खूनी बवासीर का घरेलू इलाज (Bleeding Piles)
नीबू – (1) गरम दूध में आधे नीबू का रस डालकर तुरन्त हर तीन घण्टे से पिलायें।
(2) नीबू काटकर दोनों फाँकों में पिसा हुआ कत्था भरें। फिर दोनों टुकड़े ओस में रख दें। प्रातः दोनों टुकड़े चूस लें। इससे बवासीर से रक्त गिरना बन्द हो जायेगा।
आँवला- सूखे आँवले को बारीक पीसकर एक चाय की चम्मच सुबह-शाम दो बार छाछ या दूध से लेने से खूनी बवासीर में लाभ होता है। दूध गर्म हो।
अनार—सुबह-शाम ताजा पानी में 8 ग्राम अनार के पिसे हुए छिलकों की फ्रँकी लें।
पपीता- रक्तस्रावी बवासीर में प्रतिदिन दोपहर में पपीता खाना लाभदायक है। पपीता अच्छा, पका हुआ होना चाहिए। कच्चे पपीते की सब्जी भी खानी चाहिए।
नारियल- रक्तस्रावी बवासीर में नारियल की जटा जलाकर बूरा मिलाकर दस-दस ग्राम की फँकी पानी के साथ लें।
लौकी (घीया)- लौकी के छिलके छाया में सुखा कर पीस लें। इसकी एक चम्मच सुबह-शाम दो बार ठंडे पानी से फँकी लेने से बवासीर में रक्त आना बन्द हो जाता है। यह प्रयोग सात दिन तक करें।
प्याज- प्याज का सेवन रक्तस्रावी और अरक्तस्रावी, दोनों प्रकार के अर्श ठीक करता है।
मूली– कच्ची मूली खाने से बवासीर से गिरने वाला रक्त बन्द हो जाता है। एक कप मूली का रस एक चम्मच देशी घी मिलाकर सुबह-शाम पीयें, लाभ होगा।
करेला- एक चम्मच करेले का रस शक्कर मिलाकर दो बार नित्य पीने से लाभ होता है।
चना- सिके हुए गरमा-गरम चने खाने से रक्तस्रावी बवासीर में लाभ होता है।
मसूर की दाल- खुनी बवासीर में प्रातः के भोजन के साथ मसूर की दाल खाने और एक गिलास खट्टी छाछ पीने से लाभ होता है।
तिल- 60 ग्राम काले तिल चबा-चबाकर खाकर दही का सेवन करने से बवासीर से रक्त गिरना बन्द हो जाता है। अर्श पर तिल का तेल लगाये।
इमली – रक्तस्रावी बवासीर में इमली के पत्तों का रस पिलाने से लाभ होता है।
जमीकन्द- ६-चावल और इमली के पत्तों के साथ जमीकन्द की सब्जी बनाकर खाने से लाभ होता है।
फूलगोभी- सलाद के रूप में कच्ची फूलगोभी खायें। दही – जब तक बवासीर से रक्त आता रक्त आता रहे तब तक केवल दही ही खाते रहें, अन्य कोई चीज न खायें। रक्तस्राव बन्द हो जायेगा।
घी- घी, तिल और पीसी हुई मिश्री- प्रत्येक की एक-एक चम्मच लेकर मिलाकर नित्य तीन बार खायें। बवासीर से रक्त गिरना बन्द हो जायेगा।
मेथी – दाना मेथी का काढ़ा या इसे दूध में उबाल कर पीने से बवासीर में रक्त आना बन्द हो जाता है। ईसबगोल – एक चम्मच ईसबगोल की भूसी गरम पानी या गरम दूध के साथ रात को सोते समय लें।
फिटकरी- मल-त्याग के बाद नित्य फिटकरी को पानी में घोलकर गुदा धोयें, अन्दर पिचकारी दें। इससे खूनी बवासीर में लाभ होता है।
राल – 60 ग्राम पीली राल लेकर बारीक पीस लें। नित्य सवेरे 7 ग्राम चूर्ण आधा पाव ही में मिलाकर सेवन करें। खूनी बवासीर के लिए यह अचूक औषधि है। इसे एक सप्ताह सेवन करें। जब भी पेशाब करने जायें, अपने मूत्र की चुल्लू (अन्जलि) भरकर गुदा के मस्सों को धो लिया करें। दो महीने ऐसा करने से बवासीर रोग हमेशा के लिए दूर हो जायेगा। पीली राल पंसारी के मिलती है। खूनी बवासीर के अतिरिक्त हर प्रकार के बवासीर में इससे लाभ होता है।
छाछ- छाछ में सेंधा नमक और सिका हुआ पिसा हुआ जीरा एक चम्मच मिलाकर एक एक गिलास चार बार नित्य पीयें। रात को सोते समय गुदा में दूध की मलाई मलें।
जीरा- जीरा, सौंफ, धनिया प्रत्येक एक चम्मच को एक गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर छान कर एक चम्मच देशी घी मिलाकर नित्य सुबह-शाम पीने से बवासीर से रक्त गिरना बन्द हो जाता है। यह गर्भवती स्त्रियों के बवासीर में अधिक लाभदायक है।
धनिया- खूनी बवासीर में मिश्री मिलाकर हरे धनिये की पत्तियों का रस दो बार नित्य पीने से शीघ्र लाभ मिलता है।
- Piles treatment in Hindi | बवासीर का घरेलू इलाज
- बिना खूनी बवासीर का इलाज | Non-Bleeding Piles Home Remedies in Hindi
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