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कांकोली (Luvanga Scadens) के फायदे एंव औषधीय गुण

कांकोली (Luvanga Scadens) के फायदे एंव औषधीय गुण
कांकोली (Luvanga Scadens) के फायदे एंव औषधीय गुण

कांकोली (Luvanga Scadens)

प्रचलित नाम- कांकोली, धानशिखा ।

उपलब्ध स्थान- यह पूर्वी बंगाल, आसाम, भारत के पहाड़ी क्षेत्र एवं हिमालय की पहाड़ी तराइयों में मिलती है।

परिचय- यह एक प्रकार की झाड़ीनुमा बेल है। यह कांटेदार होती है। इसके पत्ते बड़े कोमल एवं बरछी के आकर के होते हैं। पत्ते 25 सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं। इसके पुष्प सफेद होते हैं। इसका फल गोलाकार होता है। यह कबूतर के अंडे से मिलता-जुलता होता है। इसमें 1 से 3 तक बीज रहते हैं। इसके बीज का सेवन ज्यादा औषधीय गुण रखता है। थोड़ी मात्रा में इसके बीज को पीसकर कुछ रोज तक सेवन करने से वीर्य पुष्टि हो जाती है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

आयुर्वेद- कांकोली शीतल, वीर्यवर्द्धक, धातुवर्द्धक, मीठी, कड़वी, कफ मारक, भारी तथा क्षय, पित्त, तृषा, रुधिरविकार, रक्तपित्त, दाह, बुखार, विष, वायु और पित्त रोग को दूर करने वाली होती है। यह दुष्य, बदन दर्द को दूर करने वाली पाक और रस में स्वादिष्ट, शक्तिकारक, शीतवीर्य और जीवनप्रद होती है। इसके फलों से एक तरह का सुगन्धित तेल, जो कि औषधि के रूप में काम में आता है, तैयार किया जाता है और ‘कालका’ के नाम से जाना जाता है।

यूनानी- यह औषधि ज्वर को मिटा देती है। तपेदिक में लाभकारी होती है। दुर्बलता को दूर करती है। और ‘इस्तका जकी’ नामक बीमारी, जो कि जलोदर ही की एक किस्म होती है, उसमें बहुत लाभ पहुंचाती है। इसके बीजों को औषधि रूप में प्रयोग करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है।

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