
काली मिर्च – एक काली मिर्च सुई में चुभोकर जलायें और इसका धुआँ सुँघायें। इससे वातजन्य सिर दर्द भी ठीक हो जाता है। पोदीना-पोदीने को पीस कर ललाट, कनपटियों पर लेप करने से सिर दर्द में लाभ होता है।
धनिया-गर्मी के कारण सिर-दर्द- (1) सूखा धनिया दस ग्राम, गुठली रहित सूखा आँवला पाँच ग्राम रात को मिट्टी के पात्र में एक गिलास पानी में भिगो दें। प्रातः मलकर मिश्री मिलाकर छान कर पिलायें। यह सिर दर्द में हितकर है।
(2) सिर दर्द में खासकर पित्त की अधिकता से होने वाले सिर दर्द में धनिया पीस कर लेप करें, आशातीत लाभ होगा।
नमक– एक चुटकी नमक जीभ पर रखें, दस मिनट बाद एक गिलास ठण्डा पानी पीयें, सिर दर्द ठीक हो जायेगा।
(2) 62 ग्राम जल में 3 ग्राम या चने के बराबर नमक मिलाकर उस पानी को सूँघने से सिर-दर्द में आराम होता है।
अदरक –आधे सिर का दर्द, सारे सिर का दर्द यदि अपच से, पेट की गड़बड़ी से उत्पन्न हुआ हो तो सौंठ को पीस कर उसमें थोड़ा-सा पानी डालकर लुगदी बना लें। इसे हल्का-सा गर्म करें। फिर दर्द वाले स्थान पर लेप करें।
आरम्भ में हल्की-सी जलन प्रतीत होती है। दर्द शीघ्र ठीक हो जाता है। डॉ. बी. एल. जैन, वनस्पति विभाग, राज.विश्वविद्यालय, जयपुर का अनुभूत । जुकाम से सिर दर्द हो तो सौंठ को पानी में पीस कर लेप करें ।
इलायची– इलायची पीसकर सिर पर लेप करने से सिर दर्द बन्द हो जाता है। इसके चूर्ण को सूँघना चाहिए। सूँघने से छींकें आकर मस्तक पीड़ा घटती है। तेजपात – सर्दी या गर्मी किसी भी कारण से सिर दर्द हो, तेजपात डंठल सहित पीस कर हल्का गर्म करके ललाट पर लेप कर दें। दर्द मिट जायेगा।
जायफल – सर्दी लगने से सिर दर्द हो तो ललाट पर जायफल घिसकर लेप करने से लाभ – – होता है।
दालचीनी– दालचीनी पानी में पीसकर गर्म करके कनपटियों व ललाट पर लेप करने से लाभ होता है।
तुलसी- तुलसी के पत्तों को छाया में सुखाकर रख लें। इन्हें पीस लें। इसे सिर-दर्द के रोगी को सुँघाने से पीड़ा शान्त होती है तथा पागलपन की उत्तेजना ठीक होती है। तुलसी के पत्तों का रस और नींबू का रस समान मात्रा में पीने से सिर दर्द दूर होता है।
तरबूज – यदि सिर दर्द गर्मी के कारण हो तो तरबूज का गूदा मलमल के कपड़े में डालकर निचोड़ें और रस को काँच के गिलास में भर लें। इसमें मिश्री मिलाकर प्रातः पिलायें ।
मिट्टी- गीली मिट्टी की पट्टी सिर पर रखने से सिर-दर्द दूर होता है।
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