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अफीम (Opium) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अफीम (Opium) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
अफीम (Opium) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अफीम (Opium)

प्रचलित नाम – पोस्ता, अफीम, खसतिल ।

उपयोगी अंग – फल, बीज तथा अफीम ।

स्वरूप – एक वर्षीय क्षुप जो मृदु रोमश है। इसके अंगों से दूधरस निकलता है। पत्ते सरल, पत्रवृंत छोटा, पत्र विषम। दन्तुर, फलक मूल हृदयाकार जो कांड को चारों तरफ से घेरे हुए होता है। फूल सफेद रक्तव अथवा श्यामवर्णी होते हैं।  फल कैप्स्यूल के आकार के एवं स्फोटनशील होते हैं।

स्वाद- तीखा।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

बल्य, कफ निःसारक, कामोनेजक, रक्तशुद्धिकारक ग्राही, रुचिकर, रक्त स्तंभक, मादक, शूलहर, स्वेदजनन, मूत्रल, उत्तेजक पंचांग चातानुलीमक (वातहर), वाजीकरण, कफ निःसारक।

इसके फल- रक्तशुद्धि कारक, रुचिकर, कामोत्तेजक। आमवात, अतिसार तथा संधिशोथ में लाभदायक। अफीम कृमिघ्न प्रमेह, कारा तथा प्लीहा वृद्धि में लाभदायक। शिरःशूल, पार्शशूल, कटिशूल, गृप्रसी, उन्माद में अफीम का फांट पिलाने से फायदा होता है। आमातिसार में इसके बीज (खस-खस) को दही में पीस कर सेवन से फायदा होता है। मोत्र, सूजन तथा चर्म नीलांछन में रस के क्याथ अथवा फांट से सका जाता है। शुष्क कास में अन्य औषधि के साथ इसके चूर्ण का उपयोग लाभकारी नेत्रामिष्यंद (पीडायुक्त) में इसका लेप नेत्र के चारों और लगाते हैं। खस तिल-बीज को दूध में पीसकर सिर पर लगाने से इसमें होने वाले फोड़े-फुन्सियाँ तथा रूसी साफ हो जाती है।

उग्र वेदना में अफीम का उपयोग अति उत्तम है। अफीम अच्छा वीर्यस्तंभक होने की वजह से बहुपत्नी वाले राजा इसका कुसुम्बा बनाकर पीते थे, इससे वीर्य का टिकाव अच्छा रहता है। श्वासरोग, त्रासदायक खांसी, उदर शूल में, अफीम के सेवन से अत्यंत चमत्कारी असर देखने को मिला है। शूलयुक्त अर्श पर अफीम तथा रसवंती का लेप करने से वेदना कम होकर रक्तस्राव बंद हो जाता है। इसके अलावा धतूरा के पत्रों के रस में अफीम मिलाकर इसका लेप करने से वेदना जल्दी बंद हो जाती है।

कानदर्द में अफीम जलाकर उसकी राख में चार चावल के बराबर तिल के तेल में मिलाकर कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है। अफीम के सेवन से नशा सा होने लगे तो घी का उपयोग करना चाहिए। अफीम का प्रयोग बुद्धिजीवी व्यक्ति औषधि के रूप में करके लाभान्वित होते हैं; लेकिन मूर्ख व्यक्ति इसके नशे के वश में होकर हृदय तथा दिमाग को हानि पहुँचाते हैं। औषधि के रूप में अफीम की मात्रा से आधी रत्ती मध्यम मात्रा है, जबकि आधी से डेढ़ रत्ती, उत्तम मात्रा है। वेदना स्थापन के लिए अफीम श्रेष्ठ औषधि है।

मात्रा- अफीम-आधा से एक रत्ती बीज-एक चौथाई से आधा तोला।

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