जड़ी-बूटी

असैन (Spinous Kinotree) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

असैन (Spinous Kinotree) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण
असैन (Spinous Kinotree) की उपयोगिता एवं औषधीय गुण

असैन (Spinous Kinotree)

प्रचलित नाम – असैन, असन।

उपयोगी अंग – छाल, काष्ठ तथा गोंद।

परिचय- यह एक विशाल पतनशील पौधा है। इसके पत्ते तिरछे होते हैं। श्वेत हल्के पीले. पुष्प मंजरियों में होते हैं।

स्वाद – कड़वा ।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

रसायन ग्राही अतिरेचक । मधुमेह, कास, श्वासरोग, रक्तार्श, अस्थिभंग, हृदयरोग, मूत्र विकार, चर्मरोग, श्वित्र तथा प्रमेह में इसका प्रयोग लाभदायक है।

इसके काष्ठ तथा छाल का चूर्ण – ढाई ग्राम आधा चम्मच दूध के साथ रोज तीन बार सेवन से मधुमेह में लाभकारी या छाल क्वाथ 30 मि.ली., इसमें आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है। घाव (फाइब्रोइड गन्ड) पर इसकी छाल बाँधने से घाव भर जाता है। हथेली तथा पैरों के तलों पर पैदा होने वाली गर्मी में इसके पुष्प विन्यास (पुष्प गुच्छ), बेर के पत्ते तथा आंवला, इन सबको एकत्रित कर पीसकर इनके रस को हथेली और पैरों के तलों पर मालिश करनी चाहिए। इसकी मालिश से हथेली तथा तलुओं के रास्ते, शरीर की गरमी निकल जाती है। व्याकुलता में राहत मिलती है। छाले फोड़ने के लिए इसकी छाल और काली तुलसी का रस निकालकर, इसमें चावल मिलाकर रखे रहने । इसमें खट्टापन आ जाने पर इसकी पोटली बाँधनी चाहिए।

अंगघात में इसके छाल की राख रोगग्रस्त भाग पर बाँधने से वह अंग उष्ण होकर इसकी असंवेदनता दूर हो जाती है। कफ में इसके छाल की राख का सेवन शहद के साथ करने से फायदा होता है।

इसे भी पढ़ें…

About the author

admin

Leave a Comment