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कालमेघ जंगली (ANDROGRAPHIS PANICULATA) के फायदे एवं औषधीय गुण

कालमेघ जंगली (ANDROGRAPHIS PANICULATA) के फायदे  एवं औषधीय गुण
कालमेघ जंगली (ANDROGRAPHIS PANICULATA) के फायदे एवं औषधीय गुण

कालमेघ जंगली (ANDROGRAPHIS PANICULATA)

प्रचलित नाम – कालमेघ जंगली।

उपलब्ध स्थान- यह एक तरह की क्षुप जाति की क्षुद्र जंगली वनस्पति है। इसका पौधा 1 से 3 फीट तक ऊँचा होता है। यह खासकर बंगाल प्रान्त के वनों में बहुत पैदा होता है।

परिचय- कई लोग कालमेघ और चिरायता नामक वनस्पति को एक ही मानते हैं, मगर ये दोनों वनस्पतियाँ भिन्न हैं। यह औषधि चिरायता की अपेक्षा काफी हल्के दर्जे की होती है

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

कालमेघ कड़वा, दीपन तथा कटु व पौष्टिक होता है। इसमें बुखार नाशक गुण भी मगर वह कुनैन के बरावर प्रभावशाली नहीं होता। बच्चों के लिये यह औषधि विशेष लाभदायक होती है। सिरदर्द, अजीर्ण, अतिसार और साधारण बुखार में इसको विकामारी, हींग, सोंठ, मिर्च और पीपर के साथ देते हैं।

इसके पत्तों को निचोड़ कर इसका रस भी निकाल लेते हैं तथा उस रस में इलायची व लौंग मिलाकर उसे धूप में सुखा लेते हैं। उसकी गोलियाँ बना लेते हैं। ये गोलियाँ बच्चों को आँतों के दर्द में, अनियमित दस्तों में तथा भूख न लगने की बीमारी में इन गोलियों को देते रहते हैं। इसके पौधे का क्याथ बनाकर, उस का को ज्वर के रोगी को भी देते हैं, जिससे अच्छा फायदा होता है।

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