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अरारोवा (Grude Chrysarobin) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अरारोवा (Grude Chrysarobin) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
अरारोवा (Grude Chrysarobin) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

अरारोवा (Grude Chrysarobin)

प्रचलित नाम- अरारोवा।

उपलब्ध स्थान- यह ब्राजील में उत्पन्न होती है। ऐंजेलिन अमरोगोसो नामक पेड़ के तनों के खोखले भाग में यह पैदा होती है। इसका चूर्ण गोआ पाउडर के नाम से पहचाना जाता है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

यह औषधि चर्मरोगों के भीतर अपना विशेष प्रभाव रखती है। चमड़ी के ऊपर इसका अधिक सशक्त और शीघ्रता से असर होता है। दाद, विचर्चिका, एक्जीमा, यौवन पीड़िका इत्यादि रोगों पर इसको वैसलीन के साथ मिलाकर प्रलेप करने से काफी लाभ होता है। परन्तु इस लेप को दर्द की सीमा तक ही लगाना चाहिए। उसके बाहर स्वस्थ चमड़ी पर स्पर्श नहीं होने देना चाहिए।

विस्फोटक, विचर्चिका और दाद इत्यादि चर्मरोगों में जल्दी और निश्चित रूप से लाभ पहुंचाने वाली औषधि गोआ पाउडर और नींबू का सिरका है। इस पाउडर को नींबू के रस में गाढ़ा-गाढ़ा मिलाकर दर्द के स्थान पर लेप करने से दो-तीन दिन में पूरी तरह लाभ होता है।

इसकी छाल का रस निकालकर विस्फोटक चर्मरोगों में प्रातःकाल, दोपहर तथा शाम लगाने से कष्ट से जल्दी छुटकारा मिलता है।

इस औषधि के भीतरी प्रयोग के कारण भी विचर्चिका, एक्जीमा तथा यौवन-पीड़िकाओं में लाभ पहुंचता है। परन्तु इसकी छोटी-से-छोटी (एक चावल से कम) मात्रा भी पेट के भीतर ऐंठन पैदा करके घबराहट, व्यग्रता और वमन उत्पन्न करती है। इसलिये इसका भीतरी प्रयोग कदापि नहीं करना चाहिए।

1. इसकी छाल का काढ़ा बनाकर पीने से अतिसार में लाभ पहुंचता है।

2. इसकी 7.5 माशे कोमल पत्तियों को पीसकर गोली बनाकर खाने से सुजाक में फायदा होता है।

3. इसकी छाल के काढ़े से कुल्ले करने से दांत के रोग और मसूड़ों में से खून आना बन्द हो जाता है। पायरिया के रोग में भी इसके काढ़े की कुल्ली कीटाणुओं को मारने की क्षमता रखती है। मुख से आती दुर्गंध में भी लाभकारी है।

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