बीमारी तथा इलाज

Piles treatment in Hindi | बवासीर का घरेलू इलाज

Piles treatment in Hindi
Piles treatment in Hindi

Piles treatment in Hindi (बवासीर का घरेलू इलाज)

फास्ट फूड में रेशे की कमी होती है, जिससे कब्ज हो जाती है। यह कब्ज ही आगे जाकर बवासीर बीमारी बन जाती है। फास्ट फूड से बवासीर के रोगियों में वृद्धि हुई हैं। लगातार कब्ज रहने से मलद्वार की रुधिर वाहिकाएँ एकत्रित होकर गुच्छा-सा बना लेती है। इस गुच्छे (मस्से) में रक्त भर जाने से यह फूल जाती है जिससे मरीज को भारी दर्द और रक्तस्राव होता है। कब्ज न होने देना ही बवासीर रोग का बचाव है।

गुदा-द्वार की त्रिवली की नसें फूलती और बड़ी हो जाती हैं। ये मटर या इससे भी बड़े आकार की देखने में आती हैं। इसे अर्श या बवासीर (Piles) कहते हैं। बवासीर मल-द्वार के नीचे के भाग की शिराओं की स्फीत (Varicose), सूजन की अवस्था का नाम है। चिकित्सा शास्त्र में इसका नाम (Medical Term) हेमोराइड्स (Haemorrhoids) है। बवासीर मल द्वार के अन्दर या बाहर होते हैं। बाहर के बवासीर मल-द्वार खुलने के स्थान के बाहर लटके होते हैं। जब तक ये रगड़ खाकर छिलते (Chafed) नहीं या इनमें संक्रमण (Infection) नहीं होता, इनमें दर्द नहीं होता। जब ये छिल जाते हैं तो कई दिनों तक असहनीय दर्द करते हैं। अन्दर बवासीर से रक्त (खून) गिरता है। बवासीर एक या कई हो सकते है। जब अन्दर का बवासीर मल-द्वार से बाहर निकल आता है तो मल-द्वार अवरुद्ध (Strangulate) हो जाता है, इसे जब तक अन्दर धक्का देकर नहीं पहुँचाया जाय, दर्द करता है। इस प्रकार अन्दर वाला बवासीर रक्तस्रावी, खूनी होता है और बाहर वाला अरक्तस्रावी होता है।

लक्षण- टट्टी जाते समय रक्त के टपके गिरना, काँटा चुभने जैसी वेदना, गुदा में जलन, खुजली आदि हो तो ये बवासीर के लक्षण है। लगातार कब्ज रहने से जब टट्टी करते समय जोर लगाते रहते हैं तो इससे बवासीर हो जाते हैं।

कारण- टट्टी सख्त, कब्ज, बार-बार दस्तावर दवायें लेना, चटपटी मसालेदए चीजें खाना, शराब पीना, यकृत (Liver) की खराबी, बिना शारीरिक परिश्रम के जीवन बिताना, रात को जागना, बैठे रहने का काम अधिक करना, ऐसी दवाइयाँ या भोजन करना जो पेट में गर्मी पैदा करता है। इन कारणों से बवासीर हो जाते हैं।

अर्श या बवासीर में औषधि से आराम अवश्य होता है, किन्तु बीमारी सम्पूर्ण, जड़ से नहीं जाती है। कई लोग परेशान होकर शस्त्रकर्म (Operation) करवाते हैं किन्तु शस्त्रकर्म के बाद भी बवासीर फिर से होता देखा गया है। बवासीर पीढ़ी-दर-पीढ़ी बराबर चला आता है। मेरा चिकित्सानुभव यह है कि जब तक कोई विशेष विकार, कष्ट न हो, शल्य या शस्त्रकर्म नहीं कराना चाहिए। होम्योपैथिक चिकित्सा से इसमें सरलता से लाभ मिलता है। इसकी उत्तम चिकित्सा भोजन के द्वारा ही सम्भव है। अर्श के रोगी का मल साफ और नरम होते रहना चाहिए। इसके लिए कब्ज में बताई गई चीजें खाते रहना चाहिए। टट्टी जाने के बाद मध्यमांगुली से गुदा चक्र हो अच्छी तरह साफ कर देना चाहिए। यहाँ ‘भोजन के द्वारा चिकित्सा पुस्तक में विस्तार से वर्णित वस्तुओं का संक्षिप्त विवरण दिया जा रहा है। इनके नियमित सेवन से इस रोग को दूर कर जीवन सुखमय बिता सकते हैं।

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