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कसोंदी के फायदे | Benefits of Cassia Occidentalis in Hindi

कसोंदी के फायदे | Benefits of Cassia Occidentalis in Hindi
कसोंदी के फायदे | Benefits of Cassia Occidentalis in Hindi

कसोंदी (Cassia Occidentalis)

प्रचलित नाम- कसोंदी ।

उपयोगी अंग- पत्ते, जड़, फल, फूल।

उपलब्ध स्थान- यह बरसात में सभी मैदानी इलाकों में पाया जाता है।

परिचय- यह एक तरह की फैली हुई छोटी झाड़ी रहती है। ये बरसात में काफी उग आते हैं। इसकी शाखाएं कोमल रेशे वाली और हल्के बैंगनी रंग की होती हैं । पत्ते गोल, बरछी के आकार के ऊपर की ओर मखमली और नीचे की तरफ कुछ खुरदरे रहते हैं। फूल गुच्छों में रहते हैं। फलियां लम्बी-मोटी तथा चपटी होती हैं। फलियों में 20 से 30 तक बीज होते हैं। इसकी कई जातियां होती हैं। एक को काली कसोंदी कहा जाता है। यह ज्यादा उत्तम होती है।

उपयोगिता और औषधीय 

आयुर्वेद – आयुर्वेदिक मत से कसोंदी के पत्तों का शाक रुचिकारक, वीर्यवर्धक, खांसी को खत्म करने वाला, सब प्रकार के विषों को दूर करने वाला, बवासीर में हितकारी, मीठा, कफ, वात विनाशक, पाचक, कंठ शोधक; पित्त नाशक ग्राही और हल्का होता है। खांसी में यह खास रूप से लाभदायक है 1

इसकी जड़ दाद, बिच्छू के जहर और श्लीपद में लाभदायक है। इसके पत्ते सुस्वाद, कमोद्दीपक और विषनाशक होते हैं। गले के विकार, त्रिदोष जन्य बुखार और पित्तविकार में भी यह लाभकारी है। इसके हरे पत्तों को लाकर, धोकर बारीक काटकर सेवन करें अथवा पीस कर सेवन करना चाहिए, दोनों ही विधि से सेवन लाभदायक है।

यूनानी- इसके बीज और पत्ते गरम और खुश्क हैं। इसके पुष्प दिल को शक्ति देने वाले और इसकी जड़ गरम व तर है। इसकी जड़ सर्पदंश में भी लाभदायक है। इसका ताजा रस लगाने से दाद में बहुत होता है। इसकी काली किस्म की जड़ को काली मिर्च के साथ पीसकर पिलाने से सांप के काटे फायदा को भी हुए आराम मिल जाता है। कसोंदी की जड़ की सूखी छाल 7 माशे पीसकर मधु में गोली बनाकर, दूध के साथ -खाकर ऊपर से प्याला भर दूध पीने से स्त्री सहवास में अधिक स्तम्भन होता है। कंठमाला में, पीलिया में, गरमी इत्यादि रोगों में यह औषधि लाभकारी है।

इसकी जड़ की छाल, पत्ते और बीज सभी रेचक होते हैं। बच्चों के हूपिंग कफ में यह औषधि काफी लाभदायक है। इसकी जड़ और बीजों के चूर्ण में दाद तथा खाज को खत्म करने का विशेष गुण देखा गया है। यह औषधि कफ निस्सारक होती है। इसकी जड़ काली मिर्च के साथ देने से सर्पदंश में फायदा होता है। जड़ या छाल को चाय के साथ तथा बीज के चूर्ण को मधु के साथ देने से निश्चित ही मधुमेह में फायदा होता है।

1. कसोंदी की जड़ को चबाकर बिच्छू काटने वाले के कान में बार-बार फूंक मारने से जहर की वेदना शान्त हो जाती है।

2. कसोंदी के ताजे पत्तों को जल में पीसकर सम भाग गेहूं के आटे में मिलाएं, फिर रोटी बनाकर तिल के तेल के साथ खाने से रतौंधी में फायदा होता है। इसके पत्तों का रस नेत्र में टपकाने से रतौंधी में लाभ होता है।

3. इसके पत्तों को नमक और प्याज के साथ पीसकर दांतों के दर्द में लगाने से दर्द शान्त हो जाता है।

4. पत्तों को पीसकर ताजे जख्म पर लेप करने से घाव भर जाता है।

5. इसकी ताजी जड़ को पीसकर सन्दल अथवा कागजी नींबू के साथ लगाने से दाद में बड़ा फायदा होता है।

6. कसोंदी के पत्ते 10 माशे, 3 माशे काली मिर्च के साथ जल में पीसकर एक हफ्ते तक प्रतिदिन पिलाने से गरमी की बीमारी में बहुत लाभ होता है।

7. इसके गरम पत्ते की सब्जी बनाकर खिलाने से सूखी और गीली खांसी, पेट के कीड़े और दमा समाप्त होते हैं।

8. इसकी 3 माशे जड़ और 1 माशे काली मिर्च का चूर्ण पिलाने से सर्प के जहर में फायदा पहुंचता है।

9. इसके 2-3 पत्ते, 2-3 काली मिर्चों के साथ प्रतिदिन पीसकर पिलाने से कामला रोग में फायदा होता है।

10. इसको और मूली के बीजों को पीसकर लेप करने से श्वेतकुष्ठ में फायदा होता है।

11. इसके पत्तों को जूस बनाकर पिलाने से हिचकी खत्म हो जाती है।

12. इसके पत्ते और कालीमिर्चों को पीसकर लेप करने से कण्ठमाला में फायदा होता है।

13. कसोंदी के पत्तों का काढ़ा पिलाने से हूपिंग कफ में फायदा होता है। काढ़ा बनाने के लिए विधि है 15-20 पत्तों को लेकर, मसलकर खौलते जल में डाल दें। जल जलकर जब आधा रह जाए तो उताकर छान लें। ठण्डा करके काढ़ा रूप में सेवन करना चाहिए।

14. कसोंदी के सूखे पुष्पों को पीसकर सूंघने से मिर्गी के रोगों में फायदा होता है।

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