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कम्भारी (Cmelina Ardorca) के फायदे एंव औषधीय गुण

कम्भारी (Cmelina Ardorca) के फायदे एंव औषधीय गुण
कम्भारी (Cmelina Ardorca) के फायदे एंव औषधीय गुण

कम्भारी (Cmelina Ardorca)

प्रचलित नाम- कुंभेर, कंभारी।

उपयोगी अंग- जड़, फूल, फल, पत्ते।

परिचय- यह औषधि भारतवर्ष, श्रीलंका और फिलीपाइन द्वीप समूह में पैदा होती है। इसका वृक्ष 60 फुट ऊंचा होता है। इसका पिंड पूरी तरह सीधा रहता है और उसकी गोलाई 6 फुट तक होती है। इसकी छाल श्वेत और कुछ भूरे रंग की होती है। इसमें पीले रंग के पुष्प लगते हैं। इसका फल एक इंच लम्बा, मोटा और फिसलना होता है। यह पकने पर पीला पड़ जाता है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

आयुर्वेदिक मत से इसकी जड़ कड़वी, बलवर्द्धक, पेट की पीड़ा मिटाने वाली और मल को ढीला करने वाली होती है। यह अग्निवर्द्धक, कृमिनाशक और बवासीर, बुखार, त्रिदोष और मूत्र सम्बन्धी पीड़ा लाभदायक है।

इसके फूल कुष्ठ और रक्त विकार में लाभदायक हैं। यह संकोचक होते हैं। इसका फल मूत्रल, पौष्टिक, कामोद्दीपक, धातुपरिवर्तक, संकोचक, केशों को बढ़ाने वाला तथा प्यास, व्रण, क्षय, अश्मरी और योनि रोगों में लाभकारी है।

यूनानी मत से यह वनस्पति पित्त, रक्त विकार, कब्जियत और क्षय रोग को दूर करती है।

यह वीर्यवर्द्धक, कामोत्तेजक, धातुपरक तथा मूत्रल है। इसके पत्तों का रस फोड़ों के कृमियों को समाप्त करने के लिए और गर्भाशय के विकारों को शान्त करने के लिए प्रयोग में लिया जाता है।

  1. इसके कोमल पत्तों को पीसकर लेप करने से अंगुली के नाखून सम्बन्धी क्षत मिटते हैं।
  2. इसके फलों का क्वाथ पिलाने से पित्त बुखार छूटता है।
  3. इसकी जड़ तथा मुलेठी के चूर्ण को शक्कर और शहद के साथ चटाने से औरतों के दुग्ध की वृद्धि होती है।
  4. कम्भारी के पत्ते, अपामार्ग की जड़ और सेमर कंद- इन तीनों का चूर्ण, गाय के दूध के साथ 14 रोज तक देने से अम्लपित्त में फायदा होता है।
  5. इसके पके फलों को 1 से 2 की संख्या में रोजाना खाने से रक्तपित्त में फायदा होता है।
  6. इसके कोमल पत्तों का अर्क पिलाने से मूत्रकृच्छ्र की दाह मिट जाती है।
  7. इसकी जड़ का क्वाथ पिलाने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।
  8. अडूसे के कोमल पत्तों के साथ कम्भारी के पत्तों का रस पिलाने से, कफ और खांसी में फायदा होता है।
  9. कम्भारी सूखे फलों को पकाकर दूध के साथ पीसकर पिलाने से शीत मिट जाता है।

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