आम्बोली (Crossandra Undutaefelia)
प्रचलित नाम – आम्बोली।
उपलब्ध स्थान – पश्चिमी प्रायद्वीप, श्रीलंका, उत्तरी भारत, बंगाल तथा मलाया।
परिचय – इसकी ऊंचाई दो हाथ तक की होती है। इसके पत्ते 4 के झंवरों में होते हैं। कुछ जोड़े बर्फी के आकार वाले, तीखी नोक वाले और चमकीले होते हैं। इसमें नसों की आठ जोड़ होती हैं।
इसमें बहुत से पुष्प लगते हैं। ये सब बछ के आकार के और फलिया काफी तीखी रहती हैं। इसका फूल आभ्यन्तर आवरण, नारंगी व पीले रंग का होता है। इसके पुष्प दक्षिण में चोटी में बांधने के काम आते हैं।
उपयोगिता एवं औषधीय गुण
यह वनस्पति कामोद्दीपक होती है। अम्बोली का प्रधान उपयोग कफ के नष्ट करने में होता है। औषधि के तौर पर इसके पत्तों का रस 20 से 30 बूंद तक और इसकी जड़ एक से दो तोला तक दी जाती है। छोटे बच्चों को होने वाली खांसी (ब्रोंकाइटिस) में इसको पान का रस, शहद और पीपर के साथ देने से काफी लाभ मिलता है। इसी प्रकार इसकी जड़ को दूध के साथ आधे तोले से एक तोले तक की मात्रा में उबालकर शक्कर मिलाकर देने से नारियों के श्वेत प्रदर और रक्त प्रदर में काफी लाभ होता है।
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