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अमलवेत (Rumex Vesicarius) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अमलवेत (Rumex Vesicarius) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
अमलवेत (Rumex Vesicarius) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अमलवेत (Rumex Vesicarius)

प्रचलित नाम- अमलवेत, चूका, अम्बेरी।

उपलब्ध स्थान- यह समस्त भारत में पाया जाता है।

परिचय- यह एक हल्के रंग की एकवर्षजीवी वनस्पति है। इसके पत्ते तीखी नोक वाले होते हैं। इसका पेड़ मध्यम आकार का होता है। यह दो जाति का होता है—एक को अमलवेत व दूसरे को बेंती कहते हैं। यह वृक्ष मालियों के बगीचों में काफी होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के कच्ची स्थिति में हरे और पकने पर पीले पड़ जाते हैं। यह चिकना रहता है। इसके बीज ‘तुख्म हमाज’ के नाम से बाजार में बहुत बिकते हैं।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

आयुर्वेद – अमलवेत अधिक खट्टा, भेदक, हल्का अग्निदीपक, पित्त बढ़ाने वाला, रूखा और हृदय रोग, पेटदर्द, वायुगोला, कब्जियत, प्लीहा, हिचकी, शराब से उत्पन्न हुई विकृति, सांस, खांसी, अजीर्ण और  वात  रोग को हरने वाला है। चरक के मतानुसार, इसके पत्ते सर्पविष को दूर करने वाले तथा बीज बिच्छू के विष के को नाश करने वाले होते हैं।

यूनानी- यह औषधि ठंडी, पौष्टिक तथा खुजली की बीमारी में उपयोगी है। मंदाग्नि को दूर कर यह भूख को बढ़ाती है। अपने संकोचक गुण की वजह से यह जी का मिचलाना बन्द कर देती है।

इसके पत्ते ठंडे तथा मृदुविरेचक होते हैं, जो मूत्रनिस्सारक औषधि की भांति प्रयोग में लिये जाते हैं।

इसका रस दांतों की पीड़ा को कम करता है। इसके ठंडे स्वभाव के कारण यह पेट की गर्मी का शमन करके भूख को बढ़ा देती है। इसके रस को लगाने से जहरीले जानवरों के डंक की पीड़ा दूर होती है।

गुण-अमलवेत अधिक खट्टा होने के कारण इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में सुखाकर खटाई बनाते हैं।

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