काली पहाड़ (Cissampelos Pareira)
प्रचलित नाम- काली पहाड़।
उपयोगी अंग- जड़, पत्ते ।
उपलब्ध स्थान – यह वनस्पति सिन्ध, पंजाब, शिमला, कोंकण, मलाया तथा कारोमंडल के किनारे उत्पन्न होती है।
परिचय – यह एक प्रकार की झाड़ीनुमा बेल होती है । कहीं-कहीं यह दूसरे झाड़ों पर चढ़ती है तथा कहीं-कहीं भूमि पर ही फैलती है। यह वर्षा ऋतु में उत्पन्न होती है। इसके पत्ते हृदय की आकृति के गिलोय के पत्ते की भांति होते हैं। इसके फूल पीले और छोटे होते हैं, ये वर्षा के मौसम में आते हैं। इसकी नर मंजरियां लम्बे डंठल वाली, रुएंदार और लाल होती हैं। इसकी जड़ आधा इंच मोटी होती है और भूमि में बहुत गहरी जाती है। इसकी छाल फीके रंग की होती है।
उपयोगिता एवं औषधीय गुण
आयुर्वेदिक मत से यह गरम, स्वाद में तीक्ष्ण और कड़वी होती है। वात, कफ, ज्वर, पेचिश, चर्मरोग, जलन, हृदय रोग और खुजली में यह लाभकारी है। वमन में श्वांस को कम करती है। आंतों के कीटाणुओं को समाप्त करती है, बढ़ी हुई तिल्ली और व्रणों को मिटा देती है। बवासीर और गर्भाशय की तकलीफों में लाभकारी है। आधाशीशी और प्रसव पीड़ा में लाभदायक है।
1. यह थोड़ी मात्रा में लेने से भूख लगती है और भोजन का पाचन होता है। अधिक मात्रा में देने से पतले दस्त होते हैं। इसकी मात्रा 2 माशे से 3 माशे तक होती है।
2. नए और पुराने वस्तिशोथ, सुजाक, रक्त मूत्र और सान्द्र प्रमेह इन रोगों में पहाड़मूल को गिलोय और मुलेठी के साथ देने से अच्छा फायदा होता है।
3. शिथिलता, बदहजमी, सिरदर्द, आमातिसार और ज्वरातिसार में इसको थोड़ी मात्रा में देने से फायदा होता है। आंतों के रोगों में इसकी जड़ किसी सुगन्धित पदार्थ के साथ दी जाती है।
4. मूत्राशय की जलन और पुरानी सूजन को मिटाने के लिए इसकी जड़ का काढ़ा बनाकर पिलाना चाहिए।
5. काली पहाड़ के पत्तों को पीसकर लेप करने से गांठ रोग सही हो जाता है।
6. इसकी जड़ के चूर्ण की फंकी देने से पेट का दर्द मिटता है।
7. इसकी जड़ का क्वाथ पिलाने से पथरी के रोगों को फायदा होता है।
8. इसकी जड़ को घी के साथ घिसकर पिलाने से विष उतरता है।
9. इसकी जड़ को जल में घिसकर लेप करने से बिगड़े हुए घाव और हड्डियों के व्रण मिटते हैं।
10. इसकी जड़ के क्वाथ में मधु मिलाकर पिलाने से खांसी मिट जाती है।
11. इसकी जड़ के साथ पीपल का चूर्ण बुरककर पिलाने से मंदाग्नि समाप्त हो जाती है।
12. अपराजिता की जड़ के साथ काली पहाड़ की जड़ को औटाकर पिलाने से जलोदर में फायदा होता है।
13. इसकी जड़ का क्वाथ बनाकर देने से मूत्रवृद्धि होकर मूत्राशय की पुरानी सूजन खत्म हो जाती है।
14. जिस नारी की योनि बाहर निकल आए, उसको इसका क्वाथ पिलाना चाहिए तथा इसी के क्वाथ से योनि को धोना चाहिए।
15. काली पहाड़ की जड़ को चावलों के जल के साथ पीसकर पीने से शरीर में उपद्रव का रोग मिट जाता है।
16. इसकी जड़ को पीसकर गर्भवती औरत की नाभि, वस्ति और भग पर लेप करने से बच्चा आसानी से हो जाता है।
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