ठंडे पानी से नहाने के फायदे (cold water bathing benefits)
डॉक्टरों के अनुसार हमें सर्दियों में भी गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए। हाँ, सर्दी में हमें रोज नहाना चाहिए। ठण्डे पानी से और वह भी जल्दबाजी में नहीं। यह जरूरी नहीं कि पानी बर्फीला ठण्डा हो । सामान्य नल के पानी से नहाया जा सकता है। हम देखते हैं कि हमारे अनेक मेले तथा पवित्र स्नान-पर्व सर्दियों में ही पड़ते हैं। शुरू में तो हम में से अधिकतर लोगों को ठण्डे पानी से नहाने का नाम लेने से ही कँपकँपी महसूस होने लगेगी लेकिन यदि हम ठण्डे पानी से नहाना शुरू करें तो शीघ्र ही ठण्डे पानी से लगने वाला भय दूर हो जाएगा।
स्नान विधि
ठण्डे पानी से स्नान करने का आसान तरीका यह है कि पहले सिर पर पानी डालें। नदियों में स्नान करते हुए लोग पहले अपने सिर को पानी में डुबोते हैं, अक्सर आपने ऐसा देखा होगा। ठण्डे पानी से नहाते समय पहले सिर को गीला करने से सिर की गर्मी सारे शरीर में से होती हुई पैरों से निकल जाती है लेकिन पहले पैर और लातें भिगोने से या शरीर का निचला भाग भिगोने से शरीर की गर्मी सिर से निकलती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से ऐसा नहीं होने देना चाहिए।
नहाने में जल्दबाजी भी नहीं करनी चाहिए। अपनी हथेलियों से अपने शरीर के विभिन्न अंगों को रगड़ना चाहिए। इस प्रकार स्नान का पूरा लाभ उठाना चाहिए। शरीर के विभिन्न अंगों को रगड़ने से हमारे शरीर में स्थित छिद्रों में गतिशीलता आती है और वे खुलते हैं। इन छिद्रों से काफी मात्रा में पसीना और अन्य मैल बाहर निकलता है। अपने हाथों से शरीर को रगड़ने के बाद साफ ‘सूखे तौलिये से शरीर को रगड़ें। तौलिए से बदन पौंछने का मतलब केवल यही नहीं है कि हमा अपने शरीर से पानी पौंछें, बल्कि तौलिए से त्वचा को अच्छी तरह से रगड़ना भी है। ठण्डे पानी से स्नान करने के फौरन बाद हमें गर्म कपड़े पहन लेने चाहिए क्योंकि ठण्डे पानी से स्नान के बाद हमारा शरीर गर्म हो जाता है, ऐसे में ठण्डी हवा का झोंका हमारे शरीर को नुकसान दे सकता है।
ठंडे पानी से नहाने के लाभ
ठण्डे पानी से नहाने में हमें अनेक लाभ हैं जो गर्म पानी से नहाने में हमें प्राप्त नहीं हो पाते। गर्म पानी से नहाने से पूर्ण रूप से संतुष्टि नहीं होती और गर्म पानी समाप्त होते ही कँपकँपी शुरू हो जाती है। इसके अतिरिक्त नियमित रूप से गर्म पानी से नहाने से हमारी ऊपरी त्वचा पर रक्त का संचालन कम हो जाता है। गर्म पानी से नहाने से हमारे शरीर की बाहरी त्वचा की ऊपरी सतह तक रक्त का संचालन ठीक प्रकार से नहीं हो पाता। इसके अतिरिक्त बाहरी त्वचा के समीप हमारे शरीर की रक्त कोशिकायें भी कमजोर पड़ जाती हैं। जबकि ठण्डे पानी से स्नान करने से वे मजबूत होती हैं। जब हमारे शरीर की बाहरी त्वचा ठण्डे पानी के सम्पर्क में आती है तो हमारी त्वचा सिकुड़ती है। इस प्रकार तापक्रम के अंत के कारण त्वचा के संकुचित होने से इसे आराम मिलता है और इससे त्वचा की मालिश होने जैसा प्रभाव उत्पन्न होता है। कभी-कभी गुनगुने पानी में स्नान कर लेना ठीक रहता है लेकिन इसकी नियमित आदत नहीं बना लेनी चाहिए।
नहाने के लिए जब हम ठण्डे पानी का प्रयोग करते हैं तो हमारे शरीर में रक्त का संचालन तेजी से होने लगता है। यह हम नहाते हुए महसूस भी कर सकते हैं। मजेदार बात तो यह है कि जब ठण्डे पानी से नहाते हैं तो हमारा शरीर एक प्रकार की भीतरी गर्मी महसूस करता है। ऐसा हमारे शरीर में रक्त संचार तेजी से होने के कारण होता है।
जो लोग ठण्डे पानी से नहाते हैं बहुत कम ही बीमार होते देखा गया है। ठण्डे पानी से नहाने से आदमी बीमार नहीं होता। हाँ, ठण्डे पानी से स्नान करना उस व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकता है जो कि पहले से ही बीमार चल रहा हो। जो लोग सर्दियों में नियमित रूप से नदी में या ठण्डे पानी से स्नान करते हैं वे लोग अन्य लोगों के मुकाबले अधिक हृष्ट-पुष्ट पाए जाते हैं।