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काला दाना (Ipomeea Hederacea) के फायदे एवं औषधीय गुण

काला दाना (Ipomeea Hederacea) के फायदे एवं औषधीय गुण
काला दाना (Ipomeea Hederacea) के फायदे एवं औषधीय गुण

काला दाना (Ipomeea Hederacea)

प्रचलित नाम- काला दाना, मिरचई।

उपलब्ध स्थान- यह एक लता होती है। यह भारतवर्ष में वनों में स्वाभाविक तौर से भी उत्पन्न होती है और इसकी बहुत बड़ी मात्रा में खेती भी की जाती है। इसका मूल उत्पत्ति स्थान अमेरिका है।

परिचय- इसकी बेल इश्क पेंचा की बेलों की तरह की होती है। इस बेल की शाखाएं पतली तथा हरी होती हैं। इसके पत्ते हरे और इश्क पेंचा के पत्तों से बड़े होते हैं। इसके हर एक पत्ते में एक नीला पुष्प लगता है। इसी से इसे कई क्षेत्रों पर नीलपुष्पी भी कहते हैं। इसके बीजों का रंग काला होता है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

आयुर्वेद- काला दाना विरेचक, पेट के अफारे को दूर करने वाला तथा प्रदाह, उदर रोग, बुखार, सिरदर्द, मस्तिष्क के रोग और वायुनलियों के प्रदाह में लाभकारी है। यह गैस, अफारा, अपच सम्बन्धी रोगों का नाशक है। इनसे होने वाली समस्त बीमारियों पर नियंत्रण करता है। पर इसके दाने में गर्मी की मात्रा अधिक होने की वजह से अधिक प्रयोग न करना चाहिए, एक दो बार का प्रयोग काफी होता है।

यूनानी- काला दाना औषधि तीसरे दर्जे में गर्म तथा खुश्क समझी जाती है। इसके बीज कड़वे, अरोचक और कृमिनाशक होते हैं। ये यकृत, तिल्ली, जोड़ों की बीमारी, धवल रोगों और पित्त में लाभकारी होते हैं। ये कफ को सुखाते हैं और शरीर में से दूषित रसों को निकाल देते हैं।

1. काला दाने को 6 माशे की मात्रा में भूनकर दो माशे सोंठ के साथ लेने से अच्छा जुलाब लग जाता है। और शरीर की सब गन्दगी को दस्त के मार्ग से निकाल देता है।

2. इसका लेप करने से ‘बर्स’ (एक प्रकार का श्वेत कुष्ठ), ल्यूकोडर्मा तथा बहक, अपने आप बड़बड़ाहट नामक रोग में फायदा होता है।

3. इसके जुलाब से पेट के कृमि निकल जाते हैं। इसके खाने से पेट के भीतर मरोड़ उत्पन्न होती है, इसलिए इसको पीसकर एक रात बादाम के तेल में तर रखकर सुबह खाने से मरोड़ पैदा नहीं होती है। उत्पन्न काले दाने के जुलाब से ज्यादा दस्त आएं और बन्द न हों तो ठण्डा जल पिलाने से और कतीरा गोंद देने से लाभ होता है। जिनकी आंतें दुर्बल हों, उनको यह जुलाब नहीं लेना चाहिए।

4. इसी तरह दिल और जिगर के रोगियों को भी यह नुकसान करता है। इसके दर्प को नाश करने के लिए गुलाब के पुष्प, हरड़ के छिलके और बादाम के तेल का उपयोग करना चाहिए। अगर शरीर कमजोर है। के या मरीज हृदय रोगी है तो अकेले काला दाना का सेवन करने के बजाय उसे गुलाब के फूल के साथ मिलाकर ही प्रयोग कराएं।

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