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कुनैन (Cinchona Succiruba) के फायदे एवं औषधीय गुण

कुनैन (Cinchona Succiruba) के फायदे एवं औषधीय गुण
कुनैन (Cinchona Succiruba) के फायदे एवं औषधीय गुण

कुनैन (Cinchona Succiruba)

प्रचलित नाम- कुनैन ।

उपलब्ध स्थान- यह एक अमेरिकी पेड़ है, पर वर्तमान में पूरे भारतवर्ष में इसकी खेती की जाती है। यह दक्षिण में 4,000 फीट से ऊपर, सतपुड़ा की पहाड़ियों पर एवं सिक्कम में अधिक उत्पन्न होता है।

उपयोगिता एवं औषधीय गुण

इसका अंग्रेजी में मुख्य नाम सिनकोना है। सिनकोना (कुनैन) की छाल कड़वी, पौष्टिक, स्तम्भक, ज्वरनाशक और मलेरिया बुखार को रोकने वाली होती है। कुनैन का प्रधान उपक्षार ज्वर नाशक, वेदना नाशक तथा गर्भाशय को उत्तेजना देने वाला होता है। कुनैन के पत्ते कडुवे पौष्टिक, ज्वर नाशक और सौम्य प्रकृति के होते हैं। कुनैन की छाल की मात्रा 20 से 60 ग्रेन तक और पत्तों के रस की मात्रा 2 से 10 ग्रेन तक होती है। यह दूध के साथ दी जाती है।

कुनैन की छाल बहुत से रोगों में दी जाती है, इसकी छोटी मात्रा देने से भूख बढ़ती है। स्नायु और ज्ञान तन्तुओं की शक्ति की बढ़ोत्तरी करती है, रक्त का पोषण करती है। शरीर में आई हुई दुर्बलता को दूर करती है। अग्निमांद्य, संग्रहणी, आँव, अतिसार इत्यादि रोगों में यह औषधि शंखद्राव के साथ देने से बड़ा फायदा पहुँचाती है। पाचन नली की शिथिलता में भी यह बड़ी लाभकारी है। मलेरिया ज्वर के सभी भेद (एकतरा, तिजारी, चौथेया वगैरह) पर यह एक उत्तम औषधि है। इसका ज्वरनाशक धर्म बहुत ही प्रभावशाली होता है।

कुनैन की छोटी मात्रा आमाशय की पाचन क्रिया को सुधारती है, परन्तु बड़ी मात्रा में देने से या निरन्तर कई दिनों तक देने से, यह पाचन क्रिया को बिगाड़ती है। खून में गर्मी उत्पन्न करती है और दूसरे कई प्रकार के उपद्रव पैदा करती है। इसलिए इसका सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए।

नए आमवात रोग में कुनैन शरीर के ताप को कम करने के लिये और संधियों की तकलीफ दूर करने के लिये व्यवहार में ली जाती है। मलेरिया ज्वर में पैदा हुए स्नायु ज्वर के दर्द, आधाशीशी, पेट की आँतों की सूजन इत्यादि रोगों में भी कुनैन सेवन से फायदा होता है। आँतों की सूजन में कुनैन को शिलाजीत के साथ, आधा-शीशी के दर्द में गाँजे के साथ और मानसिक थकावट से होने वाले निद्रानाश में कुचले के साथ देना चाहिए।

प्रसूति के समय भी कुनैन अच्छा कार्य करती है। 10 ग्रेन की मात्रा में इसको 1 से 2 बार देने से बच्चा जल्दी गर्भ से बाहर आ जाता है। सूतिका बुखार में भी इसका प्रयोग किया जाता है। इससे बुखार के जीर की कमी होती है और गर्भाशय का संकोचन होता है।

कुनैन के पौधे के फलों से जो रस निकाला जाता है, वह कुनैन कहलाता है। इसे तरल रूप में ही अकसर उपयोग करते हैं।

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