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कनरू कोदई (Flacourtia Sepiaria) के फायदे

कनरू कोदई (Flacourtia Sepiaria) के फायदे
कनरू कोदई (Flacourtia Sepiaria) के फायदे

कनरू कोदई (Flacourtia Sepiaria)

प्रचलित नाम- कोदई, कनरू कोदई, कोंदारि।

उपलब्ध स्थान- कुमाऊ, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, उत्तरी वर्मा, अंडमान, पश्चिमी प्रायद्वीप के सूखे वन, मद्रास प्रेसिडेन्सी, खास करके कोरोमंडल का सागर तट और दक्षिण में पाया जाता है।

परिचय- यह एक बहुत कांटेदार छोटी झाड़ी होती है। इसके कांटे सीधे और तीखे होते हैं। कभी-कभी इसकी शाखाएं भी होती हैं। उनमें कई पत्ते और पुष्प होते हैं। इसके फूल छोटे, हरे होते हैं। फल कोमल और लाल होता है। पकने पर इसका रंग गहरा पड़ जाता है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

इसके पत्तों का रस सर्पदंश में प्रयोग किया जाता है। कनरू कोदई की छाल को पीसकर तेल में मिलाकर गठिया पर लेप करते हैं। गठिया दर्द, जोड़ों के दर्द अथवा हड्डियों का दर्द में कजरू कोदई की छाल का लेप अत्यंत लाभकारी है। यह दर्द को खींच लेता है। इसकी जड़ की राख मूत्राशय की बीमारियों में सर्वोत्तम मानी जाती है। कुछ वैद्यकों के मतानुसार इसके पत्ते तथा जड़ दोनों ही सर्पविष प्रतिरोधक नहीं होते हैं।

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