जड़ी-बूटी

कूट (Saussurea Lappa) के फायदे एंव औषधीय गुण

कूट (Saussurea Lappa) के फायदे एंव औषधीय गुण
कूट (Saussurea Lappa) के फायदे एंव औषधीय गुण

कूट (Saussurea Lappa)

प्रचलित नाम- कूट, कोठ, कुर

उपलब्ध स्थान- यह काश्मीर में आठ हजार से बारह हजार फीट की ऊंचाई पर होता है।

परिचय- यह एकवर्षजीवी, मोटी तथा ऊंची कद वाली वनस्पति होती है। इसका तना सीधा होता है। इसके पत्ते झिल्लीदार व कटे हुए, त्रिकोणाकार होते हैं। इसके नीचे के पत्ते बड़े होते हैं तथा ऊपर के छोटे। इसके फूलों का बाहरी आकार गोल होता है। इसका फल टेढ़ा तथा दबा हुआ होता है। इसे सिरदर्द, उन्माद और अपस्मार रोग में प्रयोग में लाते हैं। फल को कूटकर रस निकाल लें तथा दो-तीन चम्मच मात्रा में सेवन करें। एक बार में सिरदर्द में आराम न हो तो एक घण्टे पश्चात् दोबारा पियें आराम होगा।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

1. कूट के पत्तों को सिरके में पीसकर मधु में मिलाकर झाई, दाद, खुजली, श्वेत कुष्ठ तथा बालतोड़ पर लगाने से आराम मिल जाता है।

2. कूट के पत्तों को शराब में पीसकर सांप तथा बिच्छू की काटी हुई जगह पर लेप करने से फायदा होता है।

3. कूट के सूखे पत्तों के चूर्ण को मधु में मिलाकर चटाने से श्वांस में पर्याप्त लाभ होता है।

4. कूट के सूखे पत्तों तथा राल का धुआं सूंघने से हिचकी बंद हो जाती है।

5. कूट तथा एरण्ड की जड़ को कांजी के साथ पीसकर लेप करने से बादी से उत्पन्न हुई मस्तक की पीड़ा मिटती है।

6. कूट की जड़ को तिल के तेल में पकाकर इस तेल का मर्दन करने से पीड़ा में फायदा होता है। तेल में पकाने की विधि यह है-जड़ को अच्छी प्रकार धो लें। कूटकर रसयुक्त बना लें। तेल में कुटी हुई जड़ को रस के साथ पका लें। रस पक जाने पर जब केवल तेल बचे तो इस तेल का प्रयोग मालिश रूप में करें।

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