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गाजर (Carrot Root) के फायदे एंव औषधीय गुण

गाजर (Carrot Root) के फायदे एंव औषधीय गुण
गाजर (Carrot Root) के फायदे एंव औषधीय गुण

गाजर (Carrot Root)

प्रचलित नाम- गाजर, गर्जर, गुंजनक।

उपयोगी अंग- मांसल मूल तथा बीज ।

परिचय- यह द्विवर्षायु रोमश क्षुप होता है। पत्ते द्वि या त्रिपक्षवत्, संयुक्त, छत्राकार में गुच्छ में होते हैं। इसके मूल मांसल (गाजर) 4-12 इंच लम्बे होते हैं।

स्वाद- मधुर, मीठी।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

इसके बीज सुगंधित, उत्तेजक, वातानुलोमक, मूल (गाजर) बल्य, वाजीकरण व मूत्रल होते हैं।

मूल श्वांस रोग, शोथ, अर्श, अतिसार, रक्तार्श में इसका क्वाथ कामला में इसके कच्चे मूल कृमिघ्न में लाभदायक हैं।

गाजर को कच्ची अवस्था में सलाद में और यूं भी खाया जाता है। यह स्वादयुक्त होने के साथ शक्तिवर्धक, कब्ज को खत्म करने वाली तथा भूख बढ़ाने वाली होती है।

बीज- नाड़ीबल्य, वाजीकरण तथा गर्भाशय शूल में लाभदायक। शोथ में गाजर का शाक बनाकर शोय से पीड़ित रोगी को खिलाना चाहिए।

श्वांस तथा हिचकी में गाजर को पानी में घिसकर नस्य देने से फायदा होता है। अर्श में-दही तथा अनार की अम्लता के साथ घी-तेल मे पकाया हुआ गाजर का शाक खिलाना चाहिए, यह अर्श के रोगियों के लिए उत्तम होता है।

अतिसार में – गाजर का रस पिलाना चाहिए। गाजर के बीज गर्भपातक माने गए हैं। गाजर का हलुवा अधिक पुष्टिकारक माना जाता है; क्योंकि इसमें विटामिन-ए (केरोटिन) अच्छे प्रमाण में रहता है। इसके पत्रों के क्वाथ का प्रयोग गर्भाशय को उत्तेजित करने के लिए प्रसवावस्था समय करते हैं। इसके बीज वाजीकरण समझे जाते हैं और गर्भाशय शूल में उपयोग किया जाता है। कामला रोग में गाजर का क्वाथ पिलाना उत्तम है। दग्ध स्थान में एवं दद्रु व्रण पर पकायी हुई गाजर लगाई जाती है। कृमिघ्न में कच्ची गाजर खिलाने से कृमि समाप्त होते हैं।

कच्ची गाजर खाने के बजाय इसके रस का सेवन ज्यादा लाभदायक होता है। इसके बीज जलोदर में लाभदायक हैं।

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