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कड़वी कोठ (Hydnocarpus Wightiana) के फायदे एवं औषधीय गुण

कड़वी कोठ (Hydnocarpus Wightiana) के फायदे एवं औषधीय गुण
कड़वी कोठ (Hydnocarpus Wightiana) के फायदे एवं औषधीय गुण

कड़वी कोठ (Hydnocarpus Wightiana)

प्रचलित नाम- कड़वी कोठ।

उपलब्ध स्थान- कड़वी कोठ के वृक्ष दक्षिण में कोंकण, मालाबार, गोवा, ट्रावनकोर इत्यादि क्षेत्रों के वनों में बहुत होते हैं। यह वनस्पति कुष्ठ रोग के लिए पूरे संसार में प्रसिद्ध है। यह चालमुगरा नामक वनस्पति की एक जाति है।

परिचय- कड़वी कोठ के वृक्ष के पत्ते सीताफल के पत्तों की तरह, पर उससे कुछ लम्बे, सुहावने तथा तेजस्वी होते हैं और उनके भीतर छोटी बादाम के समान, लम्बे और छोटे बीज निकलते हैं। ये वीज गोवा में ‘कोष्ठों’ के नाम से बिकते हैं। इन बीजों का तेल ‘खस्टेल ऑयल’ के नाम से विख्यात है, जो चर्मरोगों की एक महौषधि है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

कड़वी कोठ का तेल कृमिनाशक, प्रणशोधक, वेदना नाशक तथा रक्तशोधक है। इसके बीज पश्चिमी समुद्र तट पर काफी समय से कुष्ठ और प्राचीन चर्मरोग, चक्षुरोग तथा जख्म की सफाई पर घरेलू औषधि के तौर पर प्रयोग में लिए जाते रहे हैं। इन बीजों का तेल जिसे खस्टेल ऑयल कहते हैं, बिस्फोटक के ऊपर लगाने में लाभकारी होता है। सिर की गंज में भी इस तेल को कुछ चूने के जल के साथ मिलाकर लेप करने से लाभ होता है। कोंकण में घोड़े के ‘बरसाती’ नामक रोग को दूर करने के लिए इसकी बड़ी उपयोगिता है। खसरा, खुजली, जलन, विस्फोटक आदि रोगों में इसका कड़वा तेल, गन्धक, कपूर तथा नींबू के रस के साथ खरल करके प्रयोग किया जाता है। इसके तेल को ही मुख्य रूप से औषधि के रूप में प्रयोग का चलन है। किसी भी तरह के त्वचा रोगों में यह लाभदायक है।

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