जड़ी-बूटी

इन्द्रवारुणी के फायदे एवं औषधीय गुण | Colocynth benefits and medicinal properties in Hindi

इन्द्रवारुणी के फायदे एवं औषधीय गुण | Colocynth benefits and medicinal properties in Hindi
इन्द्रवारुणी के फायदे एवं औषधीय गुण | Colocynth benefits and medicinal properties in Hindi

इन्द्रवारुणी (Colocynth)

प्रचलित नाम इन्द्रायण, इन्द्रवारुणी ।

उपयोगी अंग – फल तथा मूल ।

परिचय- यह चिरस्थाई पौधा होता है, एक सदनी लता होती है, जो धरती पर प्रसरणशील तथा सूत्र युक्त, फूल अल्प पीतवर्णी होती है

स्वाद- तीखा ।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

यह शीतल, तीखा, पित्तनाशक, मृदुरेचक, मूत्रल, शोथहर, कृमिघ्न होती है।

यह कामला, कास, प्लीहा, अपस्मार, कुष्ठरोग, बुखार, व्रण, श्वासरोग, जलोदर, गण्डमाल (गलगण्ड) में लाभदायक होती है। बरसात में इसके छोटे-छोटे फलों को एकत्रित कर उसमें नमक एवं अजवायन भरके उसके सेवन से तेज उदरशूल, काल-झार एवं रक्त में शर्करा की मात्रा कम होने तथा आमवात में इसका प्रयोग लाभदायक है।

सर्पदंश में – इसके मूल का चूर्ण पान के पत्ते के साथ सेवन करने से फायदा होता है। अनार्त्तव में मूल का चूर्ण लाभदायक है। इसके बीजों का तेल केशों को काला करने में प्रयोग किया जाता है। बच्चों के न्यूमोनिया में इन्द्रायण के मूल का चूर्ण 1/2 से एक ग्राम और सैंधव लवण 1/4 ग्राम उष्ण जल के साथ सेवन कराना चाहिए।

कास (खांसी) में- इसके फल में काली मिर्च भरकर सूर्य की गर्मी में सूखने के लिए रखना चाहिए। इसके बाद इसमें से रोजाना सात काली मिर्च के दाने, मधु तथा पिप्पल के साथ सेवन करने से कास में फायदा होता है। इसके मूल अतिरेचक होने की वजह से यह आंव तथा कफ को बाहर निकाल देते हैं। आर्त्तव की रुकावट में-इन्द्रवारुणी के तीन ग्राम बीज, पांच दाने काली मिर्च-इन सबको पीसकर 200 ग्राम पानी में 1/4 क्वाथ बनाना चाहिए। 50 ग्राम पानी बाकी रहे, तब अग्नि से उतार कर, इसको छानकर पिला देना चाहिए। मात्रा-फल का चूर्ण- 1/8 से 2/8 ग्राम।

मूल का चूर्ण- 1 से 3 ग्राम ।

इसे भी पढ़ें…

About the author

admin

Leave a Comment